Monday, September 14, 2020
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अहमदनगर के एमबीबीएस स्टूडेंट ने लॉकडाउन में कम किया 15 किलो वजन, जो लोग पहले उनके मोटापे का मजाक उड़ाते थे, वहीं अब उनकी तारीफ करते हैं
एक मेडिकल स्टूडेंट होने के नाते लायब्रेरी में घंटों बैठना शामिल होता है। ऐसे में अगर आप होस्टल में रह रहे हैं तो सादा खाना कम और जंक फूड ज्यादा खाने लगते हैं। अहमदनगर, महाराष्ट्र में एमबीबीएस के थर्ड ईयर स्टूडेंट फरहान के साथ भी यही हुआ।
सैयद मोहम्मद फरहान इरफान डॉ. विट्ठल राव विखे पाटिल फाउंडेशंस मेडिकल कॉलेज एंड मेमोरियल हॉस्पिटल, अहमदनगर से एमबीबीएस कर रहे हैं। वे कहते हैं अगर आपके दोस्त भी खाने के शौकीन हो तो मेस के खराब खाने से बचने के लिए रोज ही बाहर का खाना खाने में आता है।
कभी-कभार बाहर का खाना तो अच्छा लगता है लेकिन अगर रोज ऐसा ही खाना आपकी आदत बन जाए तो आप खुद को थका हुआ और सुस्त महसूस करने लगते हैं। ऐसे में आपका वजन भी तेजी से बढ़ने लगता है।
ऐसा ही कुछ फरहान के साथ भी हुआ और उनका वजन 85 से 90 किलो हो गया। लॉकडाउन के दौरान 15 किलो वजन कम करने वाले फरहान ने अपनी वेट लॉस जर्नी खुद अपने शब्दों में कुछ इस तरह से बयां की। वे चाहते हैं उनके बारे में जानकर दूसरे लोग भी अपने वजन को नियंत्रित करना सीखें और सेहतमंद रहें :
एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान दिन-रात बस बैठे-बैठे पढ़ना और जब पढ़ाई से उठो तो खाना खाना। अब से कुछ महीनों पहले तक यही मेरा डेली रुटीन हुआ करता था। उन दिनों मेरा वजन लगभग 90 किलो हो गया था।
मेरे दोस्तों ने मुझे जिम जॉइन करने की सलाह दी। मैं जिम जाने लगा लेकिन वजन कम नहीं हुआ। तब मैंने नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई की चीफ डाइटीशियन डॉ. उषा किरण सिसोदिया से कंसल्ट किया।
मैं ये भी जानता था कि उनके बताए डाइट चार्ट को मैं ज्यादा दिनों तक फॉलो नहीं कर पाऊंगा क्योंकि मैं खुद भी खाने का बहुत शौकीन हूं। मैं नॉनवेज खाए बिना नहीं रह सकता। ऐसे में डाइट प्लान फॉलो करना मेरे लिए मुश्किल था।
लेकिन डॉ. उषा किरण द्वारा बताया गया मेरा डाइट प्लान खाने में टेस्टी और हेल्दी था। जिस वजह से इसे फॉलो करना मेरे लिए आसान रहा। साथ ही मैंने साइकिलिंग और वॉकिंग की शुरुआत की।
वजन बढ़ने के दौरान मैंने ये महसूस किया कि जब आप मोटे होने लगते हैं तो आपका शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगता है। चाहे वजन कम करने और परफेक्ट शेप के लिए डाइटिंग और वर्कआउट जरूरी है लेकिन इससे भी जरूरी है आपका विल पावर मजबूत होना। एक बार में ज्यादा खाने के बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में पौष्टिक भोजन जैसे सलाद या फल खाना जरूरी है।
अपना वजन कम करने का ख्याल मुझे तब आने लगा जब लोग मेरे वजन का मजाक उड़ाने लगे और मुझे वेट लॉस के लिए तरह-तरह की सलाह देने लगे। ऐसे में मैं अपने लिए जब भी नए कपड़े लेकर आता तो वे कपड़े हर बार मुझे टाइट लगते। धीरे-धीरे अपने वजन की वजह से मुझे फोटो खिंचवाने में भी शर्मिंदगी महसूस होने लगी।
उन्हीं दिनों मैने एमबीबीएस की पढ़ाई करते हुए ये जाना कि वजन बढ़ने के सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं। ऐसी कई बीमारियां हैं जो ज्यादा वजन की वजह से कम उम्र में ही घेरने लगती हैं। इन सब बातों को जानकर मैंने ये फैसला किया कि कुछ भी हो जाए मुझे अपना वजन कम करना ही है।
वजन कम करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी आपका समय और ऊर्जा दोनों देने की है। इसके अलावा सारी कोशिशों के साथ ही सब्र से काम लेना भी जरूरी है। जिन लोगों को लगता है कि वजन कम करने के लिए सर्जरी या जिम सप्लीमेंट जरूरी होते हैं, वे भी गलत हैं। इन दोनों चीजों के बिना भी आसानी से वेट लॉस किया जा सकता है।
