DIABETES type 2 would be a relatively benign condition were it not for high blood sugar levels. If left untreated, high blood sugar levels can cause all manner of complications in the body and one sign of this destruction can be seen when looking at straight lines.
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As of April, 60 percent of Americans favored universal health insurance, according to a new Johns Hopkins University survey, and nearly 80 percent want a permanent two weeks of paid sick leave from work.
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कोरोनाकाल में काफी हद तक लोगों का खानपान बदल गया है। अब डाइट में काढ़ा भी है और विटामिन-सी बढ़ाने वाला नींबू भी। गिलोय की गोली भी ली जा रही है और सोने से पहले च्यवनप्राश भी खाया जा रहा है। इन्हीं आदतों को आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि वायरस ही नहीं बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण को भी रोका जा सके और इम्युनिटी बढ़ाई जा सके।
आज वर्ल्ड फूड डे पर एक्सपर्ट से जानिए, कोरोनाकाल में हमारे खानपान का तरीका कितना बदला और कौन सी 5 चीजें आपको हमेशा बीमारियों से दूर रखने में मदद करेंगी।
खानपान के 4 बड़े बदलाव जो कोरोनाकाल में हुए
1. केमिकल से दूरी बनी, इम्युनिटी बढ़ाने के लिए फलों को डाइट में शामिल किया
क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. नीतिशा शर्मा कहती हैं, कोरोना ने लोगों को नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करना सिखाया। लोगों ने इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए खट्टे फल जैसे नींबू, मौसमी, संतरा और आंवला को खानपान का हिस्सा बनाया। प्रोसेस्ड फूड जैसे बिस्किट, रेडी-टू-ईट सूप, नूडल्स और केमिकल की मदद से प्रिजर्व किए जाने वाले खाने से दूरी बनाई।
2. ठंडा पानी पीना बंद किया, समय से खाना, सोना और उठना शुरू किया
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. किरन गुप्ता ने बताया, कोरोना ने लोगों की लाइफस्टाइल को पूरी तरह से बदला। लोगों ने समय से खाना, सोना और उठना शुरू किया। ज्यादातर लोगों ने गर्म और ताजा खाना खाया। ठंडा पानी पीना बंद किया। इसका असर गले से लेकर पेट तक हुआ। उनका खाना आसानी से पचा और सर्दी-खांसी जुकाम का खतरा भी कम हुआ। नतीजा लोगों में एनर्जी की कमी नहीं हुई।
3. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा, च्यवनप्राश और मसालों का प्रयोग बढ़ा
लोगों ने चाय की जगह काढ़ा पीना शुरू किया। हालांकि जरूरत से ज्यादा काढ़ा पीने और मसालों के प्रयोग से पेट की समस्याएं भी हुईं लेकिन लोगों ने पीना नहीं छोड़ा। इसके अलावा इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए डाइट में मसालों का प्रयोग बढ़ा। हल्दी वाला दूध लेना शुरू किया। कुछ लोगों ने लौंग का पानी, सहजन की पत्तियों को भी डाइट का हिस्सा बनाया।
4. जंक और नॉन-वेज फूड से दूरी बनी और हेल्दी फूड
लॉकडाउन में बंदी का सीधा असर उन लोगों पर पड़ा जो अक्सर बर्गर, पिज्जा जैसे जंक फूड खाते हैं। कई महीनों तक लोगों को जंक फूड नहीं मिला और कुछ लोगों ने संक्रमण के डर से भी इससे दूरी बनाई। नतीजा, घर के बने खाने से उन्हें कई तरह के न्यूट्रिएंट्स मिले। इसके साथ लोग नॉन-वेज से भी दूर हुए।
अब वो 4 बदलाव जान लीजिए जो इम्युनिटी बढ़ाकर बीमारियों से बचाएंगे
एक्सपर्ट के मुताबिक, खानपान में कुछ ऐसे बदलाव करने की जरूरत है जो कोरोना से ही नहीं बल्कि दूसरी बीमारियों से भी बचाएं। यह तभी पॉसिबल है जब इम्युनिटी को बढ़ाया जाए। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरन गुप्ता के मुताबिक, सर्दियां भी पास आ रही हैं, यह इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए सबसे बेहतर मौसम माना जाता है क्योंकि इस दौरान सबसे ज्यादा वैरायटी वाली सब्जियां और फल उपलब्ध होते हैं। सर्दी में मसालों का प्रयोग भी शरीर की गर्माहट को बढ़ाने के साथ रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।
1. खाने में लाल, पीली, हरी सब्जियों और फलों को बढ़ाएं
क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. नीतिशा शर्मा कहती हैं, खाने में लाल, पीली और हरी सब्जियों-फलों की मात्रा को बढ़ाएं। इनमें ऐसे पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो शरीर को बीमारियों से बचाते हैं। इनमें विटामिन-ए, सी और ई अधिक पाया जाता है। जैसे, टमाटर, अनार, चुकंदर, कद्दू, पपीता, आम और हरी सब्जियों को शामिल करें।
2. सूप को डाइट का हिस्सा बनाएं, इनमें कालीमिर्च का प्रयोग करें
