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ज्यादातर लोगों को गलतफहमी है कि घी सिर्फ शरीर में फैट और हृदय रोगों का खतरा बढ़ाता है। जबकि यह बात पूरी तरह सच नहीं है। सबसे जरूरी बात है कि घी कौन सा खाया जा रहा है, कितना ले रहे हैं और खाने वाला शारीरिक रूप से कितना एक्टिव है। न्यूट्रीशन वीक के मौके पर सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर के ऑफिशियल ब्लॉग से जानते हैं घी शरीर के लिए कितना जरूरी है और इससे जुड़े भ्रम व तथ्य...
घी शरीर के लिए जरूरी क्यों है?
भारत में घी एक विरासत की तरह है। यह स्किन को बेहतर बनाने के साथ मेमोरी को भी शॉर्प करता है। ऐसे लोग जो कब्ज से परेशान हैं उनके लिए भी यह फायदेमंद है। यह स्किन को चमकदार बनाता है, जोड़ों में घर्षण पैदा करता है ताकि वे आसानी से मूव कर सकें। इसके अलावा इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाता है और दिल को सेहतमंद रखने के साथ कैंसर के खतरे को कम करता है।
शरीर में विटामिन-डी एब्जॉर्ब हो इसके लिए डाइट में घी जरूर शामिल करें। यह ब्लड शुगर को रेग्युलेट करने के साथ मेटाबॉलिक डिसऑर्डर का रिस्क कम करता है। साथ ही खाने के साथ मिलकर उसका ग्लाइसीमिक इंडेक्स घटाता है। इसलिए इसे सीमित मात्रा में डायबिटीज और मोटापे से परेशान लोग ले सकते हैं।
मार्केट में कई तरह के घी मौजूद हैं, कौन सा लेना बेहतर है?
दूध की मलाई से तैयार किया जाने वाला देसी घी सबसे बेहतर है। यह इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह गाय के दूध से तैयार किया जाता है। गाय के खाने में ज्यादातर हरी सब्जियां या पत्तियां शामिल होती हैं इसलिए इसके दूध से तैयार घी अधिक फायदेमंद है। ये न उपलबध होने पर भैंस के दूध से तैयार घी भी ले सकते हैं। दोनों तरह का घी न उपलब्ध होने के बाद ही जर्सी गाय के दूध से तैयार घी लें।
घी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
सबसे जरूरी बात है कि घी ऐसा होना चाहिए जो दूध से मलाई और मलाई से तैयार मक्खन को मथकर बनाया गया हो न कि मलाई जो पकाकर। इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू ज्यादा होती है।
घी डाइट में किस रूप में शामिल करना चाहिए?
शुद्ध घी को किसी भी रूप में खाया जा सकता है। घी का इस्तेमाल डीप फ्राय करने, तड़का लगाने या फिर दाल-रोटी और परांठा बनाने में कर सकते हैं। पंजे और माथे पर इसे लगाने से ये रिलैक्सेशन देता है जिससे नींद अच्छी आती है। इसका स्मोकिंग प्वाइंट हाई होने के कारण इसे गर्म करने पर पोषक तत्व खत्म नहीं होते।
घी हमेशा से ही बहस का विषय रहा है कि यह ओवरवेट लोगों के लिए कितना सही है और क्या यह हृदय रोगों का कारण बनता है, यह कितना सही है?
