Friday, September 4, 2020
कोरोना वैक्सीन के दावों के बीच WHO ने बताया कब सुनने को मिलेगी ‘अच्छी खबर’
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डॉ. कलाम कहा करते थे- 'देश का सबसे अच्छा दिमाग, क्लास रूम की आखिरी बेंच पर भी मिल सकता है'... ऐसे ही 10 अनमोल विचार, पढ़ें और शेयर करें
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 में राष्ट्रपति बने तो छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाना चाहा। इस पर उन्होंने विनम्रता से कहा- ‘मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाए तो गर्व की बात होगी।’ तभी से शिक्षक दिवस की परंपरा पड़ी। कुल 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट होने वाले डॉ राधाकृष्णन देश के पहले ऐसे शिक्षक हैं, जो पहले उपराष्ट्रपति और फिर दूसरे राष्ट्रपति बने।
आज उन्हीं के 133वें जन्मदिन पर महान शख्सियतों के विचार जो शिक्षा की अहमियत बताते हैं और नया सीखने की प्रेरणा देते हैं, आप भी पढ़ें और शेयर करें ...
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मलाई वजन नहीं बढ़ाती, ये पेट के रोगों से बचाती है; वर्कआउट से पहले एक छोटी कटोरी मलाई लेने से मिलता है पर्याप्त प्रोटीन
मलाई, ये नाम सुनकर ही लोग घबराते हैं कि इससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ लाएगा। खासकर लड़कियां इससे खास दूरी बनाती हैं कि कहीं इसे खाने से वजन न बढ़ लाए। बच्चा अगर दूध में मलाई की शिकायत करे तो मां उसे दूध छानकर देती है, ताकि मलाई से उसका मूड खराब न हो जाए, लेकिन मलाई मूड ठीक करने का भी काम करती है। और भी इसके कई फायदे हैं लेकिन सही जानकारी न होने के कारण यह भ्रांतियों से घिरी हुई है।
देश में न्यूट्रीशन वीक (1-7 सितंबर) सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस साल की थीम है ईट-राइट। न्यूट्रीशन वीक के पांचवे दिन जानिए मलाई के बारे में वो बातें जो आपके लिए जानना जरूरी है। होम्योपैथ व न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. श्रीलेखा हाड़ा बता रही हैं, डाइट में मलाई को क्यों शामिल करना जरूरी है...
कितनी मलाई खाना फायदेमंद है?
फैटी फूड्स जैसे चीज़, मक्खन और मलाई को दिल के रोगों का कारण माना जाता रहा है। लेकिन हाल ही में हुए एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि जिस डाइट में सैचुरेटेड फैट्स ज्यादा होते हैं, वे वास्तव में स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं।
हर दिन दूध में 2 से 3 चम्मच मलाई लेकर देखिए, उसके अपने फायदे हैं, वजन नहीं बढ़ेगा। नॉर्वे की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्गन ने हाल ही में यह खुलासा किया कि प्राकृतिक रूप से हाई फैट वाले आहार, जिसमें कार्ब्स कम हो, वह बैड कोलेस्ट्रॉल की बजाय गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं और हृदय रोगों का खतरा नहीं बढ़ाते हैं। सबसे जरूरी बात इसे अधिक मात्रा में लेने से बचें।
मलाई क्यों और किस तरह फायदा पहुंचाती है?
मलाई प्राकृतिक प्रोबायोटिक है, जो पाचन के लिए अच्छी है। इससे आंतों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने के साथ यह रोगों को रोकती है। जिस प्रकार से यह त्वचा पर लगने पर चमक देती है, उसी प्रकार से शरीर के भीतर जाने पर भी यह भीतर जो गंदगी है, उसे खत्म करने का कार्य करती है।
जोड़ों का दर्द है तो मलाई से अच्छा लुब्रिकेंट नहीं हो सकता। इसके खाने से जोड़ दर्द कम होगा और जोड़ों को आसानी से चला सकेंगे। पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए मिश्री और मलाई को मिलाकर खाना उत्तम माना गया है। यदि रात को सोते समय 2 चम्मच भी मलाई का सेवन किया तो यह एसिड रिफ्लक्स की तकलीफ से राहत देती है।
क्या वर्कआउट डाइट में मलाई को शामिल करना चाहिए?
