Saturday, August 22, 2020
5 mistakes that are ruining your home workout
from LifeStyle - Latest Lifestyle News, Hot Trends, Celebrity Styles & Events https://ift.tt/3gg3jhK
https://ift.tt/32cLqvc
100 general knowledge quiz questions and answers: Test YOUR knowledge
ONLINE quiz nights have become an important part of life for Britons to pass time during lockdown and catch up with family and friends, and although pubs are now reopening, there's still scope for a virtual trivia. Express.co.uk gives you 100 general knowledge questions with answers for your virtual home pub quiz this week.
from Daily Express :: Life Feed https://ift.tt/2L4FTyA
https://ift.tt/3dHdcUg
Samantha Akkineni's stylish Ikat kurta
from LifeStyle - Latest Lifestyle News, Hot Trends, Celebrity Styles & Events https://ift.tt/32ay9mI
https://ift.tt/3gmbZTN
Kate Middleton pregnant: Why it's the 'right time' for Kate and William to announce baby
Melania Trump and Donald have 'increased PDAs' to show themselves as a 'power couple'
Best supplements for joint pain: A pill made from seeds to help relieve arthritis pain
Back pain: Five simple steps you should follow to ease painful symptoms
How many eggs can you eat in a day?
Respecting non-binary sexualities
from LifeStyle - Latest Lifestyle News, Hot Trends, Celebrity Styles & Events https://ift.tt/3hlPzn5
https://ift.tt/2Qjq5dT
Lal masala: Flavour-packed masala base
from LifeStyle - Latest Lifestyle News, Hot Trends, Celebrity Styles & Events https://ift.tt/31kVItV
https://ift.tt/2EljhtQ
महामारी दो साल के अंदर खत्म हो सकती है, 1918 में स्पैनिश फ्लू को खत्म करने में भी दो साल लग गए थे; तकनीक से कोरोना को रोकना होगा आसान : WHO
महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम ने बड़ा बयान दिया है। टेड्रोस का कहना है कि महामारी दो साल के अंदर खत्म हो सकती है। 1918 में स्पैनिश फ्लू को खत्म होने में भी दो साल का समय लगा था। वर्तमान में तकनीक काफी प्रगति कर चुकी है, इसलिए कोरोना को कम समय में रोका जा सकता है।
हमारे पास महामारी रोकने की तकनीक और ज्ञान दोनों
टेड्रोस जेनेवा में एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कहा, हमारे पास महामारी रोकने की तकनीक भी है, और ज्ञान भी। इतिहास पर गौर किया जाए तो पाएंगे कि महामारी अर्थव्यवस्था और समाज में परिवर्तन के कारण बने है।
पीपीई में भ्रष्टाचार, हत्या के बराबर
एक सवाल के जवाब में टेड्रोस ने कहा, पीपीई से जुड़ा भ्रष्टाचार हत्या जैसा अपराध है। इसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि अगर स्वास्थ्यकर्मी बिना पीपीई के काम कर रहे हैं तो वो हमारे लिए अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं। पीपीई में भ्रष्टाचार होना ऐसी स्वास्थ्यकर्मियों के जीवन को खतरे में डालने जैसा है।
WHO ने की भारत की तारीफ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के संक्रमण को रोकने में भारत की कोशिशों की तारीफ की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि भारत में संक्रमण बहुत तेजी से नहीं फैल रहा, लेकिन इसका रिस्क बना हुआ है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।
घनी आबादी वाले देशों में ज्यादा रिस्क: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइक रियान ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कोरोना के केस तीन हफ्ते में दोगुने हो रहे हैं, लेकिन मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ही नहीं बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के घनी आबादी वाले देशों में भी अभी महामारी की स्थिति विस्फोटक नहीं हुई है, लेकिन ऐसा होने का जोखिम बना हुआ है। रियान ने चेतावनी दी कि अगर सामुदायिक स्तर पर संक्रमण शुरू हो जाता है तो ये काफी तेजी से फैलेगा।
रियान ने कहा कि भारत में लोगों की आवाजाही दुबारा शुरू हो गई है, ऐसे में संक्रमण बढ़ने का रिस्क बना हुआ है। प्रवासियों की संख्या बहुत ज्यादा होना, शहरी इलाकों में भीड़-भाड़ और कई लोगों के पास हर दिन काम पर जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होने जैसे मुद्दे भी हैं।
'केस दोगुने होने की रफ्तार पर नजर रखना अहम'
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामिनाथन ने कहा कि भारत में कोरोना के जितने मामले हैं वे 130 करोड़ की आबादी के हिसाब से बहुत ज्यादा नहीं हैं। लेकिन संक्रमण के बढ़ने की दर और मामलों के दोगुने होने की रफ्तार पर नजर रखना अहम है।
'आयुष्मान भारत योजना से मदद मिलेगी'
