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दुनिया का सबसे बुजुर्ग घड़ियाल मूजा 83 साल का हो गया है। इसे जर्मनी के बेलग्रेड चिड़ियाघर में 1937 (अगस्त) में लाया गया था। इसकी देखरेख करने वाले कर्मचारी का कहना है कि घड़ियाल का जन्म किस तारीख को हुआ, यह हमें नहीं मालूम लेकिन जब इसे चिड़ियाघर में लाया गया, हम उसी तारीख को इसका जन्मदिन मानते हैं।
इसे चूहे खाना पसंद है
चिड़ियाघर के पशु रोग विशेषज्ञ जोजेफ एडवेड के मुताबिक, इसे चूहे खाना काफी पसंद है। यह घड़ियाल बेहद धीरे-धीरे चलने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब मूजा को बेलग्रेड में लाया गया तो इसकी उम्र 2 साल थी।
सैटर्न की मौत के बाद मूजा ने बनाया रिकॉर्ड
जोजेफ के मुताबिक, दुनिया के सबसे बुजुर्ग घड़ियाल होने का रिकॉर्ड मॉस्को चिड़ियाघर के सैटर्न के नाम था। जिसका जन्म 1936 को हुआ था। सैटर्न की मौत मई में हुई थी। इसके बाद यह रिकॉर्ड मूजा के नाम हो गया।
कौन है सैटर्न, जो हिटलर को काफी प्रिय था
अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है। 16 अगस्त 2018 को आज ही के दिन ये महान जननायक अनंत में विलीन हो गया था। अटलजी एक बेमिसाल कवि भी थे और उनका मन हमेशा कविताओं में ही बसता था। वे अक्सर कहा करते थे कि, 'ये दिल्ली की राजनीति मुझ जैसे कवि को निगल जाती है, लेकिन मैं फिर भी डटा रहूंगा और लिखता रहूंगा।'
अटलजी की पुण्यतिथि पर हमने फिर से संजोई है उनकी 10 चुनिंदा कविताएं जो उन्होंने अपने 60 साल के राजनीतिक सफर के दौरान अलग-अगल मौकों पर खूब इमोशनल होकर लिखी हैं। इनमें उनके खुद के जीवन और देश की वो बाते हैं जो झकझोर कर देती हैं। आप भी पढ़िए, और शेयर जरूर कीजिए...
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ऐसी दवा चिन्हित की है जो संक्रमण के बाद शरीर में कोरोनावायरस की संख्या को बढ़ने (रेप्लिकेट) से रोकेगी। यह दवा पहले से मौजूद है इसे खासकर तौर पर कोरोना के इलाज में इस्तेमाल किया जाएगा। दवा का नाम एब्सेलेन है, जिसे बायपोलर डिसऑर्डर, सुनने की क्षमता घटने पर इलाज में दिया जाता है।
रिसर्च करने वाली अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, दवा से ऐसे एंजाइम को कंट्रोल किया जाएगा जो शरीर में कोरोना की संख्या को बढ़ाता है।
मरीज की हालत नाजुक होने से रोका जा सकेगा
साइंस एडवांसेस जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, एम-प्रो नाम का एंजाइम कोरोनावायरस को उसकी संख्या बढ़ाने में अहम रोल अदा करता है। यही RNA से कोरोना के स्पाइक प्रोटीन को बनाता है। एम-प्रो एंजाइम की मदद से कोरोना शरीर में अपनी संख्या को बढ़ाता है जिससे मरीज की हालत और नाजुक होती चली जाती है। वैज्ञानिक इसी एंजाइम को कंट्रोल करके इलाज करेंगे।
कोरोना के खिलाफ हथियार की तरह होगी दवा
शोधकर्ता जुआन डी-पैब्लो के मुताबिक, जो दवा टीम में चिन्हित की है वो कोरोना के एंजाइम एम-प्रो के विरुद्ध हथियार की तरह काम करेगी। इसे कंट्रोल करने में एब्सेलेन नाम के रसायन का प्रयोग होगा। इसमें एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-ऑक्सीडेटिव और कोशिकाओं को रंक्षा करने की खूबियां हैं। इसका इस्तेमाल पहले से ही बायपोलर और हियरिंग लॉस जैसी बीमारियों में किया जा रहा है, यह काफी प्रभावी साबित हुई है।
कोरोना के मामले में दो तरह से काम करती है दवा
शोधकर्ताओं के मुताबिक, क्लीनिकल ट्रायल में साबित हो चुका है कि एब्सेलेन इंसानों में प्रयोग करने के लिए सुरक्षित दवा है। कोरोना के मामले में इस दवा की जिस खूबी का पता चला है वह अब तक सामने नहीं आई थी।
और दवाएं चिन्हित करने की कोशिश जारी
अभी फिलहाल हम लोग कोरोना के उन प्रोटीन्स का विश्लेषण कर रहे हैं जो मरीज की हालत और नाजुक बना सकते हैं ताकि इसके नए खतरों के बारे में जानकारी मिल सके। इसके अलावा और कौन-कौन सी दवाओं से इसका असर कम किया जा सकता है, इस पर भी रिसर्च जारी है।