सूप तीन तरह से फायदा पहुंचाते हैं। पहला, सर्दियों में यह शरीर को गर्म रखते हैं। दूसरा, सब्जियों का प्रयोग अधिक होने के कारण पोषक तत्वों की कमी पूरी करते हैं। और तीसरा, ये रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं। टमाटर, अदरक, गाजर, लहसुन और पत्तागोभी जैसी सब्जियों को सूप में शामिल करें। इसमें पनीर एड कर सकते हैं। कालीमिर्च का प्रयोग करना न भूलें। गर्मी के दिनों में इसका सीमित इस्तेमाल करें।
3. एक दिन में मुट्ठीभर ड्रायफ्रूट लें
खासकर सर्दियों के दिनों दिनभर में एक बार मुट्ठीभर ड्रायफ्रूट जरूर लें। काजू, बादाम, अखरोट, पिस्ता शरीर को गर्म रखेंगे और इम्युनिटी को बढ़ाएंगे। यह मेमोरी और स्किन की चमक बढ़ाने में भी मदद करते हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो हार्ट डिसीज और एजिंग से भी बचाते हैं। गर्मियाें में इनकी मात्रा कम कर दें।
4. काढ़ा बनाएं भी और पिएं भी लेकिन इसका तरीका पहले समझें
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरन गुप्ता कहती हैं, काढ़ा बनाते वक्त चीजों का अनुपात सही होना चाहिए। काढ़ा बनाने के लिए दालचीनी, सोंठ, तुलसी, मुनक्का, काली मिर्च का होना जरूरी है। सोंठ और काली मिर्च की तासीर गर्म होती है, इसलिए दोनों ले रहे हैं तो यह ध्यान रखें। अगर एक भाग यानी 2-3 काली मिर्च हैं तो आधा चम्मच सोंठ लें। साथ में चार भाग तुलसी, मुनक्का लें और आधा भाग दालचीनी लें और सबको मिला लें। लगभग इसे एक गिलास पानी में डाल कर उबाल लें। इसे गुनगुना पिएं। स्वाद लाने के लिए गिलास में काढ़ा निकालने के बाद उसमें शहद और नींबू की कुछ बूंदें डाल सकते हैं। इसके अलावा मौसम कोई भी हो शरीर में पानी की कमी न होने दें।
While questions have surrounded the timing and severity of the president’s illness, health experts said he was unlikely to infect people at Thursday’s town hall event on NBC.
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ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इंसानों की अकल दाढ़ विलुप्त होने के कगार पर है और इंसान की हाथों में एक अतिरिक्त आर्टरी (धमनी) पाई जा रही है। वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को आधुनिक मानव में माइक्रोइवोल्युशन (सूक्ष्म बदलाव) की संज्ञा दे रहे हैं।
हाथों में खास तरह की धमनी मिली जो भ्रूण में दिखती थी
दरअसल, 20वीं शताब्दी में ऐसा माने जाने लगा कि इंसान इतना विकसित हो चुका है कि शारीरिक तौर पर कोई मूलभूत विकास होने की संभावना नगण्य है। लेकिन, यह धारणा हाल के एक शोध के निष्कर्षों से बदल गई है। जर्नल ऑफ एनाटॉमी में प्रकाशित शोध के अनुसार मनुष्य की बाहों में एक अतिरिक्त आर्टरी (धमनी) पाई जा रही है।
शोधकर्ता प्रोफेसर मेसिज हेनबेर्ग के अनुसार यह एक खास किस्म की धमनी है। यह तब उभरती है, जब बच्चा गर्भ में विकास की प्रारंभिक अवस्था में होता है। इससे बच्चे के विकसित हो रहे हाथों में खून का प्रसार होता है। लेकिन, जैसे ही रेडियल और अलनल (खास किस्म की धमनियां) विकसित होती हैं, ये मीडियन धमनी विलुप्त हो जाती है।
अभी इसके फायदे-नुकसान बताना मुश्किल
आश्चर्य की बात यह है कि हर तीन में से एक व्यक्ति में ये मीडियन धमनी विलुप्त नहीं होती। बल्कि ऐसे लोगों के शरीर में दो की जगह तीन धमनियां पाई जा रही हैं। हेनबेर्ग का कहना है कि तीसरी धमनी को लेकर अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इससे कोई फायदा है। लेकिन, इसका नुकसान भी नहीं है। इसके साथ ही मानवों में अकल दाढ़ विलुप्त होने के कगार पर है।
ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के डॉ. टेघन लुकस का कहना है कि मनुष्य का मुंह छोटा होता जा रहा है। ऐसे में अकल दाढ़ के लिए जगह नहीं बच रही है। खान-पान में बदलाव से भी यह विलुप्त हो रही है।
इंसानों की कच्ची चीज खाने की आदत छूटी
अब कच्चा खाने की मनुष्य की आदत छूट चुकी है। उसे चबाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। शुरुआत में जब ऐसे बदलाव दिखे, तब वैज्ञानिकों ने 20वीं शताब्दी में जन्मे लोगों के शवों की जांच करनी शुरू की। उन्होंने पाया कि कुछ लोगों के हाथों और पैरों में अतिरिक्त हड्डी पाई गई। कुछ लोगों के पंजों में भी हडि्डयां जुड़ी पाई गईं। 250 सालों में मनुष्य की संरचना में तेजी से अजीब बदलाव आए हैं।
चार्ल्स डार्विन ने बताया था- सभी जीव परिस्थिति के अनुसार बदलते हैं
नवंबर 1869 को ‘ऑन द ओरिजन ऑफ इस्पीशिस’ किताब में वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने इवोल्यूशन का सिद्धांत दुनिया को दिया। इसके अनुसार सारे जीव जंतु समय और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहे हैं। और जो बदलने में सक्षम नहीं रहे, वो विलुप्त हो गए। होमोसेपियन के तौर पर विकसित होने से पहले मनुष्य जाति कम से कम तीन से चार तरीके के बदलाव अपने शारीरिक संरचना में देख चुका है।