Tuesday, September 1, 2020
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हार्ट डिसीज या डायबिटीज से जूझ रहे हैं और वजन घटाना चाहते हैं तो डाइट में ओट्स शामिल करें, एक्सपर्ट से समझिए इसके फायदे
ओट्स खासतौर पर उनके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है, जो वजन घटाना चाहते हैं, हृदय रोगी हैं या डायबिटीज से जूझ रहे हैं। इसे सुबह के नाश्ते या रात के खाने में भी खाया जा सकता है। इसमें फायबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह पेट के लिए कई तरह से फायदेमंद है।
हर साल 1 से 7 अगस्त तक नेशनल न्यूट्रीशन वीक मनाया जाता है। इस बार की थीम है ''ईट-राइट, बाइट-टू-बाइट"। इस मौके पर जयपुर की डायटीशियन इंदू टॉक बता रही हैं, सुपरफूड ओट्स कब, क्यों और कैसे खाएं?
ओट्स को कब और कितना लें?
ओट्स को हिंदी में जई कहते हैं। यह जौ की तरह दिखने वाला अनाज है। फायबर और कई जरूरी पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं। दूसरे अनाज की तुलना में इसमें गुड फैट और प्रोटीन अधिक पाया जाता है। इसमें विटामिन-बी, आयरन, मैग्नीज, फास्फोरस और जिंक भी है।
सामान्य लोग इसे सुबह-शाम नाश्ते में ले सकते हैं। अगर वजन बढ़ा हुआ है, डायबिटीज और हार्ट पेशेंट हैं तो इसे डिनर में भी शामिल कर सकते हैं। एक कटोरा ओट्स आधा कप दूध या दही के साथ ले सकते हैं। जिन्हें सीलियक रोग (गेहूं व अन्य अनाज से बने खाद्य पदार्थ से एलर्जी) हैं, वे ग्लूटेन फ्री ओट्स ले सकते हैं। ये मार्केट में उपलब्ध हैं।
किन लोगों के लिए ओट्स सबसे ज्यादा फायदेमंद ?
ये कोई भी खा सकता है। खासकर जो वजन कम करना चाहते हैं उन्हें डाइट में शामिल करना चाहिए क्योंकि इसमें कैलोरी कम होती है, फायबर अधिक होता है और भूख कंट्रोल में रहती है। यह शरीर में नमी बनाए रखता है। इसमें मौजूद फायबर और एंटीऑक्सीडेंट्स कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकते हैं जिससे हृदय और पेट के रोगों से राहत मिलती है।
फायबर स्टार्च को पचाकर ब्लड शुगर सामान्य रखता है, इसलिए डायबिटीज के रोगियों फायदा होता है। इसमें लिग्नेंस और एंटीरोलैक्टोन जैसे फायटोकेमिकल पाए जाते हैं जो ब्रेस्ट कैंसर से बचाते हैं।
ओट्स के पांच फायदे
- ओट्स या ओटमील का सेवन टोटल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को काफी कम कर देता है। इससे यह कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ (ब्लॉकेज) जैसी दिल की बीमारी से बचाता है।
- ओट्स में मौजूद फाइबर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को सही ढंग से कार्य करने में मदद करते हैं और आंतों में गुड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर पाचन सुधारते हैं।
- ओट्स में कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिनमें ‘एवेन्थ्रानमाइड्स' के पॉलीफेनोल समूह होते हैं। ये ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं।
- इसमें बीटा ग्लूकन होता है जो आंत में मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है और पेट को भरा हुआ महसूस कराता है। इससे भूख कम लगती है और वजन नियंत्रण में रहता है।
- इसमें मौजूद फाइबर इंसुलिन की संवेदनशीलता को दुरुस्त रखता है। इससे शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
यह कैसे तैयार होता है?
