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COVID or no COVID, your car can be one of the germiest places you might be touching or using. Don't just leave a deep clean and wash pending for the next service!
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Indian brides are breaking the internet in the lockdown with their throwback wedding pictures and no one's complaining. Whether it's their wedding decor or ensembles, every detail gone into the wedding is praiseworthy. We came across one such bride, who stunned us with her rather unique wedding outfit.
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When it comes to body hair, ingrown hair is one of the common beauty problems. Whether you shave or pluck, getting rid of this beauty woe is not easy, we know. As the hair grows inside the skin, it can't be easily removed by shaving or waxing. If you're looking for a solution, here's our guide on how you can get rid of ingrown hair for good:
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Our current lifestyle forces us to be sedentary for long hours. This can cause a number of different health-related problems. Most of the times, it slows blood circulation to your legs and feet. This means oxygen and a number of different nutrients do not reach the lower part of your body.
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Many people would swear that physical intimacy releases the utmost amount of pleasure between couples. However, we cannot overlook the claims of people who have thrived in their relationships on a sincerely platonic note. That being said, there’s no doubt that both physical love and emotional bonds are important in a love affair. But there are many who value good conversations over good sex. If you or your partner fall under any of these zodiac signs, then you’re surely for keeps.
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PRINCESS BEATRICE, 30, and her fiancé Edoardo Mapelli Mozzi, 37, married on Friday. They wed in a secret ceremony, later revealed by the royals. What did a body language expert make of the drastically different royal wedding?
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DEMENTIA currently has no cure but research is shedding light on the lifestyle habits that may contribute to developing it. To that end, a particular food group is to be avoided.
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DIABETES type 2 symptoms include tiredness, and passing more urine than normal, and feeling very thirsty. But you could also be at risk of high blood sugar if you start to lose weight unexpectedly. When could your weight loss be a sign of diabetes?
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अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो इस सदी के अंत तक अधिकतर ध्रुवीय भालू (पोलर बीयर)विलुप्त हो जाएंगे। यह दावा नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशितएक अध्ययन में किया गया है। 2100 तक कुछ ही पोलर बीयरकनाडा के क्वीन एलिजाबेथ द्वीपसमूह में बचेंगे। शोध के मुताबिक, 2040 की शुरुआत में कई पोलर बीयर की प्रजनन क्षमता खत्म होने लगेगी। इसके बादइनके लुप्त होने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
19 में से 13 प्रजातियों पर अध्ययन किया
रिसर्च के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पोलर बीयर की 19 में से उन 13 प्रजातियों का अध्ययन किया है जिनकी दुनियाभर में जनसंख्या का 80 फीसदी तक है। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने कनाडाई आर्कटिक इलाके के द्वीपसमूहों के पोलर बीयर्स को छोड़ दिया है। इसकी वजह यह है कि यहां के भौगोलिक इलाके में इनकाअनुमान लगाना बेहद मुश्किल है।
हाल ही में भूख से तड़पते और कंकाल जैसे दिखते पोलर बीयर की तस्वीरें वायरल हुई थीं
