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फोटो-सेल्फी खिंचाने की होड़, चेहरे पर मुस्कान और हफ्तेभर का आउटिंग प्लान। फिलहाल ये नजारा अब नहीं दिख रहा। चेहरे पर मास्क ने फोटो का मजा खराब किया। टूरिस्ट प्लेस को छूने भर से मन में कोरोना का डर सता रहा है। कई महीनों तक लॉकडाउन में घर में कैद रहने के बाद पर्यटक अब धीरे-धीरे टूरिस्ट प्लेस की ओर लौट रहे हैं।
आज वर्ल्ड टूरिज्म डे है। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी शुरुआत 1980 में की थी। 40 साल में ऐसा पहली बार है जब टूरिस्ट प्लेस पर सबसे कम पर्यटक हैं। कोरोनाकाल में कितना बदला टूरिस्ट डेस्टिनेशन इन 8 तस्वीरों से समझिए....
आगरा : पर्यटक ताज का दीदार कर रहे लेकिन फोटो के लिए मारामारी नहीं
6 महीने के लम्बे इंतजार के बाद पर्यटकों को 21 सितम्बर से ताजमहल का दीदार करने का मौका मिला। यहां एक शिफ्ट में 2500 लोगों को ही एंट्री दी जा रही है। एक दिन में दो शिफ्ट की परमिशन दी गई है। कोरोना के कारण भीड़ पहले से कम है। फोटो और सेल्फी खिंचाने की हड़बड़ी नहीं दिख रही है। फोटो खिंचाने के लिए पर्यटक ताजमहल से थोड़े दूर ही नजर आते हैं।
पार्किंग से लेकर एंट्री टिकट तक सभी पेमेंट ऑनलाइन करने पड़ रहे हैं। दीवारों और बैरिकेड्स को छूने की मनाही है। मास्क लगाने और थर्मल स्क्रीनिंग के बाद एंट्री दी जा रही है। इतने नियमों को पार करते हुए पर्यटक अंदर पहुंच रहे हैं।
ताजमहल के केयरटेकर अमरनाथ गुप्ता कहते हैं, यहां के पूर्वी और पश्चिमी गेट को सैनेटाइज किया जाता है और हर पर्यटक की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए जमीन पर सर्किल बनाए गए हैं। देश के पर्यटकों के लिए टिकट की कीमत 50 रुपए और विदेशियों के लिए 1100 रुपए है।
जयपुर : हवामहल में पर्यटक घटे, कलाकारों का जोश नहीं
जयपुर के हवामहल में भले ही पर्यटक घटे हैं लेकिन यहां कल्चरल एक्टिविटी से जुड़े कलाकारों में जोश नहीं कम हुआ है। कम पर्यटकों के बीच मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वे अपना हुनर दिखाते नजर आ रहे हैं।
हवामहल मार्केट के एक दुकानदार का कहना है, पहले के मुकाबले आमदनी में 70 फीसदी तक की कमी आई है। विदेशी पर्यटकों से सबसे ज्यादा कमाई होती है और वहीं यहां नहीं पहुंच रहे। यहां जो भी भारतीय पर्यटक आ रहे हैं वो खरीदारी में उतना इंट्रेस्ट नहीं ले रहे हैं।
पेरिस : एफिल टॉवर में एस्केलेटर नहीं सीढ़ियों से जाना पड़ रहा
पेरिस के एफिल टॉवर का नजारा इस साल थोड़ा बदला है। कोरोना के कारण पर्यटकों की संख्या भी घटी है और उनका ग्रुप भी छोटा हुआ है। यानी अब एक ग्रुप में 2 से 3 पर्यटक ही नजर आ रहे हैं।
यहां टॉवर की चोटी तक पहुंचाने वाले एस्कलेटर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। पर्यटकों को ऊंचाई से नजारा देखने के लिए सीढ़ियों का रुख करना पड़ रहा है।
एंट्री के लिए पूर्वी टॉवर और बाहर निकलने के लिए पश्चिमी टॉवर की व्यवस्था है। इस दौरान कर्मचारी लगातार नजर रख रहे हैं कि इस व्यवस्था का सख्ती से पालन हो। सभी को मास्क लगाना जरूरी है और जिनकी उम्र 11 से कम है उन्हें फेस शील्ड लगाना अनिवार्य है। यहां हर साल 70 लाख लोग पहुंचते हैं।
इटली : एंट्री के लिए ऑनलाइन टिकट जरूरी पर 15 मिनट पहले पहुंचना पड़ेगा
यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल रोम के कोलोजियम में पहुंचने के लिए ऑफलाइन टिकट नहीं मिलेगा। इसकी ऑनलाइन बुकिंग के बाद भी दिए समय समय से 15 मिनट पहले पहुंचना होगा।
सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना जरूरी है। अगर नियम को तोड़ते हैं तो सीधे आपको बाहर कर दिया जाएगा। यहां 45 मिनट के बाद आपको बाहर निकलना होगा।