ओट्स यानी जई, जौ की प्रजाति का पौधा है। यह शरद ऋतु की फसल है। कटाई के बाद जई को कूटते हैं और भूसा व दाने अलग किए जाते हैं। इसके दानों को सेंककर तोड़ते हैं जिसे स्टील कट ओट्स कहते है। इसे दलिए के रूप में खाते हैं। इसके दानों को भाप में पकाकर बेलन से चपटा भी किया जाता है जिसे रोल्ड ओट्स कहते हैं। जई के आटे से बने इन दिनों बिस्किट काफी पसंद किए जा रहे हैं।
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जर्मन में जन्मे पहले जुड़वा पांडा ने फ्रोजन केक के साथ सेलिब्रेट किया बर्थडे, जन्म के समय ये 200 ग्राम से भी कम के थे अब 28 किलो के हुए
जर्मनी के बर्लिन चिड़ियाघर में पांडा के जुड़वा बच्चों ने 31 अगस्त को अपना पहला जन्मदिन बनाया। इस मौके पर उनके लिए चिड़ियाघर ने स्पेशल फ्रोजन केक तैयार कराया। यह जर्मनी के पहले ऐसे पांडा है जिनका जन्म इसी देश में हुआ है। ये दोनों बर्लिन चिड़ियाघर के स्टार हैं। जो भी यहां आता है बिना इनको देखे वापस नहीं जाता।
जन्म के समय वजन था 200 ग्राम, अब 28 किलो के हैं
इनमें एक का नाम पिट और दूसरे का नाम पॉले है। इनके पेरेंट्स चीन में हैं। जन्म के समय इनका वजन करीब 200 ग्राम से भी कम था। लेकिन अब ये 28 किलो के हो गए हैं।
चुकंदर के रस और फलों से तैयार हुआ केक
जनवरी से लोग इन्हें चिड़ियाघर में देख पा रहे हैं। चिड़ियाघर की देखरेख करने वाले एक कर्मचारी के मुताबिक, पांडा के फ्रोजन केक को चुकंदर के रस, सेब, स्वीट पोटेटो और बैंबू से तैयार किया गया है।
जन्मदिन पर काफी खुश नजर आए
चिड़ियाघर प्रशासन के मुताबिक, दोनों ने अपना पहला जन्मदिन 31 अगस्त को मनाया। इस मौके पर वे काफी खुश नजर आए और बार-बार केक का स्वाद चखने के बाद वापस इधर-उधर चहलकदमी करते नजर आए।
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बिल्लियों को कोरोना से बचाने वाली दवा से कोविड-19 के मरीजों का इलाज किया जा सकता है, यह वायरस की संख्या बढ़ाने वाले प्रोटीन को ब्लॉक करती है
बिल्लियों को कोरोना का संक्रमण होने पर दी जाने वाली दवा (GC373 और GC376) इंसानों को भी फायदा पहुंचा सकती हैं। यह दावा कनाडा की अल्बर्टा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने किया है। रिसर्चर्स के मुताबिक, यह दवा संक्रमण के बाद शरीर में कोरोना की संख्या (रेप्लिकेशन) बढ़ने से रोकती है। ऐसा होने पर संक्रमण रुकता है।
दवा कोरोना के प्रोटीन को तोड़ती है
अल्बर्टा यूनिवर्सिटी में बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट की प्रो. जॉनी लीमेक्स कहती हैं, शरीर में कोरोना को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है। हमने ऐसी दवा अलग की है जो इसी प्रोटीन को तोड़ती है ताकि संक्रमण के बाद कोरोना खुद को मरीज के शरीर में रेप्लिकेट न कर पाए।
खासतौर पर बिल्लियों के लिए तैयार हुई थी दवा
प्रो. जॉनी लीमेक्स के मुताबिक, पहले यह दवा बिल्लियों में कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए तैयार की गई थी। यह दवा इंसानों पर कितना असरदार है, इस पर 2003 में उस समय रिसर्च की गई थी जब सार्स महामारी फैली थी।
लैब में दिखा दवा का असर
प्रो. जॉनी लीमेक्स के मुताबिक, नए कोरोनावायरस के मामले बढ़ने पर हमने तय किया कि इस ड्रग पर रिसर्च करते हैं और पता करते हैं कि क्या यह वायरस को रोकने में मदद करती है या नहीं। इसके लिए एक टेस्ट ट्यूब में इंसानी कोशिकाओं और कोरोना को शामिल किया गया है। इसके बाद दवा का असर देखा गया। परिणाम सकारात्मक मिले।
अब ह्यूमन ट्रायल कराने की तैयारी
लीमेक्स मानती हैं, इस ड्रग से कोरोना पीड़ितों का इलाज किया जाता है तो यह असरदार साबित होगा। इसलिए ड्रग का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए अनुमति लेने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा इस ड्रग को अलग-अलग से इस्तेमाल करने की तैयारी भी जारी है।
अप्रैल में मिला था बिल्लियों में कोरोना का पहला मामला
21 अप्रैल को न्यूयॉर्क की दो पालतू बिल्लियां कोरोनावायरस से संक्रमित मिली थीं। प्रशासन के मुताबिक, बिल्लियों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई और अमेरिका में संक्रमित होने वाली ये पहली पालतू जानवर थीं। सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, बिल्लियों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। माना जा रहा है कि इन्हें घर या पड़ोस के लोगों से संक्रमण हुआ। अप्रैल में ही न्यूयॉर्क सिटी के ब्रॉन्क्स चिड़ियाघर में 4 साल की बाघिन भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। 22 अप्रैल को यहां संक्रमण का दायरा बढ़ा और 4 बाघ और 3 शेर कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