दुनियाभर में 19 प्रजातियां के 26000 पोलर बीयर्स
दुनियाभर में इनकी 19 प्रजातियां के 26000 पोलर बीयर्स हैं। ये नार्वे से लेकर कनाडा और साइबेरिया में तक पाए जाते हैं। पोलर बियर्स भोजन के लिए मछलियों पर निर्भर रहते हैं। ये बर्फ के गड्ढ़ों में मिलने वाली मछलियों को पकड़कर खाते हैं। कई बार इन्हें भोजन खोजने में कई दिन लग जाते हैं। हाल ही में भूख से तड़पते और कंकाल जैसे दिखते पोलर बीयर की तस्वीरें वायरल हुई थीं।
इसलिए घट रही इनकी जनसंख्या
जैसे-जैसे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है ग्लेशियरों कीबर्फ पिघलती जा रही है। इनकी घटती संख्या के पीछे यह सबसे बड़ा कारण है। शोधकर्ताओं का दावा है कि जैसा हमने अंदाज लगाया था, इनके प्रजनन में होने वाली गिरावट वैसी ही है। एक वक्त ऐसा आएगा जब इन्हें लम्बे समय तक भोजन नहीं मिल पाएगा और ये प्रजनन के लायक नहीं बचेंगे।
ग्रीनहाउस गैस पर लगाम लगना जरूरी
अगर ग्रीनहाउस गैसों पर लगाम नहीं लगाई तो 2080 तक अलास्का और रूस के सारे भालूखत्म होने शुरू हो जाएंगे। 2100 तक पूरी दुनियामें इनकी आबादी खत्म हो सकती है। ये लम्बे समय तक भूखे जिंदा रह तो सकते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति लगातार रही तो इनका शरीर कमजोर हो जाएग और प्रजनन करने लायक नहीं बचेंगे।
रूसी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि पोलर बियर नरभक्षी हो रहे हैं
नरभक्षी हो रहे हैं पोलर बीयर
जलवायु परिवर्तन और मानवीय दखल ध्रुवीय भालुओं के व्यवहार में भी बदलाव ला रहा है। रूसी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है, ये भालूनरभक्षी हो रहे हैं। वे भोजन की तलाश में लंबी-लंबी दूरी तय मनुष्यों के संपर्क में आ रहे हैं। इतना ही नहीं घटते भोजन स्रोतों के चलते वे एक दूसरे कोमार भीरहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा निशाना बच्चों वाली मादाओं को बनाया जा रहा है।
खाने की कमी से बढ़ रही लड़ाई
शोधकर्तामॉर्डविंटसेव के मुताबिक, ध्रुवीय भालुओं के नरभक्षी होने के मामले काफी लंबे समय से ज्ञात हैं, लेकिन हमें चिंता है कि ऐसे मामले बहुत कम होने चाहिए, जबकि अब अक्सर मामले रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। इसके अलावा भालुओं में खाने की कमी से आपसी लड़ाई भी बढ़ी है, जो दोनों में से किसी एक की जान ले लेती हैं। आकार और ताकत में बड़े भालू अक्सर बच्चों वाली मादाओं को निशाना बना रहे हैं। बड़े भालुओं का बच्चों को मार कर खाना दूसरे शिकार को करने से ज्यादा आसान है।
आर्कटिक में 25 साल में 40% बर्फ पिघली
पिछले 25 सालों के दौरान हुए जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक में बर्फ 40% तक पिघल गई है। इससे ध्रुवीय भालुओं के भोजन स्रोत तेजी से घटे हैं। भालू बर्फ के नीचे पानी में तैरती सील मछली का शिकार में करते हैं। मॉर्डविंटसेव ने बताया, इस बार की सर्दियों में भालुओं को रूस स्थित ओबी की खाड़ी से लेकर बेरेंट्स सागर तक शिकार करते देखा गया। यह मार्ग एलएनजी (लिक्वफीड नेचुरल गैस) प्लांट से गैस लाने वाले समुद्री जहाजों का व्यस्त रूट है।
खाना जमा करने लगे धुव्रीय भालू
इसी साल फरवरी मेंप्रकाशित हुए एक अन्य शोध में पाया गया, भालू अपने जैसे बड़े शिकार के शवों को बर्फ और मिट्टी के नीचे दबा रहे हैं, ताकि बाद में जरूरत पड़ने उसे निकालकर खाया जा सके। वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को कैशिंग कहा है। खाना छिपाने का यह व्यवहार भूरे भालुओं में पाया जाता है, जो 5 लाख साल पहले पोलर बियर से विकसित होकर अस्तित्व में आए थे।
एक चुनौती ये भी
जीवाश्म ईंधन की खोज के लिए कंपनियों तेजी से धुव्रीय क्षेत्रों का रुख कर रही हैं। इससे ध्रुवीय भालुओं का आवास क्षेत्र सिकुड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से तापमान बढ़ रहा है। इससे बर्फ पिघल रही है, जिससे भालुओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी हैं।
CORONAVIRUS symptoms may be very subtle, and could easily be missed. But you could also be at risk of COVID-19 infection if you develop any of these 11 most common signs. Should you consider self-isolating with a cough, fever or loss of smell or taste?