हॉन्गकॉन्ग : इस बार भीड़ कम लेकिन पर्यटकों की तैयारी में कमी नहीं
कोरोनाकाल में हॉन्गकॉन्ग का डिज्नीलैंड दोबारा 25 सितम्बर से खोला गया है। इसे गर्मियों में खोला गया था लेकिन कोरोना के मामले बढ़ने पर बंद कर दिया गया था। इस बार खास बात रही कि पर्यटकों की संख्या कम रही लेकिन इनके उत्साह में कमी नहीं थी। बड़ों से लेकर बच्चों तक रंगबिरंगी ड्रेस में नजर आए।
इस बार गाइडलाइन में काफी बदलाव हैं, जिसका सख्ती से पालन कराने की कोशिश की जा रही है। कर्मचारी हर तरफ नजर रख रहे हैं। डिज्नीलैंड के जिस हिस्से सबसे ज्यादा पर्यटक जाते हैं उसे कई बार सैनेटाइज कराया जा रहा है। रेस्तरां से लेकर राइडिंग तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है।
वेनिस : ग्रैंड कैनाल में इक्का-दुक्का बोट नजर आ रहीं, टूरिज्म टैक्स का प्लान ठंड बस्ते में गया
वेनिस की ग्रैंड कैनाल में पर्यटकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है लेकिन रफ्तार बेहद धीमी है। टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े फेबियो पिला कहते हैं, मैं 40 सालों से यहां काम कर रहा हूं लेकिन ऐसा हाल पहली बार देख रहा है। आखिरी बार यहां पर्यटकों की बड़ी भीड़ नवम्बर में देखी थी। मैं जितनी कमाई पर्यटकों से करता था वर्तमान में उसका मात्र 10 फीसदी ही कर पा रहा हूं।
फेबियो कहते हैं, अभी भी अमेरिका और चीन के लोगों को देश में एंट्री की परमिशन नहीं दी गई है। इटली के पर्यटक ही शॉर्ट ट्रिप के लिए यहां आ रहे हैं। पिछले साल बढ़ी हुई भीड़ के कारण यहां इस साल से 250 से 700 रुपए तक टूरिस्ट टैक्स वसूलने की तैयारी की जा रही थी जिस अब अगले साल के लिए टाल दिया गया है।
फ्रांस का पैलेस ऑफ वर्सेलिस : पहले यहां एक दिन 27 हजार लोग पहुंचते थे, अब 4500 की ही एंट्री
82 दिन बाद 6 जून को खुले फ्रांस के पैलेस ऑफ वर्सेलिस में कुछ भी छूने की मनाही है। अमूमन यहां एक दिन में 27 हजार लोगों को एंट्री दी जाती है लेकिन कोरोना के कारण नए नियम लागू किए गए हैं। इसके मुताबिक, महज 4500 लोग एक दिन में यहां आ सकते हैं। एक बार में 500 से अधिक लोगों की एंट्री नहीं दी जा रही है।
मास्क लगाना जरूरी है और 11 साल से कम के बच्चों को ले जाने की मनाही है। पैलेस के अंदर कुछ भी खाने-पानी पर पाबंदी है। यहां भी धीरे-धीरे ही सही पर्यटकों की रफ्तार बढ़ रही है।
फ्रांस का लॉवेर म्यूजियम : मास्क जरूरी और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य
फ्रांस के लॉवेर म्यूजियम में जाने के लिए पर्यटकों का उत्साह इतना ज्यादा रहा कि इसके खुलते ही पहले हफ्ते के सभी टिकट ऑनलाइन बिक गए। इसकी शुरुआत इटेलियन पेंटर की प्रदर्शनी के साथ की गई।
म्यूजियम को दिन में दो बार सैनेटाइज किया जा रहा है। अंदर जाने से पहले मास्क पहना जरूरी है और एक साथ कई लोगों के दिखने पर पाबंदी है।
काली मिर्च का इस्तेमाल पुलाव और सब्जियों का जायका बढ़ाने के लिए किया जाता है। पर ये सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाती बल्कि सेहत भी दुरुस्त रखती है। इसे भोजन में शामिल करके कई समस्याओं को दूर रखा जा सकता है।
हल्दी और काली मिर्च को मिलाकर दूध में डालकर पी सकते है। यह पेय आमतौर पर गंभीर सर्दी से पीड़ित मरीजों को दिया जाता है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन-ए और कैरोटिनॉयड से युक्त होता है जो बीमारियों से लड़ने में भी मददगार होता है।
कोरोनाकाल में इसे खाने में शामिल करना जरूरी है ताकि शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़े। कोलम्बिया एशिया अस्पताल, गाजियाबाद की डाइटीशियन डॉ. आदिति शर्मा बता रही हैं, इसे फायदे और इस्तेमाल करने का तरीका
