Saturday, September 19, 2020

Avocado: Can you eat it daily?



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Royal beauty: Expert details if Kate Middleton or Meghan Markle has had plastic surgery



MEGHAN MARKLE, 39, and Kate Middleton, 38, are both Duchesses, the Duchess of Sussex and Duchess of Cambridge, respectively. Both are admired for their beauty, but have either had plastic surgery?

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5 instant ways to cure an insect bite

We've all dealt with insect bites and we want it to heal asap! Moreover, we don't want it to leave a scar or increase the wound because it will only cause more inflammation. Hence, we've got you some expert-suggested things that you can use on an insect bite that will help you.

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How to sleep: Nine foods to avoid if you want to fall asleep easily



HOW TO sleep: Late-night snacking may be enjoyable in the moment, but it can dire consequences on your quality of sleep, or lack thereof. Here are nine foods you're better off avoiding in the evenings.

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How to enhance work from home habits

From never-ending business meetings to continuous rounds of phone calls and mails, working from home has become people’s worst nightmares. Therefore, to help you through this process, here’s how you can enhance your work from home habits, as per your zodiac sign.

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Weekly Books News (Sept 14-20)

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गुलेल और हेलिकॉप्टर से फेंकी जाती हैं चारकोल में लिपटी छोटी काली गेंदें, केन्या में 4 साल पहले खेल-खेल में बच्चों ने इस तरीके से जंगल उगा दिए

केन्या के वीरान पड़े मैदानों में छोटी-छोटी काले रंग की गेंदें यानी सीडबॉल्स हरियाली वापस लाने का काम कर रही हैं। चारकोल में लिपटे हुए बीजों को गुलेल और हेलिकॉप्टर की मदद से दूर तक फेंका जा रहा है। बारिश होने पर चारकोल मेंं मौजूद बीज से एक नए पौधे के पनपने की शुरुआत होती है। 2016 में सीडबॉल्स केन्या नाम की संस्था की शुरुआत टेडी किन्यानजुई और एल्सन कार्सटेड ने की थी।

पिछले चार साल में करीब 11 करोड़ सीडबॉल्स बांटी जा चुकी हैं। इनका लक्ष्य स्कूल और लोगों के साथ मिलकर केन्या के मैदानों में जंगलों को वापस तैयार करना है। सीडबॉल को एक सफल प्रयोग माना गया और भारत समेत कई देशों में इससे हरियाली वापस लाने की कोशिश की जा रही है। संस्था के को-फाउंडर टेडी कहते हैं, अगले 5 सालों में केन्या में हरियाली दिखने लगेगी। इसे बड़ा जंगल तैयार होने में 14 साल तक का समय लगेगा।

मिट्‌टी की बजाय चॉरकोल वाली सीड बॉल ज्यादा सुरक्षित
हर सीडबॉल में एक बीज होता है। इस बीज के ऊपर चारकोल को चढ़ाकर गेंद जैसा आकार दिया जाता है। ये आकार में एक सिक्के जितनी होती हैं। टेडी कहते हैं, इसे गर्म मौसम में मैदानों में फेंका जाता है। बीजों पर चारकोल को लगाने के पीछे एक बड़ा कारण है। केवल बीजों को छोड़ने पर उसे चिड़िया और दूसरे जीव खा जाते हैं। लेकिन इस पर चारकोल लिपटा होने के कारण यह सुरक्षित रहता है। जब बारिश आती है तो बॉल में नमी बढ़ती है और बीज अंकुरित होना शुरू होता है। इस तरह बीज से एक नया पौधा तैयार हो जाता है।

कैसे हुई इसकी शुरुआत
टे‌डी कहते हैं, एक पौधा अपने क्षेत्र में पौधों की मां की तरह होता है। इससे दूसरे बीजों को पनपने में मदद मिलती है। इन पौधों से निकलने वाले बीज नए पौधों को जन्म देते हैं। इसकी शुरुआत 2016 में स्कूली बच्चों के साथ मिलकर की गई ताकि बीजों को स्कूल के मैदानों में छोड़ा जाए। बीजों को आसपास के बच्चों को बांटा गया, उन्होंने गुलेल की मदद से इसे दूर तक पहुंचाया।

इस काम को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए बच्चों की बीच प्रतियोगिताएं शुरू कराई गईं। उन्हें गुलेल देकर बीजों को पहुंचाने का एक टार्गेट दिया गया। इस तरह यह उनके लिए एक गेम की तरह बन गया, जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया।

सीडबॉल केन्या के को-फाउंडर टेडी बच्चों के साथ मिलकर हरियाली वापस लाने में जुटे हुए हैं।

