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दुनियाभर में कोविड-19 की 5 वैक्सीन सबसे ज्यादा चर्चा में है। ये ह्यूमन ट्रायल के अंतिम चरण में हैं और अब तक सामने आए नतीजों में सुरक्षित साबित हुई हैं। जैसे-जैसे ये ट्रायल के अंतिम चरण की ओर बढ़ रही हैं, दुनियाभर में कीमत पर बहस भी बढ़ रही है। इन वैक्सीन को तैयार करने वाली फर्म ने इनकी संभावित कीमतों की ओर इशारा किया है। इस बीच रूस ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन सितंबर-अक्टूबर तक उपलब्ध हो जाएगी।
जानिए दुनियाभर की 5 सबसे चर्चित वैक्सीन, उनका स्टेटस और उनकी कीमत -
इन 5 वैक्सीन पर दुनिया की उम्मीद
1. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कम्पनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (AZD1222)
2. अमेरिकी फार्मा कम्पनी मॉडर्मा की वैक्सीन (mRNA-1273)
3. अमेरिकी फर्म फाइजर और जर्मन बायोटेक कम्पनी बायोएनटेक की वैक्सीन (BNT162b2)
4. चीनी फर्म सिनोवेक की वैक्सीन (Coronavac)
5. रूसी सरकार की वैक्सीन (Gam-Covid-Vac Lyo)
#1) ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन : एक डोज की कीमत 225 रुपए
ब्रिटेन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में इस वैक्सीन का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। अगस्त के अंत तक भारत में इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू होगा। इस वैक्सीन को भारतीय कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तैयार कर रही है। देश में इसे कोविशील्ड के नाम से लॉन्च किया जाएगा।
इस वैक्सीन का ट्रायल देश में 18 जगहों पर होगा। इसमें 1600 वॉलंटियर्स शामिल होंगे। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अडार पूनावाला का कहना है कि अगर ट्रायल कामयाब होता है तो 2021 की पहली तिमाही तक इसके 30 से 40 करोड़ डोज तैयार किए जा सकेंगे। वैक्सीन इस साल नवम्बर तक आ सकती है।
नेशनल बायोफार्मा मिशन एंड ग्रैंड चैलेंज इंडिया प्रोग्राम के तहत सरकार और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच एक करार हुआ है। इस प्रोग्राम के तहत ही वैक्सीन का बड़े स्तर पर ट्रायल होगा। इसके लिए कई इंस्टीट्यूट सिलेक्ट किए जा चुके हैं।
ब्रिटिश सरकार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ 100 मिलियन डोज की डील पहले ही कर चुकी है। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्राजील सरकार के साथ भी एक करार हुआ है। जिसके तहत ब्राजील को वैक्सीन की 3 करोड़ डोज दी जाएंगी।
सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है, इस वैक्सीन के एक डोज की कीमत एक हजार रुपए से भी कम होगी। लेकिन हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और वैक्सीन अलायंस संस्था गावी के साथ एक करार किया है। इस करार के तहत भारत और निम्न आय वाले 92 देशों को मात्र 3 डॉलर यानी 225 रुपए में यह वैक्सीन मिल सकेगी।
#2) मॉडर्ना की वैक्सीन : एक डोज की कीमत 1800 से 2300 रुपए के बीच होगी
अमेरिकी कम्पनी मॉडर्ना ने अपनी वैक्सीन (mRNA-1273) के तीसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है। यह 30 हजार वॉलंटियर्स पर किया जा रहा है। वैक्सीन के लिए कोरोनावायरस के RNA का कृत्रिम रूप तैयार किया गया है। इसी को वैक्सीन का आधार बनाया गया है जो इम्यून सिस्टम को इस लायक बनाएगा की वह वायरस से लड़ सके।
पहले वैक्सीन ट्रायल के नतीजे सकारात्मक रहे हैं और साबित हुआ है यह सुरक्षित है। वैक्सीन कितनी असरदार है और यह कितनी सुरक्षित है, इसे एक बार और समझने के लिए अंतिम ह्यूमन ट्रायल किया जा रहा है।
इस साल नवम्बर तक तीसरे चरण के नतीजे सामने आने की उम्मीद है। चर्चा है कि जिस तेजी से ट्रायल चल रहा है उसके मुताबिक, वैक्सीन दिसम्बर तक उपलब्ध हो सकती है।
मॉडर्ना वैक्सीन के पूरे कोर्स की कीमत 3700 से 4500 रुपए के बीच रखने की योजना बना रही है। इसके मुताबिक, एक डोज की कीमत 1800 से 2300 रुपए के बीच हो सकती है। यह कीमत अमेरिका और दूसरे अधिक आय वाले देशों के लिए है।
#3)फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन : एक डोज की कीमत 225 से 300 रुपए के बीच
अमेरिकी फर्म फिजर और जर्मन बायोटेक कम्पनी बायोएनटेक की वैक्सीन (BNT162b2) का भी दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। वैक्सीन का ट्रायल 30 हजार लोगों पर किया जा रहा है। अब तक ट्रायल में सामने आए नतीजे के मुताबिक, वॉलंटियर्स में इसका इम्यून रेस्पॉन्स अच्छा मिला है।