इसे चबाकर खाने से पाचन सुधरता है
काली मिर्च पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है। जब इसे चबाकर खाया जाता है, तो हाइड्रोक्लोरिक एसिड पेट से निकलता है और यह प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है। हाइड्रोक्लोरिक एसिड आंतों को साफ करने और पेट व आंत के कई रोगों से बचाव करने में मदद करता है। अपने खाने में एक चुटकी काली मिर्च जरूर शामिल करें।
क़ब्ज़ से बचाती है
भोजन में रोजाना बड़ी-सी काली मिर्च के इस्तेमाल से कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है। हर दिन काली मिर्च खाने से कोलोन कैंसर, कब्ज, दस्त और कई प्रकार की बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। ध्यान रहे, इसका अधिक सेवन न करें। हर रोज केवल एक चुटकी ही पर्याप्त है।
झुर्रियां कम करती है
यह स्किन प्रॉब्लम (पिगमेंटेशन) को होने से रोकती है और त्वचा के ओरिजनल कलर को बनाए रखने में मदद करती है। अगर बहुत कम उम्र से काली मिर्च का सेवन करते हैं तो झुरियां और स्किन प्रॉब्लम्स दूर हो सकती हैं। यह समय पूर्व बुढ़ापे और काले धब्बों को भी रोकती है।
वज़न घटाने में इसे ग्रीन टी के साथ लें
एक चुटकी काली मिर्च को ग्रीन टी में मिलाकर दिन में दो से तीन बार पिएं। इस मसाले में फाइटोन्यूट्रिएंट्स की प्रचुर मात्रा होती है, जो अतिरिक्त फैट को घटाने में मदद करता है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सुधरता है।
कैसे करें सेवन
जर्मनी के वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी की खोजी है जो कोरोना से लड़ने में असरदार है। इस एंटीबॉडी से पैसिव वैक्सीन तैयार की जा सकती है। पैसिव वैक्सीन के तहत वैज्ञानिक इस एंटीबॉडी को कोरोना पीड़ित के शरीर में पहुंचाएंगे। यह उन्हें कोरोना से लड़ने में मदद करेगी।
600 तरह की एंटीबॉडीज से इसे अलग किया
रिसर्च करने वाले जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडिजेनेरेटिव डिसीज के वैज्ञानिकों ने कोरोना से उबर चुके लोगों के खून से 600 तरह की एंटीबॉडीज अलग कीं। लैब में टेस्ट के बाद पता चला कि इनमें से कुछ एक्टिव एंटीबॉडीज कोरोना से लड़ने में असरदार साबित हो सकती हैं। उनसे एक एंटीबॉडी को लैब में सेल कल्चर की मदद से कृत्रिम रूप तैयार किया।
ऐसे काम करती है यह एंटीबॉडी
रिसर्चर्स का कहना है कि जो न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी लैब में तैयार की गई है वो कोरोना को बांधने का काम काम करती है। यह कोरोना को शरीर में घुसने और बढ़ने की प्रक्रिया पर रोक लगाती है। रिसर्च में दावा किया गया है कि इस एंटीबॉडी की मदद से शरीर की इम्यून कोशिकाएं कोरोना को खत्म कर देती हैं।
चूहों पर असरदार साबित हुई
इस एंटीबॉडी का चूहों पर सकारात्मक असर हुआ है। असर दो तरह से दिखा है। पहला, जो चूहे कोरोना से संक्रमित थे, उनमें इस एंटीबॉडी का हल्का असर दिखा। दूसरा, जिन चूहों में संक्रमण से पहले ये एंटीबॉडी डाली गईं वो बिल्कुल स्वस्थ रहे।
जर्नल सेल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चूहों में मौजूद कोशिकाएं इंसानी कोशिकाओं से मिलती जुलती हैं, इसलिए इस एंटीबॉडी को मरीजों के लिए भी प्रभावी मनाया गया है।
क्या होती है एंटीबॉडी
ये प्रोटीन से बनीं खास तरह की इम्यून कोशिकाएं होती हैं जिसे बी-लिम्फोसाइट कहते हैं। जब भी शरीर में कोई बाहरी चीज (फॉरेन बॉडीज) पहुंचती है तो ये अलर्ट हो जाती हैं। बैक्टीरिया या वायरस के विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करने का काम यही एंटीबॉडीज करती हैं। इस तरह ये शरीर को प्रतिरक्षा देकर हर तरह के रोगाणुओं के असर को बेअसर करती हैं।