from LifeStyle - Latest Lifestyle News, Hot Trends, Celebrity Styles & Events https://ift.tt/2RldG9U
https://ift.tt/2ZAxvhW
वैज्ञानिकों ने मरीज में डिप्रेशन पता लगाने का नया तरीका ढूंढा है। अगर मरीज की हार्ट बीट तेज है और रात में भी ऐसी ही रहती है तो यह डिप्रेशन का इशारा है। ऐसे लोगों में हार्ट बीट 10 से 15 बार प्रति मिनट तक बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों का कहना है हार्ट बीट दिन में अधिक रहती है, जैसे-जैसे रात होती है यह घटती है लेकिन सामान्य लोगों के मुकाबले रात में भी ज्यादा रहती है।
32 लोगों पर स्टडी हुई
रिसर्च करने वाली जर्मनी की गोथे यूनिवर्सिटी ने इसे समझने के लिए 32 लोगों पर रिसर्च की। इनमें से 16 ऐसे लोग थे जो डिप्रेशन से जूझ रहे थे और उनका हार्ट रेट जांचा गया। इसके अलावा 16 ऐसे लोगों को भी शामिल किया जिनमें अगले 4 दिन और 3 रातों तक डिप्रेशन नहीं दिखा। डिप्रेशन के 90 फीसदी मामलों में हार्ट रेट बढ़ा पाया गया। इससे नई जानकारी सामने आई।
ऐसे पता करें हार्ट रेट
एक्सपर्ट मानते हैं कि अधिक डिप्रेशन और बेचैनी की स्थिति में इंसान के हृदय पर दबाव अधिक पड़ता है और उसे ज्यादा काम करना पड़ता है। शरीर में सूजन की एक वजह मेंटल हेल्थ भी हो सकता है जो जिसका असर नर्व ओर हार्ट रेट पर पड़ता है। इसे समझने के लिए 24 घंटे फिटनेस ट्रैकर लगाकर हार्ट रेट का पता लगा सकते हैं।
मिनी इकोकार्डियोग्राम पैच से नजर रखी गई
रिसर्चर डॉ. कार्मेन शीवेक कहते हैं, अध्ययन के दौरान लोगों के सीने पर मिनी इकोकार्डियोग्राम पैच लगाए गए। दिन-रात इस पर नजर रखी गई। रिपोर्ट में सामने आया कि डिप्रेशन से जूझने वाले लोगों का हार्ट रेट सामान्य लोगों के मुकाबले बढ़ा हुआ था।
रिसर्चर्स का दावा है कि हार्ट रेट की मदद से डिप्रेशन की 81 फीसदी तक सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
अधिक हार्ट रेट मतलब गंभीर डिप्रेशन
यूरोपियन कॉलेज ऑफ न्यूरोसायको फार्मेकोलॉजी के मुताबिक, हार्ट रेट से ऐसे मरीजों के बारे में जानकारी मिलती है जो बहुत अधिक डिप्रेशन में हैं। ऐसे लोगों में डिप्रेशन दूर करने वाली 2 तरह की एंटी-डिप्रेसेंट दी गईं, लेकिन बेअसर रहीं।
रिसर्चर का कहना है कि अगर डिप्रेशन का शुरुआती स्टेज में पता चल जाए तो काउंसिलिंग और एक्सरसाइस से इलाज हो सकता है। अगर डिप्रेशन के कारण हार्ट रेट अधिक बढ़ रहा है तो कोरोनरी आर्टरी डिसीज या हार्ट फेल भी हो सकता है।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों के मन में कई सवाल अब भी घूम रहे हैं। कई सवाल होम आईसोलेशन से जुड़े भी हैं, क्योंकि अब अगर किसी को कारोना का संक्रमण होता है, तो जरूरी नहीं है कि उसे अस्पताल में भर्ती किया जाए। कोरोना से जुड़े ऐसे ही सवालों के जवाब मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के चिकित्सक डॉ. नरेश गुप्ता से जानिए...
पॉजिटिव होने पर घर या अस्पताल कहां आइसोलेट हों?
एक्सपर्ट : सरकार ने ढील इसलिए दी है क्योंकि अब लोगों में जागरूकता आ चुकी है। इसलिए अगर मरीज होम आइसोलेशन में रहना चाहते हैं, तो रह सकते हैं। लेकिन अगर लक्षण गंभीर हैं तो अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। घर में अगर आइसोलेट होना है तो जरूरी है एक अलग कमरा और बाथरूम हो। घर में भी कोई देख-रेख के लिए हो। घर में सभी जरूरी सुविधाएं हों तभी रहें।
पल्स ऑक्सीमीटर को कैसे समझें?
