Monday, October 5, 2020

White House Blocks New Coronavirus Vaccine Guidelines

The F.D.A. proposed stricter guidelines for emergency approval of a coronavirus vaccine, but the White House chief of staff objected to provisions that would push approval past Election Day.

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Covid spread from girl, 13, to 11 other family members in a house

The infection spread to all but two people who were staying in the house, where they did not wear masks or stay six feet apart. Six relatives who visited outside did not catch coronavirus.

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Why work friendships will be now be more important

With virtual meetings and social distancing becoming a part of the new normal, it has become all the more important to have friends at work

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Ways you can lose weight while sitting

P.S.- They are all science-backed measures to burn calories! Thank us later!

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शरीर को रोज 10 मिनट दीजिए, जिनती भूख से उससे आधा खाइए क्योंकि बीमारियां पेट से शुरू होती है; खून शरीर में तेजी से बहेगा तो बीमारियों को भी बहा देगा

कई रिकॉर्ड बनाने वाले मिल्खा सिंह 91 साल के हो चुके हैं लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर उनका फिटनेस के प्रति जुनून कम नहीं हुआ। उनके लिए फिटनेस क्या मायने रखती है, इसे उन्होंने साझा किया। वह कहते हैं, बदलाव फिटनेस से ही आएगा। आज मैं जो चल-फिर पा रहा हूं तो केवल फिजिकल फिटनेस की वजह से। मैं लोगों से कहता हूं कम खाओ, क्योंकि सारी बीमारी पेट से ही शुरू होती हैं।

मेरी राय है कि चार रोटी की भूख है तो दो खाइए। जितना पेट खाली रहेगा आप ठीक रहेंगे। इसके बाद मैं चाहूंगा कि 24 घंटे में से 10 मिनट के लिए खेल के मैदान में जाना बहुत जरूरी है।

पार्क हो, सड़क हो .. जाइए और दस मिनट तेज वॉक कीजिए, थोड़ा कूद लीजिए, हाथ-पैर चला लीजिए। खून शरीर में तेजी से बहेगा तो बीमारियों को भी बहा देगा। आपको मेरी तरह कभी डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। सेहत के लिए दस मिनट निकलना बेहद जरूरी है।

युवाओं को दी गई स्पीच उन्हीं के शब्दों में जानिए...

'मेरे जमाने में तीन स्पोर्ट्समैन हुए। मैं था, लाला अमरनाथ थे और ध्यानचंद जी थे। एक दिन नेशनल स्टेडियम के अंदर लाला अमरनाथ जी से मेरी बातें हो रही थीं। उन्होंने मुझे बताया कि मैच खेलने के लिए उन्हें दो रुपए मिलते हैं और थर्ड क्लास में उन्हें सफर करना होता है। अब आज आप देख लीजिए कि हालात कितने बदल गए हैं। विराट कोहली के पास इतना पैसा, धोनी के पास इतनी दौलत है, सचिन कितने अमीर हैं। लेकिन तब इतना पैसा नहीं मिलता था।

ध्यानचंद जी जैसा हॉकी प्लेयर आज तक दुनिया में पैदा नहीं हुआ। जब वे 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में खेल रहे थे तो हिटलर ने उनसे कहा था कि ध्यानचंद आप यहां रह जाइए, आपको जो चाहिए हम देंगे। लेकिन ध्यानचंद जी ने कहा था नहीं, मुझे अपना देश प्यारा है, मुझे वापस जाना है।

1958 कॉमनवेल्थ गेम्स में जब मैंने पहला गोल्ड मैडल जीता ते क्वीन ने मुझे गोल्ड मैडल पहनाया। स्टेडियम में करीब एक लाख अंग्रेज बैठे थे, भारतीय गिने-चुने ही थे। क्वीन जैसे ही गोल्ड मैडल पहनाकर गईं तो एक साड़ी वाली औरत जो क्वीन के साथ ही बैठी थीं, दौड़ती हुई मेरे पास आई और बोली- मिल्खा जी .. पंडित जी (जवाहरलाल नेहरू) का मैसेज आया है और उन्होंने कहा है कि मिल्खा से पूछो कि उन्हें क्या चाहिए।

