CLEANING a reusable face mask can be seen as a tedious job as well as some people not knowing how to clean it properly. A cleaning expert has explained the correct way to clean a face mask with these simple steps.
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SOPHIE, COUNTESS OF WESSEX has become a royal favourite since she married Prince Edward 21-years-ago. A body language expert reveals how their relationship has changed as Sophie's role in the Royal Family has grown.
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ORAL cancer is a tumour that can develop on the tongue, the insides of the cheeks, the roof of the mouth, the lips or gums. Scientists are now working on a pain-free device that'll detect the disease in the early stages.
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अस्पताल का आईसीयू यानी वो जगह जहां मरीज को तभी लाया जाता है जब उसकी हालत नाजुक होती है। कोरोना महामारी के दौर में इसकी तस्वीर थोड़ी बदली है। अब आईसीयू में मरीजों की जान बचाने डॉक्टर खुद को भी वायरस से दूर रखने की जद्दोजहद में फंसे हैं।
आईसीयू में इलाज के दौरान मरीजों से फैले कोरोना के कण उनके चारों ओर बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे 'वायरस लोड' का नाम दिया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, वायरस लोड सबसे ज्यादा आईसीयू में होता है, इसके बाद दूसरे वार्ड में।
ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियंस में हुई हालिया शोध कहती है कि अस्पताल के एक चौथाई से अधिक डॉक्टर बीमार हैं या कोविड-19 के कारण क्वारेंटाइन में हैं। चिकित्सा जगत की विश्वसनीय वेबसाइट मेडस्केप के मुताबिक, ब्रिटेन में कोविड-19 से मरने वाले हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स का आंकड़ा 630 की संख्या को पार कर गया है।
डॉक्टर्स के लिए वायरस लोड का संकट बढ़ रहा है क्योंकि ये मरीजों के सैम्पल ले रहे हैं, ऑक्सीजन दे रहे हैं, चेकअप कर रहे हैं। इस दौरान वायरस के कण मरीज से डॉक्टर्स तक पहुंच रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, मेडिकल प्रोफेशनल्स 7 से 8 घंटे की नींद नहीं पूरी कर पा रहे हैं। यह स्थिति संक्रमण का खतरा बढ़ती है और हार्ट डिसीज, डायबिटीज और स्ट्रोक की आशंका बढ़ती है।
आईसीयू वार्ड में वायरस लोड से जूझने वाले डॉ. जेक ने बताई आपबीती
1. लॉन्ग कोविड का पहला मामला : ड्यूटी के एक हफ्ते बाद ही दिखने लगे लक्षण
डॉ. जेक स्यूट की उम्र 31 साल है और इनकी तैनाती आईसीयू वार्ड में हुई थी। 3 मार्च को इनकी ड्यूटी कोरोना से जूझ रहे लोगों को बचाने में लगाई गई थी। 20 मार्च को पहली बार कोरोना के लक्षण दिखे। संक्रमण खत्म होने के बाद भी जेक इसके साइडइफेक्ट से जूझ रहे हैं। हफ्ते में 4 से 5 बार जिम जाने वाले जेक 3 महीने बाद भी सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मेमोरी लॉस, आंखों की घटनी रोशनी से परेशान हैं। हालत ऐसी है कि वह अब तक काम पर नहीं लौट सके हैं।
वह कहते हैं कि जब मैंने पहले तीन दिन बेड पर गुजारे तो ऐसा लगा कि मैं मरने वाला हूं, सब कुछ काफी परेशान करने वाला था। अभी भी मेरे पैरों और हाथों में काफी दर्द रहता है। तब से हालत में सुधार तो हुआ है लेकिन बेहद धीमी गति से।
डॉ. जेक फेसबुक के उस ग्रुप से जुड़े हैं जिसमें डॉक्टर समेत 5000 ऐसे लोग हैं जो लम्बे समय से कोरोना से जूझ रहे हैं। 14 हफ्तों से अधिक समय तक रहने वाले संक्रमण को 'लॉन्ग कोविड' का नाम दिया गया है। डॉ. जेक कहते हैं कि मैं चाहता हूं वैज्ञानिक इस पोस्ट कोविड सिंड्रोम कपर रिसर्च करें और पता लगाएं कि क्यों हजारों लोग इतनी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं।
2. लॉन्ग कोविड का दूसरा मामला : संक्रमण खत्म होने के 9 हफ्ते बीते लेकिन 2 घंटे से ज्यादा कम नहीं कर पातीं
लुसी बेली की उम्र 32 साल है। पहली बार कोरोना के लक्षण 27 अप्रैल को दिखे थे लेकिन अब भी वह घर पर दो घंटे ज्यादा देर तक काम नहीं कर पाती हैं। बीमारी के 9वें हफ्ते से गुजर रहीं लुसी कहती हैं कि लोग सोचते हैं अगर आपकी मौत कोरोना से नहीं हुई और 2 हफ्ते निकाल ले गए तो आप बच जाएंगे लेकिन आप लॉन्ग कोविड से भी गुजर सकते हैं।
