HOUSE prices across the UK have been hit by instability caused by both Brexit and then the coronavirus. Which towns have seen house prices increase the most in the past year?
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Expert dietitian Angela Dowden reveals which food is not worth buying fresh as a recent Which? report reveals frozen and canned foods may contain more nutrients as well as being less wasteful.
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अगर टैटू गुदवाने का शौक है तो अलर्ट हो जाएं। यह शौक हार्ट इंजरी का खतरा बढ़ा सकता है। जर्नल ऑफ अप्लाइड फिजियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, स्किन पर टैटू होने के कारण उसमें पसीना कंट्रोल करने की क्षमता घट जाती है। इससे शरीर का तापमान बढ़ता है। यह हाइपोथर्मिया और हीट हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। रिसर्च कहती है टैटू जितना बड़ा होगा खतरा उतना ही ज्यादा हो सकता है।
इसलिए खतरा बढ़ता है
रिसर्च के मुताबिक, स्किन पसीने की मदद से शरीर का तापमान कंट्रोल करने की कोशिश करती है। इसमें मदद करती हैं शरीर में पाई जाने वाले एक्क्रिन ग्रंथियां। रिसर्च के दौरान पाया गया कि टैटू बनवाने पर स्किन पर प्रति मिनट 3 हजार पंचर करने की जरूरत होती है। इसका असर पसीना कंट्रोल करने वाली ग्रंथि पर हो सकता है।
एक अन्य रिसर्च में यह सामने आया है कि टैटू वाली स्किन में सोडियम की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो पसीना कंट्रोल करने वाली ग्रंथि के काम में बाधा पैदा करती है।
ऐसे खतरे को पहचाना गया
रिसर्च में ऐसे लोगों को शामिल किया गया जिनके हाथ के ऊपरी और निचले हिस्से में टैटू बना था। इनके हाथों में कम से कम 5.6 वर्ग सेंटीमीटर का टैटू था।
इन लोगों के शरीर में पसीना पैदा करने के लिए परफ्यूजन सूट पहनाया गया। जिससे तापमान 120 डिग्री फॉरेनहाइट तक पहुंच जाए। रिसर्च के दौरान टैटू वाली और सामान्य स्किन की जांच की गई।
रिसर्चर्स ने स्किन में ब्लड सर्कुलेशन को जांचने के लिए लेजर तकनीक का प्रयोग किया। उन्होंने पाया कि स्किन पर टैटू होने पर शरीर को तापमान मेंटेन करने में मुश्किलें आती हैं।
टैटू के कारण पसीना कम आता है, इस वजह से शरीर का तापमान बढ़ता है। ऐसे लोगों में हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ना) और हीट हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।
यह हार्ट अटैक तब होता है जब शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार हो जाता है।
The F.D.A. proposed stricter guidelines for emergency approval of a coronavirus vaccine, but the White House chief of staff objected to provisions that would push approval past Election Day.
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The infection spread to all but two people who were staying in the house, where they did not wear masks or stay six feet apart. Six relatives who visited outside did not catch coronavirus.
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कई रिकॉर्ड बनाने वाले मिल्खा सिंह 91 साल के हो चुके हैं लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर उनका फिटनेस के प्रति जुनून कम नहीं हुआ। उनके लिए फिटनेस क्या मायने रखती है, इसे उन्होंने साझा किया। वह कहते हैं, बदलाव फिटनेस से ही आएगा। आज मैं जो चल-फिर पा रहा हूं तो केवल फिजिकल फिटनेस की वजह से। मैं लोगों से कहता हूं कम खाओ, क्योंकि सारी बीमारी पेट से ही शुरू होती हैं।
मेरी राय है कि चार रोटी की भूख है तो दो खाइए। जितना पेट खाली रहेगा आप ठीक रहेंगे। इसके बाद मैं चाहूंगा कि 24 घंटे में से 10 मिनट के लिए खेल के मैदान में जाना बहुत जरूरी है।
पार्क हो, सड़क हो .. जाइए और दस मिनट तेज वॉक कीजिए, थोड़ा कूद लीजिए, हाथ-पैर चला लीजिए। खून शरीर में तेजी से बहेगा तो बीमारियों को भी बहा देगा। आपको मेरी तरह कभी डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। सेहत के लिए दस मिनट निकलना बेहद जरूरी है।
युवाओं को दी गई स्पीच उन्हीं के शब्दों में जानिए...