वर्कआउट के पहले कुछ खाना चाहते हैं तो एक छोटी कटोरी मलाई खा सकते हैं। यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना गया है। मात्र 50 ग्राम मलाई में खासा कैल्शियम होता है, जो न केवल हड्डियों के लिए अच्छा है, बल्कि नाखूनों को भी स्वस्थ रखता है। साथ ही प्रोटीन मसल्स के लिए खास फायदेमंद होता है। इसे बिना शक्कर के लेना ज्यादा बेहतर है।
यह रोगों से कैसे बचाती है?
मलाई में लैक्टिक फर्मेन्टेशन प्रोबायोटिक होता है, यह सूक्ष्मजीव आंतों को सेहतमंद रखते है जिससे पेट से जुड़े रोग दूर रहते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन-ए और प्रोटीन होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
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बच्चों में कोरोना के बदले-बदले से लक्षण, स्कूल शुरू होने के बाद इनमें डायरिया, पेट दर्द और मिचली जैसे लक्षण दिखे; इसे नजरअंदाज न करें
बच्चों पर हुई हालिया रिसर्च कहती है इनमें संक्रमण होने पर कोरोना के अलग तरह के लक्षण दिख रहे हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों में संक्रमण के बाद डायरिया, पेटदर्द और मिचली के लक्षण दिख रहे हैं। जबकि आमतौर कोविड-19 होने पर बुखार, खांसी, गंध या स्वाद न मिल पाना जैसे लक्षण दिखते हैं।
नॉर्थर्न आयरलैंड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने अपने अध्ययन में कहा है, हमें स्कूली बच्चों में डायरिया और मिचली के लक्षण मिले हैं। इन्हें भी कोरोना के अहम लक्षणों में शामिल करने की जरूरत है।
1 हजार बच्चों पर हुई रिसर्च
रिसर्च में 1 हजार बच्चों को शामिल किया गया है। उनकी औसत उम्र 10 साल थी। इनका ब्लड टेस्ट करके ये जाना गया कि हाल ही में इन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ था या नहीं। इनमें 68 बच्चों में एंटीबॉडी बनी थी। इनमें बुखार, खांसी और स्वाद-गंध न महसूस होने के लक्षण दिखे थे, लेकिन न तो इनकी हालत नाजुक हुई और न ही हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा।
50 फीसदी ऐसे बच्चे थे जो एसिम्प्टोमैटिक रहे और जांच होने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इनमें से 13 बच्चों में डायरिया, मिचली और पेटदर्द के लक्षण दिखे।
अलग तरह के दिखने वाले लक्षणों का रिव्यू जारी
आयरलैंड के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, स्कूली में सामने आए नए लक्षणों का रिव्यू किया जा रहा है। महामारी में 6 माह बाद स्कूलों में बच्चों की वापसी हुई है। शिक्षा विभाग के सचिव गेविन विलियमसन ने पेरेंट्स को चेतावनी दी है कि अगर बच्चे स्कूल नहीं लौटे तो उन्हें भविष्य में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
बच्चों में कोरोना के गुपचुप संक्रमण के मामले भी दिखे
हाल ही में वॉशिंगटन के चिल्ड्रन नेशनल हॉस्पिटल की रिसर्च में सामने आया है कि बच्चों की नाक और गले में कई हफ्तों तक कोरोनावायरस रह सकता है। इस दौरान ऐसा भी हो सकता है कि उनमें इसके कोई लक्षण (एसिम्प्टोमैटिक) न दिखें। रिसर्चर्स का यह दावा बताता है कि कैसे कोरोनावायरस गुपचुप तरीके से अपना संक्रमण फैला सकता है।
केवल लक्षण दिखने पर जांच होने के कारण बढ़ सकते हैं मामले
कनाडा के रिसर्चर्स ने यह अध्ययन साउथ कोरिया में किया है। उनका कहना है, यह देखा गया है कि बच्चों में कोरोना का संक्रमण गुपचुप तरीके से फैल रहा है। रिसर्च में सामने आया कि 85 संक्रमित बच्चे टेस्टिंग से सिर्फ इसलिए दूर हो गए, क्योंकि उनमें लक्षण नहीं दिख रहे थे। कोविड-19 की जांच भी उनकी की गई जिनमें लक्षण दिखे। ऐसा आगे भी हुआ तो कम्युनिटी में एसिम्प्टोमैटिक बच्चों का दायरा बढ़ सकता है।
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