बहस इसलिए होती रही है क्योंकि लोग घी और सेचुरेटेड फैट को लेकर भ्रमित रहते हैं। लेकिन लोगों में अवेयरनेस बढ़ रही है और समझ पा रहे हैं कि हर तरह का फैट बुरा नहीं होता। सभी सेचुरेटेड फैट एक जैसे नहीं होते। घी में विशेष कार्बन संरचना पाई जाती है जो इसमें मौजूद गुणों के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, कंजुगेटेड लाइनोलिक एसिड और विटामिन-ए, ई और डी पाया जाता है जो दिल को सेहतमंद रखता है।
मात्र 8 हफ्ते पहले जन्मे बच्चे ने अपने पिता को हैलो बोलकर दुनिया को चौका दिया है। यह सबसे कम उम्र में बोलने वाला दुनिया का पहला बच्चा बन गया है। यह बच्चा ब्रिटेन के रहने वाले निक और कैरोलिन का है। जो बार-बार अपने पिता के कहे शब्द को रिपीट करता है। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ है।
अचानक बच्चे ने बोला हैलो
एक वीडियो में निक अपने बेटे को हैलो बोल रहे हैं, इसके बाद बच्चा भी जवाब में हैलो कह रहा है। वीडियो को बच्चे की मां कैरोलिन ने शूट किया है। कैरोलिन कहती हैं ऐसा अचानक हुआ है। हम उससे हैलो बोलने के लिए कह रहे थे और उसने सुनने के बाद वापस यही शब्द बोला।
बार-बार मुस्कुराता है
कैरोलिन कहती हैं, हम इसका वीडियो बार-बार देखते हैं। हमें गर्व का अनुभव हो रहा है। यह इस उम्र में बार-बार मुस्कुराता भी है। आमतौर पर बच्चे 10 से 14 महीने की उम्र में बोलना शुरू करते हैं। हमारी दूसरी ने छह माह की उम्र में बोलना शुरू किया था।
सोशल मीडिया पर मिल रहे तरह-तरह के कमेंट
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इसे मिरेकल बॉय बता रहे हैं तो कुछ इसे आश्चर्य जनक बता रहे हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जो दुनिया के पहले बोलने वाले बच्चे के दावे पर सवाल भी उठा रहे हैं। उनका कहना है, बच्चा यूं ही कुछ बोल रहा है। यह हैलो नहीं कर रहा।
## ## ##देश में पहली बार प्लाज्मा के लिए एयर कॉरिडोर बनाया गया। श्रीनगर में कोरोना से संक्रमित 60 साल की बुजुर्ग महिला के लिए प्लाज्मा बेंगलुरू से श्रीनगर भेजा गया। 3 हजार किलोमीटर का सफर 8 घंटे में तय करने के बाद प्लाज्मा मंगलवार दोपहर को श्रीनगर पहुंचा। महिला गवर्नमेंट हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती है।
लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कॉरिडोर को कॉर्डिनेट करने वाले डॉक्टर के बताया, हम रविवार से श्रीनगर में भर्ती महिला के परिवार से सम्पर्क में हैं। प्लाज्मा बेंगलुरू के एचसीजी हॉस्पिटल से भेजा गया है। इसे एक इंसुलेटेड बॉक्स में फ्रोजेन जेल पैक के साथ रखा गया था।
24 घंटे से भी कम समय में मिली अनुमति
प्लाज्मा की व्यवस्था करने और सरकार से अनुमति मिलने में 24 घंटे से भी कम वक्त लगा। इसे जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए बेंगलुरू एयरपोर्ट और इंडिगो एयरलाइन से तैयारी करने को कहा गया।
इससे पहले अगस्त में सड़क के रास्ते ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बेंगलुरू से चेन्नई पहुंचाया गया था प्लाज्मा। ठीक वैसे ही जैसे पहले ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए यह व्यवस्था बनाई जाती है।
कनेक्टिंग फ्लाइट से पहुंचा प्लाज्मा
प्लाज्मा ले जाने वाली विमान कम्पनी इंडिगो के मुताबिक, पहले प्लाज्मा बेंगलुरू से दिल्ली पहुंचाया गया। फिर दिल्ली से कनेक्टिंग फ्लाइट के जरिए विमान ने श्रीनगर के लिए उड़ान भरी।
इंडिगो दुनिया की दूसरी ऐसी एयरलाइन है जिसने प्लाज्मा को सफलतापूर्वक डिलीवर किया है। इंडिगो के सीईओ रॉनजॉय दत्ता के मुताबिक, देश में पहली बार एयर कॉरिडोर से पहुंचने वाले प्लाज्मा का कोविड-19 मरीजों के इलाज में सकारात्मक असर हो सकता है।