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सोमवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना की वैक्सीन ट्रायल के बेहतर नतीजे सामने आने के बाद दो और वैक्सीन से उम्मीदें बढ़ गई हैं। इनके भी शुरुआती ट्रायल के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक रहे हैं। पहली वैक्सीन चीनी फार्मा कम्पनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स की है जिसका अगले चरण का ट्रायल चल रहा है। कैनसिनो वेस्टर्न फार्मा को पीछे छोड़कर दुनिया की पहली वैक्सीन तैयार करने की कोशिश में है।
तीन बड़ी वैक्सीन के ट्रायल का स्टेटस
पहली : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन सुरक्षित और असरदार साबित हुई
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बन रही कोरोनावायरस की वैक्सीन के पहले क्लीनिकल ट्रायल के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। सोमवार को मेडिकल जर्नल द लैंसेट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है। इस जानकारी के बाद ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन फ्रंटरनर वैक्सीन की लिस्ट में आगे आ गई है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए ट्वीट में भी कहा गया है कि AZD1222 नाम की इस वैक्सीन को लगाने से अच्छा इम्यून रिस्पांस मिला है। वैक्सीन ट्रायल में लगी टीम और ऑक्सफोर्ड के निगरानी समूह को इस वैक्सीन में सुरक्षा को लेकर कोई चिंता वाली बात नजर नहीं आई और इससे ताकतवर रिस्पांस पैदा हुआ है।
दूसरी : चीनी कम्पनी कैनसिनो के दो ट्रायल पूरे, नतीजे उम्मीदों के मुताबिक मिले
कैनसिनो बायोलॉजिक्स दुनिया की उन कम्पनियों में से एक है जिसने मई में पहले ट्रायल के पूरे नतीजे पेश किए थे। ह्यूमन ट्रायल में तेजी के कारण यह कम्पनी चर्चा में रही थी। कम्पनी ने तीन ट्रायल में से दो पूरे कर लिए हैं। इस तीसरे चरण के ट्रायल में जुटी है। वैक्सीन का नाम Ad5-nCOV रखा गया है, इसे कम्पनी ने चीन की आर्मी के साथ मिलकर तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने सोमवार को बताया कि कैनसिनो वैक्सीन का 508 लोगों पर परीक्षण किया गया है। परीक्षण के दौरान लोगों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। अगले चरण में बड़े स्तर पर इसका परीक्षण किया जाना है। इस वैक्सीन ने शरीर में एंटीबॉडी के साथ ही टी-सेल भी विकसित किए।
तीसरी : जर्मन कम्पनी की बायोएनटेक की वैक्सीन ट्रायल में सुरक्षित साबित हुई
दूसरी अहम वैक्सीन का निर्माण जर्मनी की बायोएनटेक फर्म अमेरिकी ड्रग कम्पनी फिजर के साथ मिलकर कर रही है। वैक्सीन का ट्रायल 60 स्वस्थ लोगों पर किया गया। परिणाम के रूप में सामने आया कि वैक्सीन सुरक्षित है और वॉलंटियर्स में इम्यून रेस्पॉन्स बेहतर मिला। अमेरिका में हुए इसके एक और ट्रायल में भी यही परिणाम सामने आया।
कम्पनी का कहना है कि ट्रायल के आंकड़े बताते हैं कि इसमें कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए बड़े स्तर टी-सेल्स का रेस्पॉन्स बढ़ा। ये टी-सेल्स वायरस की संक्रमण फैलाने की क्षमता को खत्म करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षित और बेहतर वैक्सीन को तैयार करने में 12-18 महीने लगेंगे।