'मेरे जमाने में तीन स्पोर्ट्समैन हुए। मैं था, लाला अमरनाथ थे और ध्यानचंद जी थे। एक दिन नेशनल स्टेडियम के अंदर लाला अमरनाथ जी से मेरी बातें हो रही थीं। उन्होंने मुझे बताया कि मैच खेलने के लिए उन्हें दो रुपए मिलते हैं और थर्ड क्लास में उन्हें सफर करना होता है। अब आज आप देख लीजिए कि हालात कितने बदल गए हैं। विराट कोहली के पास इतना पैसा, धोनी के पास इतनी दौलत है, सचिन कितने अमीर हैं। लेकिन तब इतना पैसा नहीं मिलता था।
ध्यानचंद जी जैसा हॉकी प्लेयर आज तक दुनिया में पैदा नहीं हुआ। जब वे 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में खेल रहे थे तो हिटलर ने उनसे कहा था कि ध्यानचंद आप यहां रह जाइए, आपको जो चाहिए हम देंगे। लेकिन ध्यानचंद जी ने कहा था नहीं, मुझे अपना देश प्यारा है, मुझे वापस जाना है।
1958 कॉमनवेल्थ गेम्स में जब मैंने पहला गोल्ड मैडल जीता ते क्वीन ने मुझे गोल्ड मैडल पहनाया। स्टेडियम में करीब एक लाख अंग्रेज बैठे थे, भारतीय गिने-चुने ही थे। क्वीन जैसे ही गोल्ड मैडल पहनाकर गईं तो एक साड़ी वाली औरत जो क्वीन के साथ ही बैठी थीं, दौड़ती हुई मेरे पास आई और बोली- मिल्खा जी .. पंडित जी (जवाहरलाल नेहरू) का मैसेज आया है और उन्होंने कहा है कि मिल्खा से पूछो कि उन्हें क्या चाहिए।
आपको मालूम है मिल्खा सिंह ने उस दिन क्या मांगा था? सिर्फ एक दिन की छुट्टी। मैं पंडित जी से कुछ भी मांगता तो मिल जाता। लेकिन मांगने में शर्म का भाव आता है। तब मेरी तनख्वाह 39 रुपए आठ आने थी। सेना में मैं सिपाही था। उसी में हम गुजारा किया करते थे।
आज इतना पैसा आ गया है खेल में, इतने लेटेस्ट इक्विपमेंट आ गए हैं, इतने स्टेडियम बन गए हैं, मगर मुझे दुख इस बात का है कि 1960 में जो मिल्खा सिंह ने रिकॉर्ड बनाया था, वहां तक आज तक कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है। मुझे इस बात की तकलीफ है। आगे बढ़ो... सब कुछ है हमारे पास।
ओलिंपिक में मैडल जीतना अलग स्तर का काम है। वहां पर 220-230 देशों के खिलाड़ी आते हैं और अपनी पूरी तैयारी करके आते हैं। जोर लगाकर आते हैं कि हमें स्वीमिंग में मैडल जीतना है, फुटबॉल में मैडल जीतना है, हॉकी में मैडल जीतना है। एथलेटिक दुनिया में नंबर वन गेम मानी जाती है। उसमें जो मैडल ले जाता है उसे दुनिया मानती है। उसेन बोल्ट को पूरी दुनिया जानती है और कहती है कि जमैका का खिलाड़ी है। भारत की आजादी के बाद से केवल पांच-छह खिलाड़ी फाइनल तक पहुंचे हैं लेकिन मैडल नहीं ले पाए। मैं भी उनमें से एक हूं। जब कोई वहां से मैडल लेकर आएगा तब मैं मानूंगा कि बदलाव हुआ है।
• यह बातें स्टार्स टेल के एक इवेंट में फ्लाइंग सिख कहलाने वाले धावक मिल्खा सिंह ने कही थीं।
BEST supplements: Men over 50 have different health requirements than others, and when it comes to taking supplements, keeping levels of a certain mineral topped up has been shown to be very important. What is it?