लुसी ट्विटर पर लिखती हैं कि हर 20 में से एक इंसान संक्रमण के एक महीने बाद भी रिकवर नहीं कर पा रहा है। मैं 8 हफ्तों के बाद भी इससे उबर नहीं पाई हूं। संक्रमण से पहले मैं स्वस्थ थी मुझे कोई बीमारी नहीं थी। लॉकडाउन हट गया है, सावधान रहें, ऐसा आपके साथ भी हो सकता है।
लॉन्ग कोविड का असर हेल्थ वर्करों और मरीजों पर पड़ सकता है
इम्पीरियल कॉलेज लंदन में इम्युनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डैने अल्तमेन कहते हैं, कोरोना के लम्बे समय तक दिखने वाले साइडइफेक्ट पर स्टडी हो रही है। डॉ जेक को भी इसमें शामिल करने के लिए बुलाया गया है। इसे समझना बेहद जरूरी है क्योंकि डॉक्टर्स को मरीज देखने जाना ही पड़ता है। इसका असर नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए काम करने वाले हेल्थ वर्कर और मरीजों पर पड़ सकता है।
कोलकाता के बीरभम में एक दुर्लभ मामला सामने आया है। पेट दर्द की शिकायत की बाद 30 साल की एक महिला को अचानक पता चला कि वह 'मर्द' है और टेस्टिकुलर कैंसर (अंडकोश में कैंसर) से जूझ रही है। महिला का इलाज कोलकाता के सुभाष चंद्र बोस कैंसर हॉस्पिटल में चल रहा है। जांच करने वाले डॉ. अनुपम दत्ता का कहना है कि बाहरी शारीरिक बनावट जैसे ब्रेस्ट, आवाज और गुप्तांग से वह महिला है लेकिन उसके शरीर में गर्भाशय और अंडाशय नहीं है। यह एक दुर्लभ मामला है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में एंड्रोजन इनसेंसटिविटी सिंड्रोम कहते हैं।
क्या होता है एंड्रोजन इनसेंसटिविटी सिंड्रोम
यह दुर्लभ स्थिति होती है जो तब बनती है जब गर्भ में भ्रूण के जननांग विकसित हो रहे होते हैं। जन्मजात एंड्रोजन इनसेंसटिविटी सिंड्रोम के साथ पैदा होनेवाले बच्चे अंदरूनी तौर पर पुरुष होते हैं और बाहर से दिखने पर लड़की जैसे दिखते हैं। कुछ मामलों में ये बाहरी तौर पर महिला और पुरुष दोनों की तरह मिलते-जुलते दिखते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, 22 हजार लोगों में से किसी 1 में ऐसा मामला सामने आता है।
9 साल पहले हुई थी शादी
9 साल पहले महिला की शादी हुई थी। एंड्रोजन इनसेंसटिविटी सिंड्रोम के बावजूद उसे कोई परेशानी नहीं हुई।कुछ महीने पहले वह पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होने पर सुभाष चंद्र बोस कैंसर हॉस्पिटल पहुंची। जांच करने वाले डॉ. अनुपम दत्ता के मुताबिक, महिला को आज तक पीरियड्स (माहवारी) नहीं आए। इस मामले के बाद महिला की बहन की जांच भी की गई तो वह भी एंड्रोजन इनसेंसटिविटी सिंड्रोम से जूझ रही थी।
महिला में दुर्लभ कैंसर का भी पता चला
डॉ. दत्ता के मुताबिक, पेट दर्द की शिकायत के बाद हमनें जांचें की। रिपोर्ट में सामने आया कि महिला में टेस्टिकल्स (वीर्यकोष) हैं। इसके बाद उसकी बायोप्सी से साफ हुआ कि महिला टेस्टिकुलर कैंसर से जूझ रही है जिसे सेमिनोमा कहते हैं। सेमिनोमा टेस्टिस में होने वाला दुर्लभ कैंसर है। वर्तमान में महिला की कीमोथैरेपी की जा रही है और उसकी हालत स्थिर है।
वीर्यकोष पूरी तरह विकसित नहीं हो पाए
डॉ. दत्ता के मुताबिक, महिला में टेस्टिकल्स (वीर्यकोष) पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए हैं। मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन नहीं रिलीज हुआ। उसमें फीमेल हार्मोन रिलीज हुआ इसलिए वह महिला जैसी दिखती है। वह एक औरत की तरह पली-बढ़ी है। करीब एक दशक पहले शादी हुई है, इसलिए हम अभी महिला और उसके पति की काउंसलिंग कर रहे हैं।
जीन्स की वजह से ऐसा हो सकता है
हॉस्पिटल के कैंसर एक्सपर्ट का कहना है कि दम्पति ने कई बार फैमिली प्लानिंग की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाई। हमें यह पता चला है कि महिला के ननिहाल की दो महिलाओं में भी एंड्रोजन इनसेंसटिविटी सिंड्रोम की पुष्टि हुई थी।
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CORONAVIRUS symptom update: Common symptoms of the deadly virus are a cough, fever and shortness of breath. Three other symptoms have been added, what are they?
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CORONAVIRUS symptoms include a high fever, a new cough, and loss of smell and taste. But you could also be at risk of COVID-19 infection if you develop this "extremely common" symptom. This is when your muscle aches could be caused by coronavirus. Should you consider self-isolating with coronavirus signs?
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