
TYPE 2 diabetes complications can be avoided if you stabilise your blood sugar levels. Diet holds the key and a particular cooking oil should be included in your protective arsenal.
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कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी विकसित होने में लम्बा समय लगेगा, टीका आने के बाद ही इसमें तेजी आएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह चेतावनी शुक्रवार को जारी की। WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने शुक्रवार को कहा, वैज्ञानिक लगातार वैक्सीन को तैयार करने में लगे हैं। कोविड-19 से राहत मिलना अगले साल या उसके बाद ही सम्भव है। इस दौरान कोरोना से होने वाली मृत्य दर को कम करने में मदद मिलेगी।
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए 50 से 60 फीसदी आबादी में कोविड-19 से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए, तभी कोरोना के संक्रमण को रोका जा सकता है। वैक्सीन लगने के बाद ही ऐसा सम्भव हो पाएगा।
कहीं 5-10 फीसदी तो कहीं 20 फीसदी एंटीबॉडी विकसित हुईं
डॉ. स्वामीनाथन के मुताबिक, कोविड-19 से प्रभावित होने वाले कई देशों ने रिसर्च की है। रिसर्च में सामने आया है 5 से 10 फीसदी लोगों में ही एंटीबॉडी पाई गईं। कुछ देशों में यह 20 फीसदी तक हैं। कई देशों में कोरोना के मामले बार-बार बढ़ रहे हैं। इन देशों के लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो रही हैं। उम्मीद करती हूं कि इन लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी और ये संक्रमण की चेन को तोड़ेंगे।
वैक्सीन के साथ विकसित होने वाली हर्ड इम्युनिटी ज्यादा सुरक्षित
चीफ साइंटिस्ट ने कहा, हमारे विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया है कि हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए दुनिया की 70 से 80 फीसदी आबादी में एंटीबॉडीज बनने की जरूरत है। महामारी के शुरुआती दौर में ब्रिटेन में हर्ड इम्युनिटी विकसित करने की रणनीति पेश की थी। इस पर डॉ. स्वामीनाथन का कहना है कि अगर हर्ड इम्युनिटी वैक्सीन के साथ विकसित होती है तो यह काफी सुरक्षित साबित होगी बजाय आबादी में से वायरस को खत्म करना।
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