मैंने फरवरी और मार्च में पूरे अनुशासन के साथ वजन कम करने की कवायद जारी रखी। उसके बाद रमजान के एक महीने इसे फॉलो नहीं कर पाया। लेकिन ईद के बाद मैंने फिर एक बार अपनी कोशिश की। इस तरह जुलाई तक मैंने 15 किलो वजन कम किया। मेरी वेट लॉस जर्नी अभी भी जारी है।
मुझे अपना वजन 68 किलो करना है। हालांकि वजन कम करने के लिए मैंने अपने खाने पर कंट्रोल किया लेकिन सीमित मात्रा में हर चीज खाई जैसे खाने में दो चपाती के साथ सब्जी। इसके अलावा बीच में भूख लगने पर सलाद, फल या चने में टमाटर और खीरा मिलाकर खाया। अगर सुबह नॉनवेज खा लिया है तो शाम को नहीं खाया। वजन कम करने के लिए रोज क्या खाना है, इससे ज्यादा जरूरी है कितना खाना है। मैंने इस बात का हमेशा ध्यान रखा।
इस समय जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, उनका वजन बढ़ने के अधिक चांस हैं क्योंकि दिन भर बैठकर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने काम करना और घर में रहते हुए ऑफिस के बजाय अधिक खाना। लेकिन यही वो वक्त है जब आप अपना वेट आसानी से कम कर सकते हैं। घर में रहते हुए भी एक साथ ज्यादा खाने के बजाय थोड़े-थोड़े अंतराल में कम खाना शुरू करें। साथ ही तली-भुनी चीजों से बचें।
इसके बजाय सलाद, फल या चने खाएं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह समझते हैं कि एक बार वजन बढ़ गया तो इसे कम करना बहुत मुश्किल है। जबकि ऐसा नहीं है। वजन कम करने के लिए आपको एक अच्छे डाइटीशियन की जरूरत है। साथ ही एक्सरसाइज की भी। इस दौरान आप अपने लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे बढ़ेंगे लेकिन कोशिश करते रहेंगे तो कामयाबी जरूर हासिल होगी।
डाइटिंग करना उस वक्त मेरे लिए मुश्किल हुआ जब मैं होस्टल से घर जाता था। इतने कम समय के लिए घर जाने पर घर में रोज ही खाने में कुछ खास बनता है। ऐसे में खुद को कंट्रोल करना कठिन था। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मुझे अपने डाइट चार्ट को हर हाल में फॉलो करना ही है।
जब मैंने अपने घर वालों को मेरे वेट लॉस प्लान के बारे में बताया तो उन्होंने मेरा साथ दिया और इस तरह मेरे मम्मी-पापा भी मेरे साथ डाइटिंग करने लगे। इसके अलावा मेरे दोस्तों ने जब वेट लॉस को लेकर मेरा जज्बा देखा तो उन्होंने भी मेरा साथ दिया।
अगर आप वेट लॉस करना चाहते हैं तो यह जान लें कि वजन कम करना एक बार का लक्ष्य नहीं है बल्कि लगातार की जाने वाली कोशिश है। ये तब सरल हो सकता है जब आप फ्राइड चीजों से दूर रहें। मीठा कम खाएं और कोल्ड ड्रिंक आदि पीने से परहेज करें। इसके साथ ही अपने वजन की नियमित रूप से जांच करते रहें ताकि आप वजन बढ़ते ही अपनी डाइट में बदलाव कर सकें और वजन नियंत्रित रहे।
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बहुत गुणकारी है जामुन का फल, डायबिटीज समेत इन बीमारियों को रखता है दूर
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Diet rules to help you lose weight for the D-day
कोविड-19 से बचने के लिए कारगर बताई जा रही वायरल लिस्ट की दवाएं, एक्सपर्ट ने बताया - इस लिस्ट को सच मानकर दवाएं लेना जानलेवा हो सकता है
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दवाइयों की एक लिस्ट वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि ये दवाइयां कोविड-19 से संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए कारगर हैं।
हमारी फैक्ट चेक टीम के वॉट्सएप नंबर पर भी कई रीडर्स ने यह लिस्ट पड़ताल के लिए भेजी।
और सच क्या है ?
