Saturday, September 26, 2020
Which toxic fumes in everyday life could cause lung cancer symptoms?
LUNG cancer can affect anyone - claiming the lives of men and women around the world. In the UK, there are around 46,000 lung cancer cases each year. Which toxic fumes could be putting you at risk?
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झुर्रियां घटाने और वजन कम करने के लिए खाने में शामिल करें चुटकीभर कालीमिर्च, यह पेट के रोगों से बचाती है और कोलोन कैंसर का खतरा घटाती है
काली मिर्च का इस्तेमाल पुलाव और सब्जियों का जायका बढ़ाने के लिए किया जाता है। पर ये सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाती बल्कि सेहत भी दुरुस्त रखती है। इसे भोजन में शामिल करके कई समस्याओं को दूर रखा जा सकता है।
हल्दी और काली मिर्च को मिलाकर दूध में डालकर पी सकते है। यह पेय आमतौर पर गंभीर सर्दी से पीड़ित मरीजों को दिया जाता है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन-ए और कैरोटिनॉयड से युक्त होता है जो बीमारियों से लड़ने में भी मददगार होता है।
कोरोनाकाल में इसे खाने में शामिल करना जरूरी है ताकि शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़े। कोलम्बिया एशिया अस्पताल, गाजियाबाद की डाइटीशियन डॉ. आदिति शर्मा बता रही हैं, इसे फायदे और इस्तेमाल करने का तरीका
इसे चबाकर खाने से पाचन सुधरता है
काली मिर्च पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है। जब इसे चबाकर खाया जाता है, तो हाइड्रोक्लोरिक एसिड पेट से निकलता है और यह प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है। हाइड्रोक्लोरिक एसिड आंतों को साफ करने और पेट व आंत के कई रोगों से बचाव करने में मदद करता है। अपने खाने में एक चुटकी काली मिर्च जरूर शामिल करें।
क़ब्ज़ से बचाती है
भोजन में रोजाना बड़ी-सी काली मिर्च के इस्तेमाल से कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है। हर दिन काली मिर्च खाने से कोलोन कैंसर, कब्ज, दस्त और कई प्रकार की बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। ध्यान रहे, इसका अधिक सेवन न करें। हर रोज केवल एक चुटकी ही पर्याप्त है।
झुर्रियां कम करती है
यह स्किन प्रॉब्लम (पिगमेंटेशन) को होने से रोकती है और त्वचा के ओरिजनल कलर को बनाए रखने में मदद करती है। अगर बहुत कम उम्र से काली मिर्च का सेवन करते हैं तो झुरियां और स्किन प्रॉब्लम्स दूर हो सकती हैं। यह समय पूर्व बुढ़ापे और काले धब्बों को भी रोकती है।
वज़न घटाने में इसे ग्रीन टी के साथ लें
एक चुटकी काली मिर्च को ग्रीन टी में मिलाकर दिन में दो से तीन बार पिएं। इस मसाले में फाइटोन्यूट्रिएंट्स की प्रचुर मात्रा होती है, जो अतिरिक्त फैट को घटाने में मदद करता है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सुधरता है।
कैसे करें सेवन
- सलाद में एक चुटकी नमक के साथ इसे भी छिड़का जा सकता है।
- तले आलू या चिप्स के ऊपर चुटकीभर काली मिर्च पाउडर डालकर सेवन करें।
- जब आप कोई भी सूप बनाए तो स्वाद बढ़ाने के लिए उस पर थोड़ी-सी काली मिर्च छिड़क दें। इससे सर्दी नहीं होगी और स्वाद भी बढ़ेगा।
- फ्राइड चावल में कुछ अतिरिक्त स्वाद के लिए काली मिर्च डालें, और जायके में अंतर देखें।
- ताजा पिसी काली मिर्च को किसी भी चीज में डाला जा सकता है। सलाद, सूप से लेकर पास्ता और यहां तक कि छाछ में भी काली मिर्च का सेवन किया जा सकता है।
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Coronavirus symptoms: What does a coronavirus cough sounds like?
जर्मनी के वैज्ञानिकों ने लैब में बनाई कोरोना से लड़ने वाली सबसे असरदार एंटीबॉडी, चूहे पर सफलता के बाद अब इंसानों को देने की तैयारी
जर्मनी के वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी की खोजी है जो कोरोना से लड़ने में असरदार है। इस एंटीबॉडी से पैसिव वैक्सीन तैयार की जा सकती है। पैसिव वैक्सीन के तहत वैज्ञानिक इस एंटीबॉडी को कोरोना पीड़ित के शरीर में पहुंचाएंगे। यह उन्हें कोरोना से लड़ने में मदद करेगी।
600 तरह की एंटीबॉडीज से इसे अलग किया
रिसर्च करने वाले जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडिजेनेरेटिव डिसीज के वैज्ञानिकों ने कोरोना से उबर चुके लोगों के खून से 600 तरह की एंटीबॉडीज अलग कीं। लैब में टेस्ट के बाद पता चला कि इनमें से कुछ एक्टिव एंटीबॉडीज कोरोना से लड़ने में असरदार साबित हो सकती हैं। उनसे एक एंटीबॉडी को लैब में सेल कल्चर की मदद से कृत्रिम रूप तैयार किया।
ऐसे काम करती है यह एंटीबॉडी
रिसर्चर्स का कहना है कि जो न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी लैब में तैयार की गई है वो कोरोना को बांधने का काम काम करती है। यह कोरोना को शरीर में घुसने और बढ़ने की प्रक्रिया पर रोक लगाती है। रिसर्च में दावा किया गया है कि इस एंटीबॉडी की मदद से शरीर की इम्यून कोशिकाएं कोरोना को खत्म कर देती हैं।
चूहों पर असरदार साबित हुई
इस एंटीबॉडी का चूहों पर सकारात्मक असर हुआ है। असर दो तरह से दिखा है। पहला, जो चूहे कोरोना से संक्रमित थे, उनमें इस एंटीबॉडी का हल्का असर दिखा। दूसरा, जिन चूहों में संक्रमण से पहले ये एंटीबॉडी डाली गईं वो बिल्कुल स्वस्थ रहे।
जर्नल सेल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चूहों में मौजूद कोशिकाएं इंसानी कोशिकाओं से मिलती जुलती हैं, इसलिए इस एंटीबॉडी को मरीजों के लिए भी प्रभावी मनाया गया है।
क्या होती है एंटीबॉडी
ये प्रोटीन से बनीं खास तरह की इम्यून कोशिकाएं होती हैं जिसे बी-लिम्फोसाइट कहते हैं। जब भी शरीर में कोई बाहरी चीज (फॉरेन बॉडीज) पहुंचती है तो ये अलर्ट हो जाती हैं। बैक्टीरिया या वायरस के विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करने का काम यही एंटीबॉडीज करती हैं। इस तरह ये शरीर को प्रतिरक्षा देकर हर तरह के रोगाणुओं के असर को बेअसर करती हैं।
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