
सोमवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना की वैक्सीन ट्रायल के बेहतर नतीजे सामने आने के बाद दो और वैक्सीन से उम्मीदें बढ़ गई हैं। इनके भी शुरुआती ट्रायल के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक रहे हैं। पहली वैक्सीन चीनी फार्मा कम्पनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स की है जिसका अगले चरण का ट्रायल चल रहा है। कैनसिनो वेस्टर्न फार्मा को पीछे छोड़कर दुनिया की पहली वैक्सीन तैयार करने की कोशिश में है।
तीन बड़ी वैक्सीन के ट्रायल का स्टेटस
पहली : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन सुरक्षित और असरदार साबित हुई
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बन रही कोरोनावायरस की वैक्सीन के पहले क्लीनिकल ट्रायल के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। सोमवार को मेडिकल जर्नल द लैंसेट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है। इस जानकारी के बाद ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन फ्रंटरनर वैक्सीन की लिस्ट में आगे आ गई है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए ट्वीट में भी कहा गया है कि AZD1222 नाम की इस वैक्सीन को लगाने से अच्छा इम्यून रिस्पांस मिला है। वैक्सीन ट्रायल में लगी टीम और ऑक्सफोर्ड के निगरानी समूह को इस वैक्सीन में सुरक्षा को लेकर कोई चिंता वाली बात नजर नहीं आई और इससे ताकतवर रिस्पांस पैदा हुआ है।
दूसरी : चीनी कम्पनी कैनसिनो के दो ट्रायल पूरे, नतीजे उम्मीदों के मुताबिक मिले
कैनसिनो बायोलॉजिक्स दुनिया की उन कम्पनियों में से एक है जिसने मई में पहले ट्रायल के पूरे नतीजे पेश किए थे। ह्यूमन ट्रायल में तेजी के कारण यह कम्पनी चर्चा में रही थी। कम्पनी ने तीन ट्रायल में से दो पूरे कर लिए हैं। इस तीसरे चरण के ट्रायल में जुटी है। वैक्सीन का नाम Ad5-nCOV रखा गया है, इसे कम्पनी ने चीन की आर्मी के साथ मिलकर तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने सोमवार को बताया कि कैनसिनो वैक्सीन का 508 लोगों पर परीक्षण किया गया है। परीक्षण के दौरान लोगों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। अगले चरण में बड़े स्तर पर इसका परीक्षण किया जाना है। इस वैक्सीन ने शरीर में एंटीबॉडी के साथ ही टी-सेल भी विकसित किए।
तीसरी : जर्मन कम्पनी की बायोएनटेक की वैक्सीन ट्रायल में सुरक्षित साबित हुई
दूसरी अहम वैक्सीन का निर्माण जर्मनी की बायोएनटेक फर्म अमेरिकी ड्रग कम्पनी फिजर के साथ मिलकर कर रही है। वैक्सीन का ट्रायल 60 स्वस्थ लोगों पर किया गया। परिणाम के रूप में सामने आया कि वैक्सीन सुरक्षित है और वॉलंटियर्स में इम्यून रेस्पॉन्स बेहतर मिला। अमेरिका में हुए इसके एक और ट्रायल में भी यही परिणाम सामने आया।
कम्पनी का कहना है कि ट्रायल के आंकड़े बताते हैं कि इसमें कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए बड़े स्तर टी-सेल्स का रेस्पॉन्स बढ़ा। ये टी-सेल्स वायरस की संक्रमण फैलाने की क्षमता को खत्म करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षित और बेहतर वैक्सीन को तैयार करने में 12-18 महीने लगेंगे।
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