- देश की शीर्ष रिसर्च संस्था ICMR की ऑफिशियल वेबसाइट पर हमें ऐसी कोई लिस्ट नहीं मिली। हमने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट भी चेक की। वहां भी कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले मरीजों के लिए दवाओं की अलग से कोई लिस्ट जारी नहीं की गई है।
- जब स्पष्ट हो गया कि वायरल हो रही लिस्ट किसी जिम्मेदार संस्था ने जारी नहीं की है। तो हमने पड़ताल के अगले चरण में यह पता लगाना शुरू किया कि आखिर लिस्ट में शामिल दवाएं कितनी कारगर हैं। इसके लिए हमने डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. राजेश अग्रवाल से संपर्क किया।
- डॉ. राजेश अग्रवाल ने लिस्ट में दी गई हर एक दवा के उपयोग के बारे में बताया। साथ ही यह भी बताया कि इनका कोविड-19 के इलाज से कितना संबंध है।
- वायरल लिस्ट में सबसे पहले हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टैबलेट को सभी के लिए खाना अनिवार्य बताया गया है। जबकि इस टैबलेट को खाने के बाद उल्टी होना, एसिडिटी और चक्कर आने जैसे साइड इफेक्ट सामने आ चुके हैं। लिहाजा इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
- लिस्ट में दूसरे नंबर पर नाम है विटामिन सी, विटामिन डी और जिंक टैबलेट का। यह तीनों इम्युनिटी बढ़ाने या फिर विटामिन की कमी होने पर दी जाने वाली सामान्य टैबलेट हैं। अगर इनके लेने से कोई खास फायदा नहीं है। तो कोई नुकसान भी नहीं है।
- बुखार, गले में खराश और खांसी के लिए दी गई दवाएं सही हैं। इन दवाओं के कोई गंभीर साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।
- सांस लेने की तकलीफ होने पर लिस्ट में DEXONA टैबलेट लेने की सलाह दी गई है। यह सांस की तकलीफ के लिए ली जाने वाली कारगर दावा है। लेकिन, इसे बिना एंटीबायोटिक कवर के लेना हानिकारक हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति के लीवर में इंफेक्शन है और उसे सांस लेने में तकलीफ भी हो रही है। इस लिस्ट को पढ़कर अगर उसे बिना एंटीबायोटिक कवर के DEXONA टैबलेट दे दी जाती है तो सांस लेने में राहत मिल जाएगी पर इंफेक्शन बढ़ता रहेगा। नतीजा यह होगा कि मरीज की हालत 2-3 दिन बाद बहुत ज्यादा क्रिटिकल हो जाएगी। इस दवा को बिना एंटीबायोटिक कवर के लेना जानलेवा भी हो सकता है।
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चलती ट्रेन में पटरियों की बदली हुई आवाज से पता लगाया कि रेल बेपटरी होने वाली है, जब सब पीछे हटे तो इन्होंने 75 फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़कर मशीन देखी
पहले सोचो, योजना बनाओ, फिर खूबियों और खामियों को समझने के बाद काम शुरू करो। सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जीवन की फिलॉसफी यही रही है। इन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र वो उपलब्धियां हासिल जो इतिहास में अमर हो गईं। आज इनका जन्मदिन है, जिसे इंजीनियर्स-डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। सर मोक्षगुंडम ने अपने दौर में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ऐसे कीर्तिमान रचे जिसका लोहा अंग्रेजों ने भी माना। इंजीनियर्स डे पर उनके जीवन के उन किस्सों को जानिए, जिसने सबको चौंकाया...
