Wednesday, August 26, 2020
Diabetes type 2 warning: High blood sugar signs in your vision - do you see black spots?
DIABETES type 2 symptoms may include feeling tired, passing more urine than normal, and having cuts or wounds that take longer to heal than usual. You could also be at risk of high blood sugar if you notice a change to your vision. Do you see these black spots, and should you speak to a doctor about diabetes symptoms?
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92 साल के शख्स ने 80 साल से बाल नहीं कटाए, 5 मीटर लम्बे बालों में न कंघा करते हैं न इन्हें धोते हैं; कहा- इनसे छेड़छाड़ करना ठीक नहीं
वियतनाम के रहने वाले 92 साल के नगुएन ने पिछले 80 सालों से अपने बाल नहीं कटाए हैं। इनके बालों की लम्बाई 5 मीटर है। नगुएन का मानना है इंसान जिस भी चीज के साथ पैदा हुआ है उससे छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
वह कहते हैं, अगर मैं अपने बालों को कटाउंगा तो मैं मर जाउंगा। मैं किसी भी तरह के बदलाव की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। मैं बालों में कंघा तक नहीं करता हूं। न ही इन्हें धोता हूं, सिर्फ इसे सुलझाकर ऊपर से एक कपड़ा बांध लेता हूं
बालों का ईश्वर की कृपा मानते हैं
नगुएन वेन चेइन वियतनाम की हो-ची मिन शहर से 80 किलोमीटर दूर एक गांव में रहते हैं। वह कहते हैं, मैं बालों की देखभाल करता हूं, इन्हें सुलझाता हूं ताकि ये अच्छा दिखें। बालों का बढ़ना, ईश्वर की कृपा है। इसलिए मैं इसे नहीं काटता। इसे नारंगी पगड़ी से ढकता हूं।
स्कूल में बाल काटने पर भाग गए थे
वह कहते हैं, जब मैं तीसरी कक्षा में था तो स्कूल में इसे कटाने को कहा गया था लेकिन मैं वहां से भाग गया था। तभी तय किया कि बालों को न तो कभी कटाउंगा, न कंघा करूंगा और न ही इसे धोउंगा।
मैं कभी इन्हें प्यार से कंघा से सुझलाता था
नगुएन कहते हैं कि मुझे अच्छी तरह याद एक समय मेरे बाल काले और मजबूत थे। मैं कंघा करता था। इन्हें प्यार से सुलझाता था। लेकिन जब मुझे अहसास हुआ कि ईश्वर चाहते हैं कि इनके साथ छेड़छाड़ न हो तो कंघा करना तक छोड़ दिया।
बालों को सुलझाने में बेटा मदद करता है
बालों को सुलझाने में नगुएन का पांचवा बेटा नगुएन वेन लुओम इनकी मदद करता है। उनका भी मानना है कि बालों को काटने पर इंसान के साथ बुरा हो सकता है। लुओम कहते हैं, यह सभी बातें साधारण हैं और पवित्र भी।
उम्र के इस पड़ाव पर रोजाना खाना भी बनाते हैं
नगुएन वियतनाम के टिएन गियांग प्रांत में रहते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह रोजाना खाना बनाते हैं। रोजाना ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
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बाहर से देख सकेंगे टॉयलेट साफ-सुथरा है या नहीं; दरवाजा लॉक होते ही शीशे का रंग बदल जाएगा और बाहर वाले लोग आपको नहीं देख पाएंगे
जापान की राजधानी टोक्यो के पार्कों में ट्रांसपेरेंट पब्लिक टॉयलेट लगाए गए हैं। पारदर्शी टॉयलेट लगाने की वजह यह है कि लोग बाहर से देख सकें कि यह साफ-सुथरा है और अंदर कोई नहीं है। टॉयलेट में खास तरह के स्मार्ट ग्लासेस का इस्तेमाल किया गया है।
इन्हें विकसित किया है दुनिया के जाने-माने क्रिएटिव आर्किटेक्ट शिगेरू बेन ने। शिगेरू को चीजों को रिसायकल करके दोबारा खूबसूरती से इस्तेमाल करने के लिए भी जाना जाता है।
ऐसे काम करता है स्मार्ट ग्लास
ज्यादातर लोग समझ रहे होंगे इन ट्रांसपेरेंट टॉयलेट में बैठने पर बाहर खड़े लोग आपको देख लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। इस टॉयलेट में खास तरह के स्मार्ट ग्लास का इस्तेमाल किया गया है। जब कोई इंसान टॉयलेट करने के लिए इसके अंदर जाता है और दरवाजा लॉक करता है तो बाहर से दिखना बंद हो जाता है।
