काढ़ा कैसे बनाएं कि शरीर को नुकसान न पहुंचे, आयुर्वेद में कोरोना से बचने के क्या नुस्खे हैं और किन बातों का ध्यान रखें, कोरोना के मरीजों पर आयुर्वेद की रिसर्च कहां तक पहुंची, ऐसे कई सवालों के जवाब ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद की निदेशक डॉ. तनुजा नेसारी ने दिए। डॉ. तनुजा बता रही हैं आयुर्वेद की मदद से कोरोना से कैसे निपटे....
#1) असरदार काढ़ा कैसे बनाएं जो इम्युनिटी बढ़ाए?
इन दिनों लोग शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दवा या औषधियों की ओवरडोज ले रहे हैं, जिससे उन्हें दिक्कतें हो रही हैं। डॉ. तनुजा के मुताबिक, काढ़ा बनाते वक्त चीजों का अनुपात सही होना चाहिए। काढ़ा बनाने के लिए दालचीनी, सोंठ, तुलसी, मुनक्का, काली मिर्च का होना जरूरी है। सोंठ और काली मिर्च की तासीर गर्म होती है, इसलिये दोनों ले रहे हैं तो अगर एक भाग यानी 2-3 काली मिर्च हैं तो आधा चम्मच सोंठ लें। साथ में चार भाग तुलसी, मुनक्का लें और आधा भाग दालचीनी लें और सबका मिश्रण बना लें।
एक चम्मच मिश्रण पानी में डाल कर उबाल लें। यह एंटीवायरल होता, जो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। अगर इसका सही भाग लेंगे तो नुकसान नहीं करेगा।
दिल्ली पुलिस के हजारों कर्मियों को प्रतिदिन दिया जा रहा है। आयुर्वेद संस्थान के लोग भी ले रहे हैं। काढ़ा में नींबू या गुड़ भी डाल सकते हैं।
#2) क्या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए औषधियां ली जा सकती हैं?
डॉ. तनुजा के मुताबिक, आयुर्वेद की कुछ दवाइयों पर ICMR, CSIR और आयुष के वैज्ञानिकों ने मिलकर कोरोना के मरीजों पर प्रयोग किया है। चार औषधियों को चुना गया है- अश्वगंघा, गिलोय से बनी वटी, मुलेठी और आयुष-64। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं, बुखार नहीं आता है और सर्दी जुकाम से भी बचाती हैं।
काढ़ा पीने से जिन्हें ज्यादा गर्मी होती है, यूरिन में ब्लड आता है, पाइल्स की बीमारी बढ़ गई है, तो इनमें से किसी भी औषधि में आंवला चूर्ण मिलाकर ले सकते हैं। सर्दी जुकाम न हो, इसके लिये मुलेठी भी डाल सकते हैं।
#3) कोरोना के मरीजों पर आयुर्वेद की रिसर्च कहां तक पहुंची?
डॉ. तनुजा कहती हैं, चार औषधियों के अलावा मुलेठी, गुरूची का कोविड मरीजों पर ट्रायल हुआ है। अब नीम और कालमेघ वन औषधि का भी ट्रयल अब शुरू हो रहा है। गिलोय वटी और अश्वगंधा समेत कई औषधियों के बहुत सकारत्मक परिणाम आए हैं।
#4) कोरोना को शरीर में जाने से कैसे रोकें?
डॉ. तनुजा बताती है, सभी ऐसी चीजें अपनाए, जिससे वायरस शरीर के अंदर न जाए। सबसे पहले मास्क लगाएं और हाथों को साबुन से धोते रहें। नाक में अणु तेल की कुछ बूंदें डालें। अणु तेल नाक के दोनों छिद्रों में जाने के बाद एक बायो मास्क का रूप ले लेता है। नाक के अंदर एक परत बन जाती है, जो एपीथीलियम को ढक देती है और वायरस अंदर नहीं पहुंच पाता है।
जिन-जिन लोगों ने अणु तेल नाक में डालना शुरू किया है उनमे अब तक संक्रमण नहीं मिला है। जिन्हें खराश या जुकाम है, वे स्टीम लें। बाहर आते-जाते हैं तो हल्दी, नमक, पानी का गरारा करें। जल नेति करने से भी वायरस से बचा जा सकता है।
#5) क्या गरम चीजें खाने से वायरस कमजोर पड़ता है?
ध्यान रखें, दूध का पैकेट हो या सब्जी, बाहर से लाई गई हर चीज को अच्छी तरह से धोना चाहिए। उसके बाद हाथ धोना मत भूलें। रही बात ठंडा पानी पीने की तो ठंडा, गरम से वायरस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन ऐसा देखा गया है कि गरम पदार्थ लेने से वायरस की गति धीमी हो जाती है और वो बढ़ नहीं पाता।
#6) एसिम्प्टोमेटिक मरीज में लक्षण उभरने की संभावना रहती है या नहीं?
डॉ. तनुजा ने कहा, हर वायरस का एक तय समय होता है जिसके अंदर लक्षण आ जाते हैं। अगर 14 दिन के अंदर कोई लक्षण नहीं आते हैं, तो देखा गया है कि मरीज के अंदर वायरस खत्म हो जाता है। वायरस नया है इसलिए कई बार कुछ अलग रूप में वायरस लौट भी आता है। इसलिए आगे और 7 दिन तक खुद को निगरानी में रखना होता है।
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