Sunday, August 30, 2020
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Prostate cancer symptoms: Five telltale signs when peeing that could signal cancer
5 योगासन जो कोरोनाकाल में मन काे शांत रखेंगे और तनाव-बेचैनी को दिमाग पर हावी होने से रोकेंगे; हर 7 में से 1 भारतीय मानसिक बीमारी से जूझ रहा
कोरोनाकाल में सुसाइड, स्ट्रेस और डिप्रेशन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। लैंसेट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर 7 में से 1 भारतीय मानसिक रोगी है। इसलिए तय करें कि दिमाग को शांत रखने के लिए वक्त निकालेंगे। जयपुर के फिटनेस एक्सपर्ट विनोद सिंह बता रहे हैं डिप्रेशन, स्ट्रेस और एंग्जाइटी को दूर करने वाले 5 आसनों के बारे में...
अधोमुख श्वानासन (डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज)
ऐसे करें
- पेट के बल लेटें और सांस खींचते हुए पैरों और हाथों के बल शरीर को उठाएं और टेबल जैसा आकार बनाएं।
- सांस को बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे कूल्हों (हिप्स) को ऊपर की तरफ उठाएं। अपनी कोहनियों और घुटनों को सख्त बनाए रखें। ध्यान रखें कि शरीर उल्टे 'वी' के आकार में आ जाए।
- कंधे और हाथ एक सीध में रखें और पैर कूल्हे की सीध में रहेंगे। टखने बाहर की तरफ रहेंगे।
- अब हाथों को नीचे जमीन की तरफ दबाएं और गर्दन को लंबा खींचने की कोशिश करें। आपके कान आपके हाथों के भीतरी हिस्से को छूते रहें।
- इसी स्थिति में कुछ सेकेंड्स तक रुकें और उसके बाद घुटने जमीन पर टिका दें और मेज जैसी स्थिति में फिर से वापस आ जाएं।
सेतुबंधासन (ब्रिज पोज)
ऐसे करें
- योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और सांसों की गति सामान्य रखते हुए हाथों को बगल में रख लें।
- अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर कूल्हों के पास ले आएं। कूल्हों को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। हाथ जमीन पर ही रहने दें।
- कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं। पैरों को सीधा करें और विश्राम करें।
- 10-15 सेकेंड तक आराम करने के बाद फिर से शुरू करें।
शवासन (कॉर्प्स पोज)
ऐसे करें
- पीठ के बल लेटकर अपनी आंखें बंद कर लें। दोनों पैरों को अलग-अलग करें और शरीर को रिलैक्स छोड़ दें। हाथ शरीर से थोड़ी दूर रखें और हथेलियों को आसमान की ओर खुला छोड़ दें।
- धीरे-धीरे शरीर के हर हिस्से की तरफ ध्यान देना शुरू करें। शुरुआत पैरों के अंगूठे से करें। ऐसा करते हुए सांस लेने की गति एकदम धीमी कर दें।
- धीरे-धीरे आप गहरे मेडिटेशन में जाने लगेंगे। आलस या उबासी आने पर सांस लेने की गति तेज कर दें। शवासन करते हुए कभी भी सोना नहीं चाहिए।
- सांस लेने की गति धीमी लेकिन गहरी रखें। आपका फोकस सिर्फ खुद और अपने शरीर पर ही रहेगा। 10-12 मिनट के बाद, आपका शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो जाएगा।
चक्रासन
ऐसे करें
- पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों और पैरों को सीधा रखें। अब पैरों को घुटने के यहां से मोड़ लें।
- अब अपने हाथों को पीछे की ओर अपने सिर के पास ले जाकर जमीन से टिका लें।
- सांस को अंदर की ओर लें और अपने पैरों पर वजन को डालते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं।
- दोनों हाथों पर वजन को डालते हुए अपने कधों को ऊपर उठाएं और धीरे धीरे अपने हाथों को कोहनी के यहां से सीधे करते जाएं।
- ध्यान रखें की दोनों पैरों के बीच की दूरी और दोनों हाथों की बीच की दूरी समान होनी चाहिए।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को अपने दोनों पैरों के पास लाने की कोशिश करें और जितने पास ला सकते है लाएं।
उत्तानासन
ऐसे करें
- सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ कूल्हों पर रख लें। सांस को भीतर खींचते हुए कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।
- धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा। अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़ें।
- आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे। आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा। जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें।
- सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें। इसी स्थिति में 15-30 सेकंड तक स्थिर बने रहें। जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें।
- सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को कूल्हों पर रखें। धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।
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Type 2 diabetes: Include this plant ingredient in your breakfast to lower blood sugar
TYPE 2 diabetes only proves problematic when blood sugar levels become too high - when this happens, damage can be inflicted on the body. Luckily, healthy dietary decisions help to lower blood sugar levels and evidence recommends eating a particular plant ingredient.