आपको मालूम है मिल्खा सिंह ने उस दिन क्या मांगा था? सिर्फ एक दिन की छुट्टी। मैं पंडित जी से कुछ भी मांगता तो मिल जाता। लेकिन मांगने में शर्म का भाव आता है। तब मेरी तनख्वाह 39 रुपए आठ आने थी। सेना में मैं सिपाही था। उसी में हम गुजारा किया करते थे।

आज इतना पैसा आ गया है खेल में, इतने लेटेस्ट इक्विपमेंट आ गए हैं, इतने स्टेडियम बन गए हैं, मगर मुझे दुख इस बात का है कि 1960 में जो मिल्खा सिंह ने रिकॉर्ड बनाया था, वहां तक आज तक कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है। मुझे इस बात की तकलीफ है। आगे बढ़ो... सब कुछ है हमारे पास।

ओलिंपिक में मैडल जीतना अलग स्तर का काम है। वहां पर 220-230 देशों के खिलाड़ी आते हैं और अपनी पूरी तैयारी करके आते हैं। जोर लगाकर आते हैं कि हमें स्वीमिंग में मैडल जीतना है, फुटबॉल में मैडल जीतना है, हॉकी में मैडल जीतना है। एथलेटिक दुनिया में नंबर वन गेम मानी जाती है। उसमें जो मैडल ले जाता है उसे दुनिया मानती है। उसेन बोल्ट को पूरी दुनिया जानती है और कहती है कि जमैका का खिलाड़ी है। भारत की आजादी के बाद से केवल पांच-छह खिलाड़ी फाइनल तक पहुंचे हैं लेकिन मैडल नहीं ले पाए। मैं भी उनमें से एक हूं। जब कोई वहां से मैडल लेकर आएगा तब मैं मानूंगा कि बदलाव हुआ है।

• यह बातें स्टार्स टेल के एक इवेंट में फ्लाइंग सिख कहलाने वाले धावक मिल्खा सिंह ने कही थीं।



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fitness secret of Milkha Singh Give 10 minutes daily to the body, eat half of it with hunger because all diseases start from the stomach; If the blood flows rapidly in the body, then it will also shed diseases.


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Best supplements for men: The mineral that could benefit men over the age of 50



BEST supplements: Men over 50 have different health requirements than others, and when it comes to taking supplements, keeping levels of a certain mineral topped up has been shown to be very important. What is it?

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साइनस की समस्या से हैं परेशान? तुरंत आराम के लिए अपनाएं ये घरेलू उपचार

मौसम बदलने के साथ ही लोगों में कफ, कोल्ड, इंफेक्शन और साइनस की समस्या बढ़ने लगती है. सिर दर्द, बहती नाक और चेहर पर सूजन साइनसाइटिस के सामान्य लक्षण हैं.

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औषधीय गुणों का खजाना है अदरक, इन बड़ी बीमारियों से मिलेगी राहत

अदरक का इस्तेमाल आप हर रोज अपने भोजन में किसी न किसी रूप में करते होंगे. अगर नहीं करते हैं तो इसका इस्तेमाल शुरू कर दीजिए. यह सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ता है बल्कि दवा के रूप में भी काम में आता है.

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मोटे लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर, इनमें कोरोना की वैक्सीन बहुत अधिक असरदार होने की उम्मीद नहीं

अमेरिका में मोटापे की दर बढ़ने के साथ कोरोना वायरस पर नियंत्रण में उसकी भूमिका पेचीदा वैज्ञानिक सवाल बन गया है। अभी हाल में कई अध्ययनों से पता लगा है कि अधिक वजन वाले लोग दूसरों के मुकाबले बीमारी के गंभीर हमले का शिकार हो सकते हैं। इंसान और जानवरों की कोशिकाओं पर प्रयोगों से पता लगा है कि अधिक चर्बी किस तरह शरीर के इम्यून सिस्टम को अस्त-व्यस्त कर सकती है।

मोटापे के कारण हाई बीपी और डायबिटीज से भी जूझ रहे

मोटापे एवं कोविड-19 के बीच संबंध पेचीदा और रहस्यमय है। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों का संबंध अधिक वजन से है। इन बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों के लिए कोविड-19 से लड़ना कठिन है। विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर में चर्बी की अधिक मात्रा फेफड़ों के निचले हिस्सों को दबा सकती है। इससे सांस लेने में मुश्किल होती है।

