Thursday, September 10, 2020
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डायबिटीज और ब्लड प्रेशर दिमाग की संरचना बदल रहे, नतीजा; लोगों की सोचना की क्षमता और याद्दाश्त घट रही
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर इंसान के दिमाग की संरचना बदल रहे हैं। इसलिए लोगों में सोचने की क्षमता और याद्दाश्त दोनों घट रही है। यह दावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह बदलाव ब्रेन के ग्रे और व्हाइट मैटर वाले हिस्से में हो रहा है। रिसर्च में 22 हजार से अधिक लोगों की ब्रेन स्कैनिंग की गई। इनमें 1100 डायबिटीज के मरीज भी शामिल थे।
सबसे ज्यादा असर 44 से 69 साल की उम्र में दिखता है
रिसर्च के दौरान इन लोगों की तुलना स्वस्थ लोगों के साथ की गई। दोनों की याद्दाश्त का स्तर देखा गया और रिएक्शन टाइम जांचा गया। रिसर्च में सामने आया कि हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के दिमाग पर सबसे ज्यादा असर 44 से 69 साल की उम्र में दिखता है। 70 साल से अधिक उम्र होने पर असर उतनी तेजी से नहीं दिखता।
जैसे-जैसे बीपी बढ़ता है दिमाग की परफॉर्मेंस घटती है
नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, जैसे-जैसे हाई ब्लड प्रेशर बढ़ता दिमाग की परफॉर्मेंस घटती जाती है। दिमाग के काम करने की क्षमता का एक सेकंड भी धीमा होना, बुरा असर छोड़ता है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर मसूद हुसैन के मुताबिक, रिसर्च में हमनें हृदय रोग और डायबिटीज से दिमाग पर पड़ने वाले असर को पता लगाने की कोशिश की है। इसका असर आने वाले समय में डिमेंशिया के रूप में पड़ सकता है।
प्रोफेसर मसूद हुसैन कहते हैं, दोनों ही बीमारी के रोगियों की एमआरआई के दौरान ब्रेन की संरचना जांची गई। डायबिटीज बढ़ने पर ब्रेन की नर्व डैमेज हो सकती हैं, इसलिए डिमेंशिया का रिस्क और भी बढ़ता है।
क्या होता है डिमेंशिया
डिमेंशिया भूलने की दिक्कत से अलग है। दरअसल, डिमेंशिया में हमारी सोचने-समझने की क्षमता लगातार कम होती जाती है। आम तौर पर इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे दिखते हैं और वक्त गुजरने के साथ गंभीर होते जाते हैं। इसलिए अक्सर घरवाले भी इसे नोटिस नहीं कर पाते।
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हेयर डाई का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं तो अलर्ट हो जाएं, इससे ब्रेस्ट, स्किन और ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ता है
ऐसी महिलाएं जो लगातार हेयर डाई का इस्तेमाल कर रही हैं, उन्हें वैज्ञानिकों ने सलाह दी है। वैज्ञानिकों का कहना है, हेयर डाई का इस्तेमाल करती हैं तो ब्रेस्ट, स्किन और ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में यह सामने आया है। बीएमजे जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, नेचुरल हेयर कलर से भी कैंसर का खतरा रहता है।
इसलिए महिलाओं में खतरा ज्यादा
रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका और यूरोप में 50-80 फीसदी महिलाएं बालों को कलर कराती हैं। इसलिए इनमें कैंसर का खतरा भी अधिक है। वहीं, पुरुषों में यह आंकड़ा मात्र 10 फीसदी ही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च के वैज्ञानिकों ने हेयर डाई को पहले ही कैंसर का खतरा बढ़ाने वाली चीजों में शामिल कर रखा है।
हेयर डाई और कैंसर के खतरे के बीच सम्बंध समझने के लिए 1,17,200 महिलाओं पर रिसर्च की। इन महिलाओं में से किसी को भी कैंसर नहीं था और न ही इनके परिवार में कोई हिस्ट्री थी। इन महिलाओं पर 36 साल तक नजर रखने के बाद नतीजे जारी किए गए।
हेयर डाई में ऐसे रसायन होते हैं तो काफी खतरनाक हैं। इनमें आमोनिया, परऑक्साइड, पी-फेनिलेनेडायमाइन, डाईअमीनोबेंजीन, टॉलुइन-2, 5-डाईअमीन और रिसॉर्सिनॉल शामिल हैं।
कैंसर का खतरा कम करने के लिए ये ध्यान रखें
- डाई करते समय ध्यान रखें कि इसे सिर्फ बालों पर लगाएं स्कैल्प पर न लगने दें।
- डाई को सूखने के बाद बालों को अच्छी तरह पानी से धोएं।
- डाई करते समय दस्ताने पहनना न भूलें।
- जो निर्देश पैकेट पर लिखे हों उसे ही फॉलो करें। इसमें बदलाव न करें।
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