Wednesday, July 1, 2020
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हवा न भी चले तो भी कोरोना वायरस के कण 13 फीट तक जा सकते हैं, 30 डिग्री पर ये भाप बनकर उड़ सकते हैं

दुनियाभर के एक्सपर्ट सोशल डिस्टेंसिंग के लिए 6 फीट का दायरा मेंटेन करने की सलाह दे रहे हैं लेकिन हालिया शोध के नतीजे चौकाने वाले हैं। भारतीय और अमेरिकी शोधकर्ताओं की टीम का कहना है, कोरोना के कण बिना हवा चले भी 8 से 13 फीट तक कीदूरी तय कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, 50 फीसदी नमी और 29 डिग्री तापमान पर कोरोना के कण भाप बनकर हवा में घुलभी सकते हैं।
यह रिसर्च बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, कनाडा की ऑन्टेरियो यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया लॉस एंजलिस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर की है। शोधकर्ताओं का लक्ष्य यह पता लगाना था कि वायरस में मौजूद वायरस के कणों का संक्रमण फैलाने में कितना रोल है।टीम का कहना है, रिसर्च के नतीजे स्कूल और ऑफिस में सावधानी बरतने में मदद करेंगे।
मेथेमेटिकल मॉडल से समझी कणों की गति
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना से बचना है तो सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग ही काफी नहीं क्योंकि संक्रमण फैलाने वाले वायरस के कण बिना हवा के 13 फीट तक जा सकते हैं। फिजिक्स ऑफ फ्लुइड जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, टीम में कोरोना के कणों को फैलने, वाष्पित होने और हवा में इनकी गति को समझने के लिए मेथेमेटिकल मॉडल विकसित किया।
एक बार छींकने पर 40 हजार ड्रॉप्लेट्स निकले
शोधकर्ताओं ने संक्रमित और स्वस्थ इंसान के मुंह से निकले ड्रॉप्लेट्स पर रिसर्च की। इनमें कितनी समानता है, इसका पता लगाया गया। रिसर्च में सामने आया एक बार खांसने से 3 हजार ड्रॉप्लेट्स निकले और जो अलग-अलग दिशा में बिखर गए। वहीं, एक बार छींकने पर 40 हजार ड्रॉप्लेट्स निकले।
हवा चलने पर हालात और बिगड़ सकते हैं
टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. श्वेतप्रोवो चौधरी के मुताबिक, ऐसी स्थिति में अगर हवा चलती है या दबाव बनता है तो हालात और बिगड़ सकते हैं। फैलने वाले ड्रॉप्लेट्स का आकार 18 से 50 माइक्रॉन के बीच होता है, जो इंसान के बालों से भी बेहद बारीक होता है। इसलिए यह बात भी साबित होती है कि मास्क से संक्रमण को रोका जा सकता है।
नमीमें अधिक सेंसेटिव हो जाते हैं वायरस कण
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू के शोधकर्ता डॉ. सप्तऋषि बसु के मुताबिक, रिसर्च का यह मॉडल शत-प्रतिशत यह साबित नहीं करता है कि कोरोना ऐसे फैलता है लेकिन अध्ययन के दौरान यह सामने आया है कि ड्रॉप्लेट्स वाष्पित भी हो सकते हैं और नमीं होने की स्थिति में अधिक सेंसेटिव हो जाते हैं।
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Amid Virus Surge, Republicans Abruptly Urge Masks Despite Trump’s Resistance
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कोरोना कैसे फैला, इसकी सटीक भविष्यणी अब तक कोई गणितिय मॉडल नहीं कर पाया: आईसीएमआर प्रमुख

कोरोना कैसे फैला अब तक कोई भी मॉडल इसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाया है। देश को सिर्फ महामारी से बचाव के तरीकों पर फोकस करने की जरूरत है। यह कहना है आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव का। डॉ. बलराम के मुताबिक, जांच, वायरस की ट्रैकिंग और इलाज ही महामारी को रोकने का बेसिक बचाव है।
गणितिय मॉडल सिर्फ अलर्ट करते हैं
डॉ. बलराम ने एक इंटरव्यू में कहा, कोई भी गणितिय मॉडल यह नहीं बता सकता कि कोरोना के फैलने के लिए कौन-कौन से फैक्टर जिम्मेदार हैं। ऐसे मॉडल से सिर्फ ये आइडिया दिया जा सकता है कि देश के लिए सबसे अच्छी और बुरी स्थिति क्या हो सकती है ताकि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की तैयारी रखी जा सके।
क्या होता है गणितिय मॉडल
गणितिय मॉडल का प्रयोग रिसर्च में किया जाता है। इसकी मदद से शोधकर्ता बताते हैं कि किसी चीज का कितना प्रभाव भविष्य में पड़ सकता है। उसके व्यवहार में कितना बदलाव आ सकता है। ये अनुमान पर आधारित होते हैं। कोरोना के मामले में भी शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में अलग-अलग गणितीय मॉडल का प्रयोग किया, लेकिन अब तक कोई भी मॉडल सटीक जानकारी नहीं दे पाया है।
इतने मॉडल फेल हुए
देश में 28 जून को 2000 से अधिक कोविड-19 के नए मामले सामने आए और आंकड़ा 546,771 तक पहुंच गया। रोजाना संक्रमण केबढ़ते मामलों ने कोरोना की भविष्यवाणी करने वाले गणितीय मॉडल को गलत साबित किया है। कई मॉडल ने भविष्यवाणी की थी कि जुलाई कोरोना का पीक सीजन होगा। वहीं, कुछ मॉडल्स के मुताबिक, देश में मई-जून तक मामले थम जाएंगे। इसके अलावा कुछ में यह भी कहा गया था कि भारत में कोरोना का ग्राफ घटेगा। ये सारी भविष्यवाणी फेल साबित हुई हैं।
वायरस कब कैसे बदलेगा, समझना मुश्किल
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी और आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के चीफ एग्जीक्यूटिव इंदु भूषण के मुताबिक, गणितीय मॉडल हमेशा मौजूद डाटा के आधार पर अनुमान लगाते हैं। महामारी से जुड़े कई ऐसे फैक्टर हैं जो अज्ञात हैं। कोरोनावायरस किसी खास परिस्थिति में कैसे व्यवहार करके, यह पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता।
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