एक्सपर्ट : जो लोग स्वस्थ हैं, और उन्हें फेफड़े की बीमारी नहीं है, तो रीडिंग 95-100 प्रतिशत के बीच में होनी होनी। अगर ये गिरने लगे और 92 प्रतिशत तक आ जाए तो इसका मतलब बीमारी बढ़ रही है। इसमें यह भी देखा गया है कि अगर संक्रमण बढ़ता है, तो एक दम से परेशानी नहीं होती है, बल्कि धीरे-धीरे बढ़ती है। कई बार 80 फीसदी तक गिरने पर मरीज को परेशानी का अहसास होता है। इसलिए अगर ऑक्सीमीटर की रीडिंग 92 से नीचे आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसका एक और पैमाना है, जिसमें अगर बेस लाइन लेवल नीचे गिरने लगे तो मान लेना है कि स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
क्या संक्रमित से हाथ मिलाने पर वायरस पूरे शरीर में फैल जाता है?
एक्सपर्ट : हाथ मिलाने की जरूरत नहीं है, नमस्ते करें। अगर किसी संक्रमित से हाथ मिलाते हैं तो पूरे शरीर में वायरस नहीं फैलता है। वायरस उतनी ही जगह रहता है, जितने में व्यक्ति का हाथ संक्रमित के संपर्क में आया होता है। इसलिए हाथ मिलाने से या किसी के भी संपर्क में आने पर तुरंत साबुन या सैनेटाइजर से हाथ साफ करें।
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि माना संक्रमित के हाथ से दूसरे इंसान के हाथ में 10 वायरस आए। बिना हाथ धोये मुंह, नाक या आंख पर हाथ लगाया, तो वायरस शरीर के अंदर जाकर मल्टीप्लाई होने लगता है।
सामान्य जुकाम में भी यह चिंता होने लगती है कि कहीं कोरोना तो नहीं, ऐसे में क्या करें?
एक्सपर्ट : इन दिनों कई वायरल के केस कम हो गए हैं। इसके अलावा कुछ बीमारी ऐसी हैं, जो केवल मास्क लगाने से दूर नहीं होती हैं। उसके लक्षण कोरोना जैसे ही होते हैं, जैसे कि डेंगू, मलेरिया जो मच्छर के काटने से फैलता है। इससे बचने के लिये आस-पास सफाई रखें, मच्छर न पनपने दें। लेकिन अगर कोरोना के लक्षण हैं, या किसी संक्रमित के संपर्क में आए हैं तो एक बार जांच जरूर करा लें। जांच कराने से न घबरायें, अब सरकार ने बिना डॉक्टर के लिखे भी ऑन डिमांड जांच कराने की अनुमति दे दी है।
कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इसका क्या कारण हो सकता है?
एक्सपर्ट : इसके कई कारण हैं, लेकिन जो मुख्य हैं, वो यह कि जब किसी शहर या इलाके में संक्रमण कंट्रोल होता जाता है तो लोग रिलैक्स हो जाते हैं कि कोरोना चला गया। इसी चक्कर में जो लोग अब तब सावधानी बरत रहे थे, लापरवाह हो जाते हैं। अब बाजार भी खोल दिए गए हैं। वहां भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। इसके अलावा देश में टेस्टिंग की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई है। इसकी वजह से जैसे-जैसे टेस्ट बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे संक्रमित पकड़ में आ रहे हैं।
आज हिंदी दिवस है। इस मौके पर हिंदी को बढ़ावा देने वाले महान विद्वानों के विचारों के साथ जानते हैं कि हिंदी नाम कहां से आया। हिंदी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग 1424 के शरफुद्दीन यज्दी’ के ‘जफरनामा’ में मिलता है।
हिंदी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द सिंधु से है। 'सिंधु' सिंध नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके भारत भूमि को सिंधु कहा जाने लगा। यह सिंधु शब्द ईरानियों के प्रभाव में ‘हिंदू’, हिंदी और फिर ‘हिंद’ हो गया।
इसी इतिहास के साथ कुछ प्रेरक हिंदी विचार, पढ़िए, अनुभूति कीजिए और साझा भी कर लीजिए...