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मौसम बदलने के साथ ही लोगों में कफ, कोल्ड, इंफेक्शन और साइनस की समस्या बढ़ने लगती है. सिर दर्द, बहती नाक और चेहर पर सूजन साइनसाइटिस के सामान्य लक्षण हैं.
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अदरक का इस्तेमाल आप हर रोज अपने भोजन में किसी न किसी रूप में करते होंगे. अगर नहीं करते हैं तो इसका इस्तेमाल शुरू कर दीजिए. यह सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ता है बल्कि दवा के रूप में भी काम में आता है.
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अमेरिका में मोटापे की दर बढ़ने के साथ कोरोना वायरस पर नियंत्रण में उसकी भूमिका पेचीदा वैज्ञानिक सवाल बन गया है। अभी हाल में कई अध्ययनों से पता लगा है कि अधिक वजन वाले लोग दूसरों के मुकाबले बीमारी के गंभीर हमले का शिकार हो सकते हैं। इंसान और जानवरों की कोशिकाओं पर प्रयोगों से पता लगा है कि अधिक चर्बी किस तरह शरीर के इम्यून सिस्टम को अस्त-व्यस्त कर सकती है।
मोटापे के कारण हाई बीपी और डायबिटीज से भी जूझ रहे
मोटापे एवं कोविड-19 के बीच संबंध पेचीदा और रहस्यमय है। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों का संबंध अधिक वजन से है। इन बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों के लिए कोविड-19 से लड़ना कठिन है। विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर में चर्बी की अधिक मात्रा फेफड़ों के निचले हिस्सों को दबा सकती है। इससे सांस लेने में मुश्किल होती है।
मोटे लोगों के खून में जल्दी थक्के बनते हैं। शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह रुकता है और कोशिकाओं,ऊतकों को ऑक्सीजन कम मिलती है। अमेरिका में अश्वेत और लेटिन अमेरिकी देशों से आए लोगों में मोटापे का अनुपात बहुत अधिक है। अन्य लोगों की तुलना में इनके वायरस से प्रभावित होने का जोखिम अधिक है।
अलग डोज देना पड़ेगी
नार्थ केरोलिना यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. बेक बताती हैं, 30 साल के अधिक वजन वाले कुछ लोगों में पाई गई इम्यून कोशिकाएं 80 वर्षीय लोगों जैसी थी। इस समस्या से कोरोना वायरस की वैक्सीन के प्रभाव में अंतर पड़ सकता है। मोटे लोगों को वैक्सीन की अलग तरह की डोज देना पड़ेगी। कुछ वैक्सीन निर्माता संभवत: इस पहलू पर काम न करें।
मोटे लोगों को भर्ती होने का खतरा 50 फीसदी से अधिक
कोविड-19 और मोटापे के बीच संबंध चिंताजनक है। पिछले माह प्रकाशित एक रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना वायरस से प्रभावित मोटे लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दोगुना और मरने की आशंका 50 प्रतिशत अधिक होती है।
एक अन्य स्टडी के अनुसार अमेरिका में भर्ती 17 हजार कोरोना मरीजों के बीच 77 प्रतिशत से अधिक मोटे या ज्यादा वजन के लोग थे। 2009 में एच1एन1 फ्लू के समय पता लगा कि मोटे लोगों के अस्पताल में दाखिल होने और मरने की अधिक आशंका रही। अधिक वजन वाले लोगों पर फ्लू की वैक्सीन ज्यादा असरकारक नहीं पाई गई थी।