
YOUR daily horoscope this Tuesday sees the arrival of a Sextile and Square - how will these affect your horoscope today?
from Daily Express :: Life Feed https://ift.tt/2WIsouS
https://ift.tt/2CzhXTj
ब्रिटेन में कोरोना का सबसे लंबे समय तक चलने वाले मामला सामने आया है। 35 साल की फातिमा ब्राइडल 130 दिन तक कोरोना से जूझती रहीं। हाल ही में इन्हें रिकवरी वॉर्ड में ट्रांसफर किया गया है। फातिमा और उनके पति ट्रेसी को कोरोनामोरोक्को की यात्रा के बाद हुआ था। वह 6 मार्च को ब्रिटेन आए थे। कोरोनाके लक्षण पहले पति में दिखे, उसके बाद फातिमा में दिखने शुरू हुए।
12 मार्च को दोनों को ब्रिटेन के साउथहेम्पटन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। पति कम समय में ही रिकवर हो गए लेकिन फातिमा को 130 में से 105 दिन वेंटिलेटर पर बिताने पड़े। इतने लंबे समय के बाद अब फातिमा बात कर सकतीं हैं और अपने पैरों पर चल पा रही हैं। रिकवरी पर उन्होंने कहा, "यह सब एक सपने जैसा लगता है।"
40 दिन तक कोमा में रहीं, दवाओं ने असर नहीं दिखाया
फातिमा कहती हैं कि मैं हर नर्स और डॉक्टर की आभारी हूं जिन्होंने मुझे एक नई जिंदगी दी। मैं यहां काफी खुश हूं। फातिमा को भर्ती करने के बाद 18 मार्च तक कई बार एंटीबायोटिक्स दी गईं लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्टकिया गया। यहां वह 40 दिन तक कोमा में रहीं। फातिमानिमोनिया, कोविड-19 और सेप्सिस तीनों से एक साथ जूझ रही थीं।
फेफड़ों के ट्रीटमेंट के बाद सांस लेने में 40 फीसदी इजाफा हुआ
फेफड़ों से संक्रमण को खत्म करने के लिए मुंह से नली के जरिए सेलाइन वॉटर डाला ताकि फेफड़ों को साफ किया जा सके। ऐसा करने के बाद धीरे-धीरे सांस लेने की गति में 40 फीसदी तक इजाफा हुआ। अब 70 फीसदी तक सुधार हुआ है। पति और पत्नी एक दूसरे से स्क्रीन के पार से ही बात कर पाते हैं और लंबे समय तक दूर रहे।
वह कभी पहले की तरह सांस नहीं ले पाएंगी
पूर्व सैनिक ट्रेसी का कहना है कि पत्नी जिस तरह रिकवर हुई, यह एक मिरेकल जैसा है। मैं अब उससे मिलने से खुद को नहीं रोक पा रहा। ट्रेसी कहते हैं, कोविड-19 का असर लंबे समय तक रहा है। फातिमा अप्रैल में कोरोना से मुक्त हो गई थीं लेकिन निमोनिया से जूझ रही थीं। अगले महीने से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। जब फातिमा पहली बार कुछ बोलने लायक स्थिति में आईं, तो उनका कहना था कि मैं अपने पति से मिलना चाहती हूं। उसके साथ क्या-क्या हुआ, उसे खुद भी नहीं मालूम था।
ट्रेसी के मुताबिक, फातिमा का एक फेफड़ा डैमेज हो चुका है, वह अब कभी पहले ही तरह सांस नहीं ले पाएंगी। मैं उससे 2016 में मिला था और हमारे 4 बच्चे हैं।
अब ब्लड टेस्ट के जरिए भी 20 मिनट में कोरोना की पुष्टि की जा सकेगी। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने नई तरह का ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है जो बताता है कि इंसान में कोरोना का संक्रमण हुआ है या नहीं। टेस्ट विकसित करने वाली मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जांच दुनियाभर में कोरोना के संक्रमण को रोकने में मदद करेगी।
ऐसे होगा टेस्ट
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना की जांच के लिए इंसान से ब्लड सैम्पल में से 25 माइक्रोलीटर प्लाज्मा लिया जाएगा। मरीज पॉजिटिव होने पर सैम्पल में लाल रुधिर कोशिकाएं गुच्छों में दिखाई देने लगती हैं। जिसे आंखों से भी देखा जा सकता हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि 20 मिनट के अंदर पॉजिटिव या निगेटिव रीडिंग को बताया जा सकता है।
एक घंटे में 200 ब्लड सैम्पल जांचे जा सकेंगे
शोधकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान में कोरोना की जांच स्वैब या पीसीआर टेस्ट के जरिए की जा रही है। लेकिन नए ब्लड टेस्ट की मदद से एक घंटे में 200 ब्लड सैम्पल की जांच की जा सकेगी। कई हॉस्पिटल में भी हाई डायग्नोस्टिक मशीन उपलब्ध रहती हैं, इनके जरिए एक घंटे में 700 ब्लड सैम्पल की जांच की जा सकती है। यानी एक दिन में 16800 जांच सम्भव है।
हाई रिस्क वाले देशों के लिए जांच मददगार
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जांच खासकर हाई रिस्क वाले देशों के लिए मददगार साबित होगी। यहां अधिक से अधिक लोगों की जांच हो सकेगी। अधिक जांच होने पर जल्द से जल्द मामले सामने आ सकेंगे। नए टेस्ट के लिए पेटेंट फाइल कर दिया गया है। जल्द ही इसका कॉमर्शियल उपयोग शुरू किया जाएगा।