मोटे लोगों के खून में जल्दी थक्के बनते हैं। शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह रुकता है और कोशिकाओं,ऊतकों को ऑक्सीजन कम मिलती है। अमेरिका में अश्वेत और लेटिन अमेरिकी देशों से आए लोगों में मोटापे का अनुपात बहुत अधिक है। अन्य लोगों की तुलना में इनके वायरस से प्रभावित होने का जोखिम अधिक है।

अलग डोज देना पड़ेगी
नार्थ केरोलिना यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. बेक बताती हैं, 30 साल के अधिक वजन वाले कुछ लोगों में पाई गई इम्यून कोशिकाएं 80 वर्षीय लोगों जैसी थी। इस समस्या से कोरोना वायरस की वैक्सीन के प्रभाव में अंतर पड़ सकता है। मोटे लोगों को वैक्सीन की अलग तरह की डोज देना पड़ेगी। कुछ वैक्सीन निर्माता संभवत: इस पहलू पर काम न करें।

मोटे लोगों को भर्ती होने का खतरा 50 फीसदी से अधिक
कोविड-19 और मोटापे के बीच संबंध चिंताजनक है। पिछले माह प्रकाशित एक रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना वायरस से प्रभावित मोटे लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दोगुना और मरने की आशंका 50 प्रतिशत अधिक होती है।

एक अन्य स्टडी के अनुसार अमेरिका में भर्ती 17 हजार कोरोना मरीजों के बीच 77 प्रतिशत से अधिक मोटे या ज्यादा वजन के लोग थे। 2009 में एच1एन1 फ्लू के समय पता लगा कि मोटे लोगों के अस्पताल में दाखिल होने और मरने की अधिक आशंका रही। अधिक वजन वाले लोगों पर फ्लू की वैक्सीन ज्यादा असरकारक नहीं पाई गई थी।



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Ability to fight disease in obese people weak, corona vaccine is not expected to be very effective


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इस गांव के रहने वाले सभी लोग मेमोरी लॉस से जूझ रहे, पर सुविधाएं ऐसी कि सभी मरीज जी रहे आत्मनिर्भर जिंदगी

फ्रांस के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में डाक्स नाम का छोटा सा गांव है। वॉलेंटियर्स को छोड़कर सिर्फ 105 लोग यहां रहते हैं। ये सभी अल्जाइमर्स पीड़ित हैं। इसलिए इस गांव को अल्जाइमर गांव कहा जाता है। अल्जाइमर्स यानी मेमोरी लॉस। आज सुबह क्या खाया याद नहीं, कल रात किससे मिला, भूल गया, ऐसे लक्षण मरीजों में दिखते हैं।

लोग मरीज न महसूस करें, इसलिए गांव बनाया

याददाश्त खत्म कर देने वाली अल्जाइमर्स बीमारी से जूझते हुए भी गांव के लोग निराश नहीं दिखाई देते। इसका कारण यह है कि स्थानीय प्रशासन और कुछ बाहरी लोगों ने मिलकर गांव ऐसा बना दिया है, जिससे ग्रामीण खुद को मरीज महसूस न करें। यहां इन अल्जाइमर्स पीड़ितों के लिए खास किराना और फलों की दुकानें, कैफेटेरिया, लाइब्रेरी, म्यूजिक रूम उपलब्ध हैं।

मरीज को बीमारी का अहसास न हो इसके लिए नर्स भी आम कपड़ों में दोस्त की तरह देखभाल करती नजर आती हैं।

नर्स भी सामान्य कपड़ों में दिखाई देती हैं, ताकि नकारात्क असर न पड़े

मरीजों की देखभाल के लिए नर्स भी हैं, लेकिन वे आम कपड़ों में ही दिखाई देती हैं, न कि कोट जैसे यूनिफॉर्म में। मकसद वही है कि मरीज खुद को अस्पताल के बजाय खुले प्राकृतिक वातवारण में महसूस करें। बार-बार उन्हें बीमारी याद न आए। गांव की स्थापना इसी साल जून में हुई थी।