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आप तक ऐसे पहुंचेगा कोरोना का टीका, इसलिए समय लग रहा है; अंतिम चरण का ह्यूमन ट्रायल पूरा होते ही वैक्सीन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन भी चुनौती से कम नहीं
दुनियाभर में इस समय अब कोरोना के मामलों से ज्यादा वैक्सीन की चर्चा है। भारत समेत ज्यादातर देश इस साल के अंत कोरोना का टीका उपलब्ध होने की बात कह रहे हैं। लेकिन वैक्सीन तैयार करना जितना चुनौतीभरा काम है उतना ही मुश्किल होगा दुनियाभर के लोगों तक इसे पहुंचाना। वैक्सीन का सफर भी आसान नहीं होता। यह कई चरणों को पार करते हुए आप तक पहुंचता है, इसलिए तैयार होने में सालों लगते हैं। आज संडे स्पेशल खबर में पढ़िए कोविड-19 का टीका आप तक कैसे पहुंचेगा...
1- वायरस की पड़ताल
पहले शोधकर्ता पता करते हैं कि वायरस कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है। वायरस प्रोटीन की संरचना से देखते हैं कि क्या इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उसी वायरस का इस्तेमाल हो सकता है। उस एंटीजन को पहचानते हैं, जो एंटीबॉडीज बनाकर इम्यूनिटी बढ़ा सकता है।
2- प्री-क्लिनिकल डेवलपमेंट में जानवरों पर परीक्षण होता है
मनुष्यों पर परीक्षण से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई टीका या दवा कितना सुरक्षित है और कारगर है। इसीलिए सबसे पहले जानवरों पर परीक्षण किया जाता है। इसमें सफलता के बाद आगे का काम शुरू होता है, जिसे फेज-1 सेफ्टी ट्रायल्स कहते हैं।
3- क्लिनिकल ट्रायलः इसमें पहली बार इंसानों पर परीक्षण होता है, इसके भी 3 चरण
पहला चरणः 18 से 55 साल के 20-100 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण। देखते हैं कि पर्याप्त इम्यूनिटी बन रही है या नहीं।
दूसरा चरणः 100 से ज्यादा इंसानों पर ट्रायल। बच्चे- बुजुर्ग भी शामिल। पता करते हैं कि असर अलग तो नहीं।
तीसरा चरणः हजारों लोगों को खुराक देते हैं। इसी ट्रायल से पता चलता है कि वैक्सीन वायरस से बचा रही है या नहीं। सब कुछ ठीक रहा तो वैक्सीन के सफल होने का ऐलान कर दिया जाता है। अप्रूवल मिलने पर उत्पादन शुरू हो जाता है।
3- सूखी बर्फ या जमी हुई कार्बन-डाई ऑक्साइड में रखते हैं वैक्सीन
वैक्सीन तैयार होने के बाद इसे खास तरह के इंसुलेटेड डिब्बों में निकाला जाता है। वैक्सीन को ठंडा रखने के लिए इसे सूखी बर्फ या जमी हुई कार्बन-डाइ-ऑक्साइड वाले डिब्बे में रखा जाता है।
इन डिब्बों को बड़े-बड़े फ्रीजर में रखते हैं। ये फ्रीजर जहां होते हैं वहां लोग पीपीई किट पहनकर काम करते हैं। दस्ताने और चश्मा भी अनिवार्य रहता है, वरना इतनी ठंड वाले माहौल में काम करना आसान नहीं हो पाता।
4. -20 डिग्री रखा जा सकता है स्टोरेट रूम का तापमान
अब अगला चरण है, इसे लोगों तक पहुंचाने का। अब इसे इंसुलेटेड डिब्बों में सूखी बर्फ डालकर फिर पैक किया जाएगा और जहां जरूरत है वहां भेजा जाएगा। जिस कमरे में इसे रखा जाना है, वहां का तापमान -20 डिग्री तक ठंडा रखा जा सकता है। आमतौर मौजूद वैक्सीन के लिए 2 से 8 डिग्री का तापमान आदर्श माना जाता है।
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