जिन अंग्रेजों ने मजाक उड़ाया, उन्हीं ने मांगी माफी
विश्वेश्वरैया के जीवन सबसे दिलचस्प किस्सा अंग्रेजों से जुड़ा है। एक बार वह अंग्रेजों के साथ ट्रेन में सफर कर रहे थे। सांवले रंग और सामान्य कद काठी वाले विश्वेश्वरैया को अनपढ़ समझकर अंग्रेजों ने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। ट्रेन तेज रफ्तार में चल रही थी, वह अचानक उठे और चेन खींच दी। ट्रेन वहीं रुक गई।
यात्रियों ने उन्हें बुरा भला कहना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद गार्ड के सवाल करने पर उन्होंने कहा, मैंने चेन खींची है। मेरा अनुमान है कि करीब 220 गज की दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है। गार्ड ने पूछा, यह आपको कैसे पता चला। उन्होंने जवाब दिया, सफर के दौरान अहसास हुआ कि ट्रेन की गति में अंतर आ गया है। पटरी की तरफ से आने वाली आवाज में बदलाव हुआ है।
उनकी इस बात की पुष्टि करने के लिए गार्ड जब कुछ दूरी आगे चला तो दंग रह गया। वहां पर पटरी के नट-बोल्ट बिखरे पड़े थे। अंग्रेज यह देखकर दंग रह गए और उनसे माफी मांगी।
इकलौते इंजीनियर जिसने 75 फुट ऊंची की सीढ़ी पर चढ़ने का साहस जुटाया
एक बार देश के कुछ चुनिंदा इंजीनियरों को अमेरिका भेजा गया ताकि वे वहां की फैक्ट्रियों की वर्किंग को समझ सकें। फैक्ट्री के एक ऑफिसर ने कहा, अगर मशीन को समझना चाहते हैं तो 75 फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़ना पड़ेगा। इतनी ऊंची सीढ़ी देखकर सभी इंजीनियर पीछे हट गए लेकिन उस समूह में सबसे उम्रदराज होने के बाद भी डॉ. मोक्षगुंडम ने कहा, मैं देखूंगा।
वह सीढ़ी पर चढ़े और मशीन को देखा। उनके बाद सिर्फ दो और इंजीनियर चढ़े। उनका साहस देखकर अमेरिका की फैक्ट्री में लोगों ने तारीफ की।
लम्बी उम्र का रहस्य बताया
102 साल की उम्र में डॉ. मोक्षगुंडम का निधन हुआ। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह अंतिम समय तक एक्टिव रहे। एक बार इनसे इतनी लम्बी उम्र का रहस्य पूछा गया है तो उन्होंने जवाब दिया।
कहा- जब बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटाता है तो मैं भीतर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है। और वह निराश होकर लौट जाता है। बुढ़ापे से मेरी मुलाकात ही नहीं हो पाती है तो वह मुझ पर कैसे हावी हो सकता है।
इसलिए कर्नाटक के भागीरथ कहलाए
डॉ. मोक्षगुंडम को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। मात्र 32 साल की उम्र में उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे तक पानी पहुंचाने के लिए एक प्लान बनाया। वो प्लान सभी इंजीनियरों को पसंद आया। उन्होंने बांध से पानी के बहाव को रोकने वाले स्टील के दरवाजे बनवाए, जिसकी तारीफ ब्रिटिश अधिकारियों ने भी की। आज भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। विश्वेश्वरैया ने मूसा औरा इसा नाम की दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान तैयार किए। इसके बाद उन्हें मैसूर का चीफ इंजीनियर नियुक्त किया गया।
वो उपलब्धियां जो डॉ. मोक्षगुंडम के नाम रहीं
डॉ. मोक्षगुंडम के नाम कई उपलब्धियां रही हैं। इनमें कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, महारानी कॉलेज, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण, वो उपलब्धियां हैं जो लोगों की जुबां पर हैं। इन्होंने भारत की एक बड़ी चीनी मिल स्थापित करवाने के अलावा भी कई बड़े निर्माण कराए।
1912 में जब मैसूर के महाराज ने इन्हें अपना मुख्यमंत्री घोषित किया तो इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। इनके कार्यकाल में स्कूलों की संख्या 4500 से बढ़कर 10,500 तक पहुंची।
बेंगलुरू में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और मुम्बई में प्रीमियर ऑटोमोबाइल फैक्ट्री भी इनकी मेहनत का नतीजा थी।
मैसूर में जन्मे सर विश्वेश्वरैया 12 साल के थे जब उनके पिता का निधन हुआ। चिकबल्लापुर से शुरुआती पढ़ाई के बाद वे बीए की डिग्री के लिए बेंगलुरू चले गए। 1881 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से पढ़ाई पूरी की।
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कैंसर और हृदय रोगों का खतरा घटाना है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाना है तो रोज एक सेब खाएं, रिसर्च में भी यह बात साबित हुई
एन एप्पल अ डे कीप्स द डॉक्टर अवे....। अंग्रेजी की यह कहावत सबसे पहले 1913 में प्रकाशित हुई थी। यानी रोज एक सेब खाते हैं तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें विटामिन C पाया जाता है जो रोगों से लड़ने की ताकत देता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर के लिए हानिकारक तत्वों को कंट्रोल में रखता है। अब तक हुई रिसर्च के नजरिए से जानिए क्यों रोज एक सेब खाना आपके लिए जरूरी है...
