कोविड की वैक्सीन की एक नहीं, दो डोज़ आ सकती है। दोनों डोज़ के बीच का अंतर 14 दिन से लेकर 28 दिन तक का हो सकता है। यह जानकारी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने प्रेसवार्ता में दी है।
डॉ. भार्गव ने कहा, कोरोना की जिन वैक्सीन पर काम चल रहा है, उनमें यह समझने की जरूरत है कि पहली डोज़ दिए जाने के 14 से 28 दिन के बाद दूसरी डोज़ दी जा रही है। इस समय जिन वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है, उनके दो डोज़ कवर होने के कम से कम दो से चार हफ्ते के बाद यह चेक किया जा रहा है कि व्यक्ति शरीर में कितनी संख्या में एंटीबॉडीज बन रही हैं।
डॉ. भार्गव की बात से यह साफ है कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन दो डोज़ में दी जा रही है, यानी कि यह भी संभव है कि सफल होने पर भी वैक्सीन दो डोज में ही आए।
पहले चरण के ट्रायल पूरे
डॉ. भार्गव ने बताया कि देश में इस वक्त कोरोना वायरस की छह वैक्सीन पर काम चल रहा है। हालांकि उन्होंने केवल तीन का ही विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने बताया कि पहली वैक्सीन पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट की है, जो ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर बनायी गई है। इसे कोविशील्ड के नाम से लॉन्च किया जाएगा। यह वैक्सीन स्टेज 2बी में चली गई है। इस स्टेज में 1700 मरीजों को शामिल किया जाएगा।
दूसरी वैक्सीन, भारत बायोटेक की है, जिसका नाम कोवैक्सिन है। यह फेज़ 1 के तहत 375 मरीजों को दी गई है। दूसरा फेज़ जल्द शुरू होगा। तीसरी वैक्सीन ज़ाइडस कैडिला की है जिसका फेज़-1 पूरा हो चुका है। सेकेंड फेज़ जल्द शुरू होने वाला है।
क्या रूस की वैक्सीन का मास प्रोडक्शन करेगा भारत?
इस सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि स्पूतनिक-5 वैक्सीन को लेकर भारत और रूस के बीच बातचीत जारी है। कुछ शुरुआती दस्तावेज भारत ने रूस सरकार के साथ शेयर किए हैं, जबकि विस्तृत दस्तावेज उनके साथ शेयर करना अभी बाकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के 172 देश कोविड वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। एक रिपोर्ट आई है, जिसमें कहा गया कि इनमें से कई देश एडवांस पेमेंट करने को भी तैयार हैं, इस सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने कहा कि अभी तक किसी भी देश ने भारत सरकार से वैक्सीन को लेकर न तो कोई संपर्क किया है और न ही किसी एडवांस पेमेंट की बात कही है।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ जो अध्ययन कर रहा है, उसके तहत यह जानकारी एकत्र की जा रही है कि वैक्सीन आने पर उसकी सप्लाई 172 देशों में कैसे संभव हो। कैसे वैक्सीन निर्माण करने वाले देशों से लेकर बाकी देशों में आपूर्ति की जाए, इस बात का आंकलन किया जा रहा है।
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