अंदर बैठा शख्स बाहर देख सकता है लेकिन बाहर वाला नहीं देख पाएगा
टॉयलेट में लगे शीशे की खासियत है कि अंदर बैठा इंसान बाहर का हर नजारा देख सकता है लेकिन बाहर वाला अंदर बैठे इंसान को नहीं देख सकता। यह जापान के टायलेट प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसे निप्पॉन फाउंडेशन ने पार्कों में लगवाया है।
लोगों की जरूरत के मुताबिक तैयार किया गया
ये टॉयलेट येयोयोगी फुकामाची मिनी पार्क और हरू-नो-ओगावा कम्युनिटी पार्क में लगाए गए हैं। इसे लोगों की जरूरत के मुताबिक तैयार किया गया है। पारदर्शी कांच की दीवारें लोगों को बाहर से साफ दिखाई देंगी और उन्हें यह फैसला करने में मदद करेंगी कि क्या यह साफ है। एक बार जब वह टॉयलेट में प्रवेश करेंगे और दरवाजा बंद करेंगे तो दीवारें अपारदर्शी हो जाएंगी।
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दो डोज में आ सकती है कोविड की वैक्सीन, भारत में छह वैक्सीन पर चल रहा काम; तीन के ट्रायल की स्पीड बढ़ी
कोविड की वैक्सीन की एक नहीं, दो डोज़ आ सकती है। दोनों डोज़ के बीच का अंतर 14 दिन से लेकर 28 दिन तक का हो सकता है। यह जानकारी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने प्रेसवार्ता में दी है।
डॉ. भार्गव ने कहा, कोरोना की जिन वैक्सीन पर काम चल रहा है, उनमें यह समझने की जरूरत है कि पहली डोज़ दिए जाने के 14 से 28 दिन के बाद दूसरी डोज़ दी जा रही है। इस समय जिन वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है, उनके दो डोज़ कवर होने के कम से कम दो से चार हफ्ते के बाद यह चेक किया जा रहा है कि व्यक्ति शरीर में कितनी संख्या में एंटीबॉडीज बन रही हैं।
डॉ. भार्गव की बात से यह साफ है कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन दो डोज़ में दी जा रही है, यानी कि यह भी संभव है कि सफल होने पर भी वैक्सीन दो डोज में ही आए।
पहले चरण के ट्रायल पूरे
डॉ. भार्गव ने बताया कि देश में इस वक्त कोरोना वायरस की छह वैक्सीन पर काम चल रहा है। हालांकि उन्होंने केवल तीन का ही विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने बताया कि पहली वैक्सीन पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट की है, जो ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर बनायी गई है। इसे कोविशील्ड के नाम से लॉन्च किया जाएगा। यह वैक्सीन स्टेज 2बी में चली गई है। इस स्टेज में 1700 मरीजों को शामिल किया जाएगा।
दूसरी वैक्सीन, भारत बायोटेक की है, जिसका नाम कोवैक्सिन है। यह फेज़ 1 के तहत 375 मरीजों को दी गई है। दूसरा फेज़ जल्द शुरू होगा। तीसरी वैक्सीन ज़ाइडस कैडिला की है जिसका फेज़-1 पूरा हो चुका है। सेकेंड फेज़ जल्द शुरू होने वाला है।
क्या रूस की वैक्सीन का मास प्रोडक्शन करेगा भारत?
इस सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि स्पूतनिक-5 वैक्सीन को लेकर भारत और रूस के बीच बातचीत जारी है। कुछ शुरुआती दस्तावेज भारत ने रूस सरकार के साथ शेयर किए हैं, जबकि विस्तृत दस्तावेज उनके साथ शेयर करना अभी बाकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के 172 देश कोविड वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। एक रिपोर्ट आई है, जिसमें कहा गया कि इनमें से कई देश एडवांस पेमेंट करने को भी तैयार हैं, इस सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने कहा कि अभी तक किसी भी देश ने भारत सरकार से वैक्सीन को लेकर न तो कोई संपर्क किया है और न ही किसी एडवांस पेमेंट की बात कही है।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ जो अध्ययन कर रहा है, उसके तहत यह जानकारी एकत्र की जा रही है कि वैक्सीन आने पर उसकी सप्लाई 172 देशों में कैसे संभव हो। कैसे वैक्सीन निर्माण करने वाले देशों से लेकर बाकी देशों में आपूर्ति की जाए, इस बात का आंकलन किया जा रहा है।
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