सेब खाने के पांच फायदे
1. दिल के लिए फायदेमंद
सेब से हृदय रोगों का खतरा कम होता है। यह दावा 20 हजार से अधिक लोगों पर हुई एक रिसर्च में किया गया है। जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, सेब में फायबर और पॉलीफिनॉल पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय रोगों को खतरा घटाता है। सेब आपकी कमर का साइज घटाता है जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और हृदय रोग होने की आशंका कम हो जाती है।
2. कैंसर का खतरा घटाता है
एंटी ऑक्सीडेंट और फ्लेवोनॉइड्स जैसे तत्वों के कारण सेब में ऐसे कई गुण होते हैं, जो कैंसर को पनपने से रोकते हैं। 41 से ज्यादा रिसर्च के एक रीव्यू के अनुसार- नियमित सेब खाने से लंग कैंसर का खतरा भी कम होता है। एक अन्य शोध के अनुसार, अधिक मात्रा में सब्जियां और फल खाने से कई तरह के कैंसर- जैसे स्टमक, कोलोन कैंसर के प्रति सुरक्षा मिलती है।
3. वजन घटाना है तो सेब खाएं
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है, यह ऐसी बीमारियों को रोक सकता है जो आगे चलकर मोटापा बढ़ाती हैं। रोजाना सेब खाते हैं तो आंतों में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले बैक्टीरिया पनपते हैं। यह पाचन क्षमता को बढ़ाते हैं और सूजन को रोकते हैं। इंसान को पेट भरा हुआ महसूस होता है, इसलिए मोटापा कंट्रोल हो जाता है।
4. फेफड़ों को स्वस्थ रखता है
ब्रिटेन में हुई रिसर्च कहती है सेब आपके फेफड़ों को भी स्वस्थ रखता है। ऐसे लोग जो हफ्ते में पांच सेब खाते हैं उनके फेफड़े बेहतर काम करते हैं। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, सेब फेफड़ों और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा घटाता है। इसमें ऐसे पोषक तत्व हैं जो कई तरह से शरीर को हेल्दी रखते हैं।
5. ब्रेन पावर बढ़ती है
एक रिसर्च कहती है, सेब आपकी ब्रेन पावर भी बढ़ाती है। इसके बारे में एक अफवाह भी है कि जितना कैफीन एक कप कॉफी में होता है, उससे ज्यादा एक सेब में होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें प्राकृतिक शुगर होती है जो आपको एनर्जी देती है। अगली बार दोपहर में कॉफी पीने का मन करे तो इसकी जगह एक सेब खाएं। यह ज्यादा फायदेमंद है।
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थकान के कारण नींद नहीं आ पाती तो सोने से पहले जरूर करें ये उपाय, मिलेगा फायदा
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Prostate cancer symptoms: The sign at night that could signal the deadly condition
What do India's high COVID recovery numbers really mean?