बिल्ली से दूसरे जानवरों में संक्रमण का खतरा ज्यादा : चीनी शोधकर्ता
चीनी शोधकर्ता पहले ही पालतू बिल्लियों के मालिकों को सतर्क रहने की सलाह दे चुके हैं। चीन के हरबिन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं का कहना है कि एक बिल्ली के संक्रमित होने पर दूसरे जानवर जैसे कुत्ते, मुर्गी, सुअर और बत्तख में कोरोना फैलने का खतरा ज्यादा है। बेल्जियम में एक बिल्ली के कोरोना संक्रमित होने पर उसे सांस लेने में तकलीफ, उलटी और डायरिया के लक्षण मिले थे।
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मोटापा और डायबिटीज कंट्रोल करना है तो शुगर-फ्री डाइट लेना शुरू करें, रोजाना 350 कैलोरी से अधिक शक्कर लेने से बढ़ता है बीमारियों का खतरा
शुगर फ्री डाइट का चलन बढ़ रहा है। कारण बढ़ता मोटापा, डायबिटीज के रोगी और बिगड़ता मेटाबॉलिज्म है। बिना चीनी वाला भोजन कई तरह की बीमारियों से भी बचाने के साथ वजन कंट्रोल रखता है। इस डाइट में ज्यादातर फूड पोषक तत्व से भरपूर होने के साथ नेचुरल सोर्स से जुड़े होते हैं। हर साल 1-7 सितंबर के बीच नेशनल न्यूट्रिशन वीक मनाया जाता है। इस साल की थीम है 'ईट राइट, बाइट बाइ बाइट'। इस थीम के मुताबिक ऐसे
फूड को डाइट में शामिल करना है जो सेहत के लिए सही हों। न्यूट्रिशनिस्ट सुरभि पारीक बता रही हैं, क्या है शुगर फ्री डाइट और यह कैसे काम करती है।
क्या है शुगर-फ्री फूड
शुगर-फ्री भोजन का मतलब है कि उसमें जरूरत से ज्यादा चीनी का न होना। इसमें सिंपल कार्बोहाइड्रेट भी शामिल है। रोजाना 350 कैलोरी से अधिक शुगर लेने से मोटापा, मधुमेह और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा जरूरत से ज्यादा शुगर लेना शरीर के इम्यून सिस्टम को भी कमजोर बनाता है। आम चीनी में सिंपल कार्बोहाइड्रेट होते हैं। ये जल्दी पचते हैं और तुरंत खून में चले जाते हैं। इससे ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
कुछ लोग सोचते हैं कि शुगर-फ्री भोजन का अर्थ है हर तरह की चीनी लेना बंद कर देना। लेकिन ऐसा नहीं है। सिर्फ अतिरिक्त शक्कर या अधिक शुगर वाले प्रोडक्ट को लेने से बचना है।
कैसे करती है काम शुगर-फ्री डाइट
शुगर-फ्री भोजन करने से ब्लड शुगर में अचानक बदलाव नहीं आता। इन्हें लेने से मैटाबोलिक रेट में सुधार होता है और आप पेट भरा हुआ महसूस करते हैं। आप के शरीर में प्रोटीन और वसा से ऊर्जा पैदा होती है। इससे धीरे-धीरे वजन भी कम होने लगता है। ऐसे भोजन में कई खाने वाली चीजों को पूरी तरहबंद कर दिया जाता है। कुछ को ही शामिल किया जाता है। खट्टे फल ज्यादा खाए जाते हैं।
क्या खाएं
- ज्यादा फाइबर वाली चीजें जैसे, चाइना सीड, बैरी, टमाटर और ब्राउन राइस।
- साबुत अनाज, ओट्स, चने का आटा, मोटे अनाज और दूसरे हाई फाइबर फूड।
- हेल्दी फैट जैसे जैतून का तेल, अखरोट, बादाम और कद्दू के बीज आदि लें।
- बिना मलाई वाला दूध, दही, मट्ठा वगैरह, दालें छिलके के साथ। अंडे, मछली भी ले सकते हैं
- फलों में पपीता, सेब, संतरे, अमरूद वगैरह खा सकते हैं।
- ज्यादा रेशे वाली सब्जियां जैसे मटर, फलियां, गोभी, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां।
- इनके अलावा मौसमी सब्जियों को जरूर डाइट में शामिल करें।
क्या न खाएं
- जंक फूड, मिठाई, कैंडी और रिफाइंड अनाज से बनी चीजें।
- सोडा, मीठे पेय, गन्ने से बनी चीनी और टेबल शुगर।
शुगर-फ्री भोजन के फायदे
- वजन घटता है और डायबिटीज का खतरा कम होता है।
- शुगर-फ्री चीजों को पचने में ज्यादा समय लगता है। साथ ही इनमें लंबे समय तक ऊर्जा मिलती।
- ऐसे खानपान से दिनभर ब्लड शुगर का लेवल एक जैसा बना रहता है।
- शुगर-फ्री भोजन उम्र के प्रभाव को कम करके लंबे समय तक जवां दिखने में मदद करता है।
- पाचनतंत्र की बात करें तो कम चीनी और ज्यादा फाइबर वाला भोजन इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आंतों का रोग, पेट फूलना, बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाए रखता है।
- चीनी का सेवन कम करने से फैटी लिवर रोग की आशंका कम हो जाती है।
- शुगरफ्री भोजन की मदद से शरीर की सूजन को कम किया जा सकता है।
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