जिन वॉलंटियर्स को यह वैक्सीन दी गई है उनमें कोरोना को न्यूट्रल करने वाली एंटीबॉडीज विकसित हुईं। अमेरिकी फर्म फिजर की कोशिश है कि जल्द से जल्द ट्रायल को पूरा करके अक्टूबर तक ड्रग कंट्रोलर से वैक्सीन का अप्रूवल मिल जाए। साल के अंत तक यह वैक्सीन आने की उम्मीद है।
हाल ही में ट्रम्प प्रशासन से इस वैक्सीन के लिए फिजर के साथ 2 बिलियन डॉलर का करार किया है। इस करार के तहत कंम्पनी उन्हें 100 मिलियन डोज उपलब्ध कराई जाएंगी। फिजर ने वैक्सीन के लिए ऐसी ही कई डील नीदरलैंड्स, जर्मनी, फ्रांस और इटली के साथ भी की है।
नीदरलैंड्स, जर्मनी, फ्रांस और इटली में इस वैक्सीन के एक डोज की कीमत 255 से 300 रुपए होगी। अमेरिका में इसके एक डोज की कीमत 1500 रुपए हो सकती है।
#4)चीनी फर्म सिनोवेक की वैक्सीन : चीन की सबसे चर्चित वैक्सीन
चीन ने पहली वैक्सीन फार्मा कम्पनी सिनोवेक बायोटेक के साथ मिलकर तैयार की है। यह देश की दूसरी और दुनिया की तीसरी ऐसी वैक्सीन है, जिसका तीसरे चरण का ट्रायल सबसे पहले शुरू हुआ।
दूसरी वैक्सीन चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) मेडिकल रिसर्च यूनिट ने प्राइवेट कम्पनी केनसिनो के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार की है। ट्रायल के लिए इसका इस्तेमाल सीमित आम लोगों पर करने की अनुमति दे दी गई है।
चीन में सबसे ज्यादा चर्चा सिनोवेक की वैक्सीन की है। इसका अंतिम चरण का ट्रायल इंडोनेशिया में 6 अलग-अलग जगहों पर चल रहा है। ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद भी यह अंतिम चरण तक देरी से पहुंची। चीन में कोरोना के मामले तेजी से घटने के कारण ट्रायल के लिए हॉटस्पॉट नहीं मिलने पर कम्पनी को दूसरे देशों का रुख करना पड़ा, यही देरी की बड़ी वजह है।
एकेडमिक जर्नल साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कम्पनी ने वैक्सीन का नाम "कोरोनावेक" रखा है। फार्मा कम्पनी सिनोवेक बायोटेक का दावा है कि वैक्सीन 99 फीसदी तक असरदार साबित होगी। हमने वैक्सीन के 100 मिलियन डोज तैयार करने का लक्ष्य रखा है।
वैक्सीन कब तक उपलब्ध होगी और इसके एक डोज की कीमत क्या होगी, कम्पनी ने फिलहाल अब तक इस पर कोई जानकारी नहीं जारी की है।
#5)रूसी सरकार की वैक्सीन: विवादित और सबसे पहले आने का दावा
रूस की पुतिन सरकार का दावा है कि उसने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है और इसका फाइनल रजिस्ट्रेशन अगले हफ्ते हो जाएगा। रशिया की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर ओलेग ग्रिडनेव ने शुक्रवार को कहा, कोविड-19 की वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन 12 अगस्त को होगा।
Gam-Covid-Vac Lyo नाम की यह वैक्सीन रूस के रक्षा मंत्रालय और गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडिमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी ने तैयार की है।
रूस ने दावा किया है कि उसने कोरोना की जो वैक्सीन तैयार की है वह क्लीनिकल ट्रायल में 100 फीसदी तक सफल रही है। ट्रायल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई उनमें वायरस के खिलाफ इम्युनिटी विकसित हुई है।
डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर ओलेग ने एक कैंसर सेंटर के उद्घाटन पर कहा, वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वैक्सीन सुरक्षित साबित हो। इसलिए यह सबसे पहले बुजुर्गों और मेडिकल प्रोफेशनल्स को दी जाएगी। इसकी कीमत नहीं जारी की गई है।
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रूस द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई तरह की शंकाएं जताई हैं। संगठन वैक्सीन के तीसरे चरण को लेकर संशय है। संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अगर किसी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, तो इसे खतरनाक मानना ही पड़ेगा।
वैक्सीन के मुनाफे पर कम्पनियों का अलग-अलग रुख
वैक्सीन को बेचकर कितना मुनाफा कमाना है इस पर अलग-अलग कम्पनियों का रुख भी अलग है। वैक्सीन तैयार करने वाली अमेरिकी कम्पनी फिजर और मॉडर्ना का कहना है कि वे एक निश्चित मुनाफा कमाने के लिए वैक्सीन को बेचेंगी। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन ने घोषणा की है कि वह महामारी के दौरान वैक्सीन को बिना किसी मुनाफे के बेचेगी। वैक्सीन को 10 डॉलर यानी 750 रुपए में उपलब्ध कराएगी।
अप्रूवल मिलने से पहले मारामारी के हालात बन रहे
अभी किसी भी देश में वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर की तरफ से अंतिम अप्रूवल नहीं मिला है लेकिन कई अधिक आय वाले देशों ने वैक्सीन तैयार करने वाली कम्पनियों के साथ करार किया है। यह एक प्री-परचेज डील है। जिसके मायने हैं कि वैक्सीन सबसे पहले उन्हें मिलेगी।