जिन क्षेत्रों में पहुंचाना मुश्किल वहां हेलिकॉप्टर से पहुंचाए गए बीज
टे‌डी के मुताबिक, जिन दूर-दराज वाले क्षेत्रों में बीजों को पहुंचाना आसान नहीं था वहां हेलिकॉप्टर और एयरोप्लेन से सीडबॉल छोड़े गए। इस दौरान जीपीएस तकनीक से जाना गया कि कहां बीजों की जरूरत है, वहीं इन्हें छोड़ा गया। विमान में पैसेंजर की सीट की जगह सीट बॉल की बोरियां रखी गईं ताकि सही जगह और सही समय पर इसे पहुंचाया जा सके। मात्र 20 मिनट में 20 हजार बीज छोड़े गए।

इसलिए यहां हरियाली की सबसे ज्यादा जरूरी
केन्या में जिराफ की संख्या तेजी से घटी है। 2016 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने जिराफ को विलुप्ति की कगार पर खड़े जानवरों की लिस्ट में शामिल किया था। इसकी सबसे बड़ी वजह पेड़ों की घटती संख्या को बढ़ाया गया था। इंसान तो पहले ही हरियाली की कमी से जूझ ही रहे हैं।

टेडी कहते हैं, सीडबॉल में ऐसे पौधों के बीज हैं जो बेहद कम पानी में खुद को विकसित करते हैं, जैसे- बबूल। यह तेजी से बढ़ता है। इसकी जड़ें मजबूत होने के कारण यह सूखे का सामना आसानी से कर सकती हैं। इससे मिट्‌टी का कटाव भी रोका जा सकता है। गांवों में रहने वाले केन्या के लाखों लोग मक्के पर निर्भर है। लगातार चारकोल का प्रयोग ईधन के तौर पर करने के लिए जंगल काटे गए। नतीजा, यहां सूखे जैसे हालात बने।

अब किसानों की आमदनी बढ़ाने की तैयारी
टे‌डी कहते हैं, अगले पांच साल में हरियाली दिखने लगेगी। हम कोशिश कर रहे हैं कि किसान ज्यादा से ज्यादा बीजों को तैयार करें ताकि उनकी आदमनी और बढ़े। टेडी और एल्सन की संस्था सीडबॉल केन्या बीजों को केन्या फॉरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट से वेरिफाई कराने के बाद ही इस पर चारकोल की लेयर चढ़ाती है। इसमें सभी बीज केन्या के ही हैं।



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The story of coin-shaped seedballs bringing greenery to many countries including Kenya


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यूएई में 'लिक्विड नैनोक्ले' विधि से रेगिस्तान में तरबूज और लौकी जैसे फल उगाए गए, इससे 45 फीसदी पानी की बचत भी हुई

लॉकडाउन में 40 दिन के प्रयोग के बाद यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) ने यह साबित कर दिया कि रेत में भी तरबूज और गिलकी जैसे फल-सब्जी की खेती की जा सकती है। यूएई रेत से घिरा देश है, जो अपने ताजे फल-सब्जी की 90% जरूरत आयात कर पूरी करता है। उसके लिए रेगिस्तान को फल और सब्जी के बागों में तब्दील हो जाने की आशा किसी अजूबे से कम नहीं।

वैज्ञानिकों को रेगिस्तान में यह सफलता 'लिक्विड नैनोक्ले' पद्धति यानी गीली चिकनी मिट्टी के कारण मिली है। ये मिट्टी को पुनर्जीवित करने की तकनीक है। इस पद्धति में पानी का इस्तेमाल 45% कम हो जाएगा। इस सफलता के बाद यूएई अब लिक्विड नैनोक्ले की फैक्ट्री लगाकर इसका व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू करने जा रहा है।

मिट्‌टी और रेत में पॉजिटिव और निगेटिव चार्ज काम आया
लिक्विड नैनोक्ले तकनीक में चिकनी मिट्टी के बहुत छोटे-छोटे कण द्रव्य के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं। अब यहां सवाल उठता है कि इस मिट्टी को रेत के साथ कैसे मिलाया जाए ताकि ये कारगर सिद्ध हों। यहां सॉइल केमिस्ट्री के कैटॉनिक एक्सचेंज कैपेसिटी' के सिद्धांत का उपयोग किया गया। रासायनिक संरचना के कारण चिकनी मिट्टी के कण में निगेटिव चार्ज होता है, जबकि रेत के कण में पॉजिटीव चार्ज।

नैनोक्ले पद्धति को विकसित करने वाली नॉर्वे की कंपनी डेजर्ट कंट्रोल के चीफ एग्जीक्यूटिव ओले सिवटर्सन का कहना है कि विपरीत चार्ज होने के कारण जब चिकनी मिट्टी का घोल रेत से मिलता है, तो वो एक बांड बना लेते हैं और जब इन्हें पानी मिलता है तब उसके पोषक तत्व इनके साथ चिपक जाते हैं। इस तरह ऐसी मिट्टी तैयार हो जाती है, जो पानी को रोक सकती है और जिसमें पौधे जड़ पकड़ सकते हैं।