मरीजों को पोलो खिलाया जा रहा है ताकि ये खुश रहें और दिमाग पर सकारात्मक असर हो।

धीरे-धीरे मरीज आत्मनिर्भर हो जाते हैं

गांव में रहने आई पहली महिला मैडेलीन एलिसाल्डे (82) कहती हैं, ‘पूरा गांव मेरे घर की तरह है। यहां हमारी ठीक से देखभाल की जाती है।'' पहले मैडेलीन बेटी के परिवार के साथ रहती थी। मैडेलीन की नातिन ओरोरे कहती हैं कि हमारे साथ रहते हुए भी वो हमें भूल चुकी थीं। खुशी की बात यह है कि नानी ने अब आत्मनिर्भर होकर रहना सीख लिया है।

गांव में किराना दुकान चलाने वाली वॉलेंटियर क्रिस्टाइन सुरेले कहती हैं कि हमें सबसे बड़ा फायदा अल्जाइमर्स पीड़ितों के चेहरे पर मुस्कान देखकर ही मिल जाता है। एल्जाइमर पीड़ित के परिवार और सरकार गांव का खर्च मिलकर उठाते हैं। सरकार हर साल करीब आधा खर्च यानी 60 करोड़ रुपए देती है। गांव में मरीजों के लिए फिजियोथेरेपी सेंटर भी हैं।

क्या है अल्जाइमर्स

डिमेंशिया का मतलब है मेमोरी लॉस। अल्जाइमर डिमेंशिया का एक प्रकार है। डिमेंशिया के दो प्रकार हैं। पहला, वो जिसका इलाज संभव है। दूसरा, वो जिसका कोई इलाज नहीं है यानी डिजेनेरेटिव डिमेंशिया, अल्जाइमर इसी कैटेगरी की बीमारी है। ब्रेन की ऐसी कोशिकाएं जो मेमोरी को कंट्रोल करती हैं वो सूखने लगती हैं। जिसका असर गिरती याद्दाश्त के रूप में दिखता है और रिकवर करना नामुमकिन हो जाता है।

अक्सर कहा जाता है स्वस्थ रहने के लिए सिर्फ फिजिकली ही नहीं मेंटली फिट रहना भी जरूरी है। अल्जाइमर को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन इसका असर कम या धीमा करने के लिए एक्सपर्ट शारीरिक और मानसिक रूप से एक्टिव रहने की सलाह देते हैं। रिसर्च में पुष्टि हुई है कि पूरी नींद, सुबह-सुबह पार्क में चहलकदमी और सूडोकू या दिमाग पर दबाव डालने वाले गेम घटती याद्दाश्त की रफ्तार को धीमा रखने में मदद करते हैं।

रिसर्च भी बताती हैं पुराना लाइफस्टाइल ही बेहतर

अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में हुए शोध में कहा गया है कि गहरी नींद लेने वालों की याद्दाश्त बेहतर होती है। ऐसे जब सोकर उठते हैं तो खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। ऐसे बुजुर्ग जो कम गहरी नींद लेते हैं उनके मस्तिष्क में एक खास किस्म के प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है जिससे उनकी याद्दाश्त में गिरावट आती है। शोध के मुताबिक युवावस्था और उसके बाद के समय में पूरी नींद न ले पाना मस्तिष्क स्वास्थ्य में गिरावट का एक बड़ा संकेत हो सकता है।



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French Alzheimers village where nursing home meets the outside world


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Tesco, Asda and M&S: Quietest time to shop to avoid queues as shopping rules change



SUPERMARKETS have been busy this year and many have now introduced new shopping rules. When is the best time to visit your local store to avoid queues?

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Type 2 diabetes: Do your fingernails look like this? Warning of high blood sugar on nails



TYPE 2 diabetes affects millions of people throughout the world. By knowing the body's warning signs which may point to type 2 diabetes, one can make the necessary changes required to manage the condition. Seeing your nails change a certain colour could indicate early type 2 diabetes.

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Sunday, October 4, 2020

Advent calendars 2020: The best alcoholic advent calendars to count down Christmas



CHRISTMAS is just around the corner, with advent calendars being released every day. With non-chocolate calendars proving to be very popular, there are many alcoholic advent calendars on sale right now.

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