Vidya's hand-painted sari is a piece of art
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Your child’s top 5 gender questions
घर में डिप्रेशन पता लगाने का नया तरीका, दिन और रात में हार्ट बीट बढ़ी हुई हैं तो इसका मतलब है इंसान गंभीर डिप्रेशन और बेचैनी से जूझ रहा है
वैज्ञानिकों ने मरीज में डिप्रेशन पता लगाने का नया तरीका ढूंढा है। अगर मरीज की हार्ट बीट तेज है और रात में भी ऐसी ही रहती है तो यह डिप्रेशन का इशारा है। ऐसे लोगों में हार्ट बीट 10 से 15 बार प्रति मिनट तक बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों का कहना है हार्ट बीट दिन में अधिक रहती है, जैसे-जैसे रात होती है यह घटती है लेकिन सामान्य लोगों के मुकाबले रात में भी ज्यादा रहती है।
32 लोगों पर स्टडी हुई
रिसर्च करने वाली जर्मनी की गोथे यूनिवर्सिटी ने इसे समझने के लिए 32 लोगों पर रिसर्च की। इनमें से 16 ऐसे लोग थे जो डिप्रेशन से जूझ रहे थे और उनका हार्ट रेट जांचा गया। इसके अलावा 16 ऐसे लोगों को भी शामिल किया जिनमें अगले 4 दिन और 3 रातों तक डिप्रेशन नहीं दिखा। डिप्रेशन के 90 फीसदी मामलों में हार्ट रेट बढ़ा पाया गया। इससे नई जानकारी सामने आई।
ऐसे पता करें हार्ट रेट
एक्सपर्ट मानते हैं कि अधिक डिप्रेशन और बेचैनी की स्थिति में इंसान के हृदय पर दबाव अधिक पड़ता है और उसे ज्यादा काम करना पड़ता है। शरीर में सूजन की एक वजह मेंटल हेल्थ भी हो सकता है जो जिसका असर नर्व ओर हार्ट रेट पर पड़ता है। इसे समझने के लिए 24 घंटे फिटनेस ट्रैकर लगाकर हार्ट रेट का पता लगा सकते हैं।
मिनी इकोकार्डियोग्राम पैच से नजर रखी गई
रिसर्चर डॉ. कार्मेन शीवेक कहते हैं, अध्ययन के दौरान लोगों के सीने पर मिनी इकोकार्डियोग्राम पैच लगाए गए। दिन-रात इस पर नजर रखी गई। रिपोर्ट में सामने आया कि डिप्रेशन से जूझने वाले लोगों का हार्ट रेट सामान्य लोगों के मुकाबले बढ़ा हुआ था।
रिसर्चर्स का दावा है कि हार्ट रेट की मदद से डिप्रेशन की 81 फीसदी तक सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
अधिक हार्ट रेट मतलब गंभीर डिप्रेशन
यूरोपियन कॉलेज ऑफ न्यूरोसायको फार्मेकोलॉजी के मुताबिक, हार्ट रेट से ऐसे मरीजों के बारे में जानकारी मिलती है जो बहुत अधिक डिप्रेशन में हैं। ऐसे लोगों में डिप्रेशन दूर करने वाली 2 तरह की एंटी-डिप्रेसेंट दी गईं, लेकिन बेअसर रहीं।
रिसर्चर का कहना है कि अगर डिप्रेशन का शुरुआती स्टेज में पता चल जाए तो काउंसिलिंग और एक्सरसाइस से इलाज हो सकता है। अगर डिप्रेशन के कारण हार्ट रेट अधिक बढ़ रहा है तो कोरोनरी आर्टरी डिसीज या हार्ट फेल भी हो सकता है।
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अचार खाने के हैं ज्यादा शौकीन तो हो जाएं सतर्क, शरीर को ऐसे पहुंचाता है नुकसान
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लहसुन तेजी से कम करेगा चर्बी, बस इन 3 तरीकों से करें इस्तेमाल
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Coronavirus update: The way you speak could reduce the spread of COVID-19
कोरोना पॉजिटिव हैं तो अस्पताल जाएं या होम आईसोलेशन में रहे, यह कैसे तय करें; ऑक्सीमीटर की रीडिंग कितनी गिरने पर अलर्ट हो जाएं
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों के मन में कई सवाल अब भी घूम रहे हैं। कई सवाल होम आईसोलेशन से जुड़े भी हैं, क्योंकि अब अगर किसी को कारोना का संक्रमण होता है, तो जरूरी नहीं है कि उसे अस्पताल में भर्ती किया जाए। कोरोना से जुड़े ऐसे ही सवालों के जवाब मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के चिकित्सक डॉ. नरेश गुप्ता से जानिए...