वैसे तो 15 साल से यह टेक्नोलॉजी अस्तित्व में है, लेकिन दुबई के इंटरनेशनल सेंटर फॉर बायो सलाइन एग्रीकल्चर में 12 माह से इस पर प्रयोग हो रहा है।

शिपिंग कंटेनर में बनेगी लिक्विड नैनोक्ले की फैक्ट्री
सिवटर्सन का कहना है कि 40 स्क्वेयर फीट के शिपिंग कंटेनर में लिक्विड नैनोक्ले की फैक्ट्री लगाई जाएगी। ऐसे अनगिनत कंटेनर रेत प्रधान देशों में लगाए जाएंगे ताकि स्थानीय मिट्टी से उस देश के रेगिस्तान में खेती की जा सके। ऐसे हरेक कंटेनर से 40 हजार लीटर लिक्विड नैनोक्ले प्रति घंटे की - रफ्तार से उत्पादित किया जाएगा।

इसका इस्तेमाल यूएई के सिटी पार्कलैंड में 1 किया जाएगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस पद्धति में पानी का इस्तेमाल 45% कम हो जाएगा। फिलहाल एक वर्ग मीटर जमीन पर इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर दो डॉलरयानी करीब 150 रुपए का खर्च आता है।



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In the UAE, 'liquid nanoclay' method, fruits like watermelon and gourd were grown in the desert, it also saved 45 percent water.


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Hope of record low flu rate as blitz on coronavirus cuts the spread of influenza



EXPERTS are hoping the UK could have a mild flu season after southern hemisphere nations had a record low number of cases.

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How to clear blemishes with Elaichi

Cardamom oil stimulates blood flow to the skin and removes blemishes, resulting in a more radiant complexion. It helps in giving you a clearer and even complexion.

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Coronavirus symptoms update: The one sign more than half of COVID-19 patients experience



CORONAVIRUS symptoms are listed as a high temperature, a new, continuous cough and a loss or change to your sense of smell or taste by the NHS. But a new study has found more than half of COVID-19 patients experience something else.

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यहां के पार्क में कचरा फैलाया तो प्रबंधन इसे पैक करके आपके घर भेजेगा, वो भी नोटिस के साथ

पार्कों में कचरा छोड़कर आने वाले लोगों के लिए थाइलैंड में सख्त अभियान शुरू हुआ है। अभियान की शुरुआत यहां के खाओ याई नेशनल पार्क शुरू हुई है। यहां आने के बाद कचरा फैलाया तो पार्क प्रबंधन कचरे को आपके घर पर कोरियर करेगा। यह नियम पार्क में सख्ती के साथ लागू किया गया है।

प्रबंधन के मुताबिक, खाओ याई नेशनल पार्क अपनी वाइल्ड लाइफ के लिए जाना जाता है। यह 800 वर्ग मील में फैला है। यहां आने वाले पर्यटक बोतल, कोल्ड ड्रिंक के कैन और खाने की पैकिंग कहीं भी छोड़कर चले जाते हैं। इससे निपटने के लिए यहां नया नियम लागू किया गया है।

पर्यटक की एंट्री पर पहले घर का पता लिखवाते हैं
इस पार्क में पर्यटकों की एंट्री से पहले उनके घर का पता लिखवाया जाता है ताकि इनके फैलाए गए कचरे को वापस इनके घर भेजा जा सके। इस पहल की शुरुआत थाइलैंड के पर्यावरण मंत्री वारावुत सिल्प-आर्चा ने की है। वह लगातार फेसबुक पर इससे जुड़ी पोस्ट शेयर कर रहे हैं।

वह लिखते हैं, पार्क से इकट्‌ठा किया गया कचरा उन्हें भेजा जा रहा है जिन्होंने इसे फैलाया। डिब्बे पर लिखा, 'आप इसे पार्क में भूल गए थे'

1.54 लाख लोगों ने 23 टन कचरा फैला था

पर्यावरण मंत्री वारावुत ने लिखा, इस नेशनल पार्क में लगातार कचरा बढ़ता जा रहा है। 2016 में नए साल पर यहां 1,54,000 पर्यटक पहुंचे और 23 टन कचरा फैलाया।

कचरा पार्क की वाइल्ड लाइफ के लिए काफी खतरनाक है। यहां हाथी, भालू, सांप और हिरण जैसे कई तरह के जानवर रहते हैं। लगातार लोगों के न मानने पर नया नियम लागू किया गया।



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Unique Cleanliness Initiative In Thailand; If You Spread Garbage In Khao Yai National Park, Management Will Courier You


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Friday, September 18, 2020

5 Bollywood stars who made a case for white pantsuits

Be it runway trend or celebrity looks, pantsuits are ruling the world of fashion. While black is a classic style for men and women, the Bollywood divas are now making a case for white pantsuits. They are chic and look just so polished. Take a cue from the leading ladies of Bollywood, who are making a case for white power suits.

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