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कोरोनावायरस कान और इसके पीछे वाली मेस्टॉयड हड्डी को भी संक्रमित कर सकता है। इसके 2 मामले अमेरिकी शोधकर्ताओं के सामने आए हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च के दौरान 3 संक्रमित मृतक में से 2 के कान और इसके पीछे वाले हिस्से में कोरोनावायरस मिला है। रिसर्च करने वाले अमेरिका के जॉन हॉप्किंस स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों में कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं उनके कान की भी जांच की जानी चहिए।
अब सामने आई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि कोरोनावायरस शरीर के अंदरूनी किसी भी हिस्से तक पहुंच सकता है। यह नाक, गला और फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। कान में कोरोना के मिलने की बात चौकाने वाली है।
60 साल के पुरुष और 80 साल की महिला में मिला वायरस
JAMA ऑटोलैरंगोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, सिर और गर्दन की सर्जरी करने वाली टीम ने कोरोना के तीन मरीजों की जांच की। तीनों की मौत हो चुकी थी। इनमें दो महिलाएं और एक पुरुष था। एक महिला और एक पुरुष की उम्र 60 साल थी वहीं, तीसरी महिला की उम्र 80 साल थी। इनके शरीर के हिस्सों से स्वाब सैम्पल लिए गए।
तीन में से दो मरीजों के कान में मिला वायरस
80 साल की उम्र वाली महिला के दाहिने कान में कोरोना पाया गया। 60 के बुजुर्ग इंसान के दाई और बाईं कान की हडि्डयों में यह वायरस मिला। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब कोरोना कान के किसी हिस्से में मिला है। अप्रैल 2020 में कान में संक्रमण देखा गया था, तब संक्रमित शख्स के ईयरड्रम में सूजन आ गई थी।
कान में संक्रमण होने पर इलाज से पहले कोविड-19 की जांच जरूरी
ऐसे 20 मरीजों पर एक और रिसर्च भी हुई थी। इनमें कोरोना के संक्रमण नहीं दिख रहे थे। न ही इन्हें कानों से जुड़ी कोई तकलीफ थी। लेकिन संक्रमण फैलने के बाद कानों के सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ा। स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होती गई। जॉन हॉप्किंस स्कूल ऑफ मेडिसिन की नई रिसर्च में शोधकर्ताओं का कहना है कि कान में संक्रमण की स्थिति में किसी सर्जरी या इलाज से पहले कोविड-19 की जांच करनी चाहिए।