पॉजिटिव होने पर घर या अस्पताल कहां आइसोलेट हों?
एक्सपर्ट : सरकार ने ढील इसलिए दी है क्योंकि अब लोगों में जागरूकता आ चुकी है। इसलिए अगर मरीज होम आइसोलेशन में रहना चाहते हैं, तो रह सकते हैं। लेकिन अगर लक्षण गंभीर हैं तो अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। घर में अगर आइसोलेट होना है तो जरूरी है एक अलग कमरा और बाथरूम हो। घर में भी कोई देख-रेख के लिए हो। घर में सभी जरूरी सुविधाएं हों तभी रहें।
पल्स ऑक्सीमीटर को कैसे समझें?
एक्सपर्ट : जो लोग स्वस्थ हैं, और उन्हें फेफड़े की बीमारी नहीं है, तो रीडिंग 95-100 प्रतिशत के बीच में होनी होनी। अगर ये गिरने लगे और 92 प्रतिशत तक आ जाए तो इसका मतलब बीमारी बढ़ रही है। इसमें यह भी देखा गया है कि अगर संक्रमण बढ़ता है, तो एक दम से परेशानी नहीं होती है, बल्कि धीरे-धीरे बढ़ती है। कई बार 80 फीसदी तक गिरने पर मरीज को परेशानी का अहसास होता है। इसलिए अगर ऑक्सीमीटर की रीडिंग 92 से नीचे आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसका एक और पैमाना है, जिसमें अगर बेस लाइन लेवल नीचे गिरने लगे तो मान लेना है कि स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
क्या संक्रमित से हाथ मिलाने पर वायरस पूरे शरीर में फैल जाता है?
एक्सपर्ट : हाथ मिलाने की जरूरत नहीं है, नमस्ते करें। अगर किसी संक्रमित से हाथ मिलाते हैं तो पूरे शरीर में वायरस नहीं फैलता है। वायरस उतनी ही जगह रहता है, जितने में व्यक्ति का हाथ संक्रमित के संपर्क में आया होता है। इसलिए हाथ मिलाने से या किसी के भी संपर्क में आने पर तुरंत साबुन या सैनेटाइजर से हाथ साफ करें।
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि माना संक्रमित के हाथ से दूसरे इंसान के हाथ में 10 वायरस आए। बिना हाथ धोये मुंह, नाक या आंख पर हाथ लगाया, तो वायरस शरीर के अंदर जाकर मल्टीप्लाई होने लगता है।
सामान्य जुकाम में भी यह चिंता होने लगती है कि कहीं कोरोना तो नहीं, ऐसे में क्या करें?
एक्सपर्ट : इन दिनों कई वायरल के केस कम हो गए हैं। इसके अलावा कुछ बीमारी ऐसी हैं, जो केवल मास्क लगाने से दूर नहीं होती हैं। उसके लक्षण कोरोना जैसे ही होते हैं, जैसे कि डेंगू, मलेरिया जो मच्छर के काटने से फैलता है। इससे बचने के लिये आस-पास सफाई रखें, मच्छर न पनपने दें। लेकिन अगर कोरोना के लक्षण हैं, या किसी संक्रमित के संपर्क में आए हैं तो एक बार जांच जरूर करा लें। जांच कराने से न घबरायें, अब सरकार ने बिना डॉक्टर के लिखे भी ऑन डिमांड जांच कराने की अनुमति दे दी है।
कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इसका क्या कारण हो सकता है?
एक्सपर्ट : इसके कई कारण हैं, लेकिन जो मुख्य हैं, वो यह कि जब किसी शहर या इलाके में संक्रमण कंट्रोल होता जाता है तो लोग रिलैक्स हो जाते हैं कि कोरोना चला गया। इसी चक्कर में जो लोग अब तब सावधानी बरत रहे थे, लापरवाह हो जाते हैं। अब बाजार भी खोल दिए गए हैं। वहां भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। इसके अलावा देश में टेस्टिंग की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई है। इसकी वजह से जैसे-जैसे टेस्ट बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे संक्रमित पकड़ में आ रहे हैं।
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