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कोरोना से रिकवर होने वाले 64 फीसदी मरीजों में कई महीनों तक वायरस का असर दिख रहा है। इलाज के बाद भी मरीज सांस लेने की दिक्कत, थकान, बेचैनी और डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। यह रिसर्च करने वाली ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का कहना है, कोरोना का संक्रमण होने के 2 से 3 महीने बाद ये असर दिखना शुरू हो रहा है। रिसर्च के दौरान पाया गया कि 64 फीसदी मरीज सांस लेने की तकलीफ से जूझ रहे थे। वहीं, 55 फीसदी थकान से परेशान थे।
ज्यादातर मरीजों में फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे
रिसर्च के मुताबिक, मरीजों की एमआरआई करने पर पता चला कि कोरोना के 60 फीसदी मरीजों के फेफड़े एब्नॉर्मल मिले। 29 फीसदी मरीजों की किडनी में दिक्कतें मिलीं। वहीं, 26 फीसदी में हार्ट प्रॉब्लम्स और 10 फीसदी को लिवर से जुड़ी समस्याएं हुईं।
55 फीसदी थकान से जूझ रहे
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, रिकवरी के बाद 55 फीसदी मरीज थकान से जूझ रहे हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रेडक्लिफ डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर बैटी रमन कहते हैं, आंकड़े बताते हैं कि रिकवरी के बाद शरीर की जांच करने की जरूरत है। डिस्चार्ज के बाद उन्हें मेडिकल केयर देने के लिए एक मॉडल डेवलप किया जाना चाहिए।
ऑर्गेन फेल्योर और सूजन के बीच कनेक्शन मिला
डॉक्टर बैटी रमन कहते हैं, मरीजों में एब्नॉर्मेलिटी देखी जा रही है इसका सीधा कनेक्शन अंगों की सूजन से है। शरीर के अंगों में यह गंभीर सूजन और ऑर्गेन फेल्योर के बीच कनेक्शन मिला है। सूजन ही शरीर के अंगों को डैमेज करने का काम कर रही है। कोरोना से रिकवर होने वाले मरीज इससे जूझ रहे हैं।
लॉन्ग कोविड के मामले दिख रहे
पिछले हफ्ते ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च ने बताया था कि मरीजों में लॉन्ग कोविड के मामले सामने आ रहे हैं। वे रिकवरी के बाद पहले की तरह सेहतमंद नहीं दिख पा रहे। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना का असर लम्बे समय तक दिख रहा है।
देश में कोरोना के एक्टिव केस का ग्राफ नीचे जा रहा है और लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है। फेस्टिवल का सीजन है, बाजार में भी खरीदारी के लिए भीड़ भी बढ़ रही है लेकिन इस दौरान सबसे अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। वैक्सीन, इंफेक्शन और फेस्टिव सीजन में क्या सावधानी बरतें, इससे जुड़े कई सवालों के जवाब दे रही हैं दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की डॉ. अपर्णा अग्रवाल...
1. त्योहारों में लोगों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
हमेशा मास्क पहनना है। हाथ साफ रखने हैं। सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखनी है। खांसी-जुकाम, या गला खराब हो, तो तुरंत खुद को आईसोलेट कर लें। त्योहार के समय में इन बातों का खास ध्यान रखना है। अगर सावधानी नहीं बरतेंगे, तो घरवालों के साथ-साथ दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं। त्योहार की खुशी घर वालों में खोजें, अपने घर को सजाने में, घर के पकवानों में खोजें, क्योंकि दूसरों से मिलना अभी ठीक नहीं है।
2. त्योहारों में बाहर क्या सावधानी रखनी है?
त्योहारों में आप बाहर अपने रिश्तेदारो, दोस्तों से मिलने जाते हैं और पार्टी करते हैं, वो सब मत करें। बेहतर होगा इस साल वर्चुअल पार्टियां, वर्चुअल मीटिंग करें करें, क्योंकि भीड़ से संक्रमण के फैलने का खतरा रहता है। रही बात शॉपिंग की तो इस वक्त ऑनलाइन शॉपिंग को तरजीह दें।
3. बच्चे अगर बाहर जाने की ज़िद करते हैं, तो क्या करें?
बच्चे बाहर जाने की ज़िद कर रहे हैं, तो थोड़ी देर के लिए, गार्डन या पार्क जैसी खुली जगह पर ले जा सकते हैं। बाज़ार मत ले जाएं क्योंकि बच्चे भीड़ में जाएंगे तो कुछ न कुछ छुएंगे और उनको संक्रमण का खतरा आपकी तुलना में ज्यादा रहेगा। बच्चों को मास्क लगाने की आदत भी नहीं होती है। अगर कुछ खाने की ज़िद करें या खरीदने की ज़िद करें तो ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।
4. हवा में ड्रॉपलेट कितनी देर तक रहते हैं?
इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है। कई बार ड्रॉपलेट एक गज के बाद नीचे गिर जाते हैं। लेकिन यह निर्भर करता है कि आप कहां हैं। अगर आप बंद जगह पर हैं, तो वहां ड्रॉपलेट ज्यादा देर तक हवा में रहेंगे, और संक्रमण की आशंका अधिक रहती है, खुली जगह पर आशंका कम रहती है। कितनी दूरी तक जाएगा, यह भी जगह पर निर्भर करता है। ऐसा पाया गया है कि ये तीन से चार गज की दूरी तक जा सकते हैं।
5. क्या खाने की चीजों से कोरोना होता है?
नहीं, कोरोना खाने की चीजों से नहीं होता है, लेकिन खाने की चीजें जिसमें परोसी गई हैं, या जिसमें पैक होकर आयी हैं, उस पर वायरस हो सकता है। इसीलिए के खाने को तरजीह देने के लिए कहा जा रहा हे।
6. रिकवरी रेट तेज़ी से बढ़ रहा है, जब सब लोग ठीक हो जाएंगे तब वैक्सीन का क्या काम?
रिकवरी रेट बढ़ा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना खत्म हो गया। कई देशों में कोरोना लगभग खत्म हो गया था, अब महामारी की दूसरी लहर आ रही है। इसके बाद तीसरी लहर भी आएगी या नहीं, यह कोई नहीं कह सकता है।
कोरोना एक वायरस नहीं है, यह वायरस का समूह है, जो अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से फैलता है। कहीं, बहुत ज्यादा लोग संक्रमित होते हैं, कहीं कम। ये वायरस म्यूटेट भी होते हैं। कुछ महीनों के अंतराल पर ये दूसरे रूप में आते हैं। कोविड-19 कैसे बिहेव करेगा, यह अभी नहीं बता सकते हैं। यह जाएगा कि नहीं, यह भी नहीं पता है। इसलिए वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी ही।