डब्ल्यूएचओ ने इस योजना की तारीफ करते हुए कहा है कि इसे तेजी से लागू किया जाए तो कोरोना से निपटने में मदद मिलेगी। डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉ. टेड्रोस गेब्रियेसस ने कहा कि कई देशों के सामने गंभीर चुनौती है, लेकिन इसमें मौके भी तलाशने होंगे। भारत के लिए ये आयुष्मान भारत योजना को बढ़ाने का मौका हो सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3aR9Ka2
https://ift.tt/31mdehi
महिला की सर्जरी करके 50 किलो का ओवरियन ट्यूमर निकाला, शरीर का वजन 106 किलो बढ़ने पर सांस लेना हुआ था मुश्किल
डॉक्टरों ने सर्जरी करके महिला के शरीर से 50 किलो का ओवेरियन ट्यूमर निकाला है। यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्यूमर है, जिसे 52 वर्षीय महिला के शरीर से अलग किया गया। सर्जरी नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में हुई। ट्यूमर के कारण महिला का वजन 106 किलो हो गया था।
इससे पहले 2017 में 34 किलो के ट्यूमर का मामला कोयम्बटूर में सामने आया था।
चलने-फिरन में दिक्कत हुई और अस्पताल लाया गया
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के मुताबिक, कई महीनों से दिल्ली निवासी महिला का वजन तेजी से बढ़ रहा था। यह 106 किलो तक पहुंच गया था। सांस लेने में तकलीफ, पेट के निचले हिस्से में दर्द और चलने-फिरने में परेशानी होने पर उन्हें अस्पताल में लाया गया।
हीमोग्लोबिन घटा, खाना पचाना हुआ मुश्किल
जांच के दौरान पता चला कि महिला की ओवरी में बड़े आकार का ट्यूमर है, जो तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण आंतों पर दबाव बढ़ रहा है। खाना पचाना मुश्किल हो रहा है। मरीजा का हीमोग्लोबिन घटकर 6 पर आया गया और एनीमिया हो गया।
सर्जरी की बड़ी चुनौतियां
- सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलोजी एंड बैरिएट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डाॅ. अरूण प्रसाद के नेतृत्व में महिला की सर्जरी हुई। डाॅ. अरूण ने बताया, सर्जरी 18 अगस्त को हुई थी। मैंने अपने 30 साल के करियर में आज तक 50 किलो का ट्यूमर नहीं देखा। यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है। इसे शरीर से निकालना बड़ी चुनौती थी।
- डाॅ अरूण के मुताबिक, मरीज़ का हीमोग्लोबिन बहुत कम था और उन्हें सर्जरी से पहले, दौरान और बाद में कुल 6 युनिट खून भी चढ़ाना पड़ा। यह सर्जरी इस बात का उदाहरण है कि नई मिनिमल एक्सेस प्रक्रियाओं के साथ-साथ सर्जरी के पारम्परिक तरीके भी महत्वपूर्ण हैं।
- डाॅ. अरूण ने बताया, इस मामले में, पेट में रोबोट असिस्टेड तरीकों से उपकरण डालने के लिए जगह नहीं थी, इसलिए हमें सर्जरी का पारम्परिक तरीका ही चुनना पड़ा। गैस्ट्रोएंट्रोलोजी, गायनेकोलॉजी और एनेस्थीसियोलॉजी टीम के विशेषज्ञों के प्रयासों के चलते सर्जरी सफल रही।
- मुख्य सर्जन डाॅ. अभिषेक तिवारी ने बताया,‘मरीज़ के पेट में दर्द, सांस में तकलीफ़ और वजन बढ़ने की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्हें तुरंत सर्जरी की सलाह दी गई, वरना ट्यूमर बहुत तेज़ी से बढ़ता और दूसरी अंगों पर दबाव के चलते ऑर्गन फेलियर हो सकता था।
यह कैंसरस ट्यूमर नहीं था
मुख्य सर्जन डाॅ अभिषेक तिवारी ने कहा, अच्छी बात यह थी, कि ट्यूमर बिनायन (कैंसर फैलाने वाला नहीं था) था और मरीज़ को कोई और बीमारी न होने के कारण वे जल्द ठीक हो गईं, सर्जरी के बाद उनका वज़न कम होकर 40 हो गया है।
गायनेकोलोजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. गीता चड्ढा ने बताया, ओवरी में ट्यूमर क्यों हुआ, इसका कारण नहीं पता चल पाया है। लेकिन हो सकता है, यह शरीर में कोशिकाओं के बनने केे दौरान विकसित हुआ हो। सर्जरी बेहद मुश्किल थी। इतना बड़ा ट्यूमर होने के कारण, आंतों पर दबाव पड़ रहा था और ओवरी फट भी सकती थी। सर्जरी के दौरान अधिक सावधानी बरतनी पड़ी ताकि ओवरी और आंतों को नुकसान न पहुंचे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/34ls5L2
https://ift.tt/3gia2YA
अमेरिकी कम्पनी मॉडर्ना के वैक्सीन ट्रायल में भारतीय भी शामिल होंगे, अब तक 40 फीसदी लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया
अमेरिकी ड्रग कम्पनी मॉडर्ना के अंतिम वैक्सीन ट्रायल में भारतीय भी शामिल होंगे। ट्रायल 30 हजार लोगों पर किया जा रहा है। इनमें अब तक 13,194 लोगों ने रजिस्ट्रेशन भी कराया लिया है।
कम्पनी ने ट्वीट करके यह जानकारी साझा की है। ट्वीट के मुताबिक, वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल में शामिल होने के लिए 18 फीसदी ऐसे लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जो अश्वेत, भारतीय, अमेरिकी और अलास्का के निवासी हैं। कोरोना का सबसे ज्यादा असर इन पर भी पड़ा है, इसलिए ये ट्रायल में शामिल होने के लिए आगे आए हैं।
पहले ट्रायल की 5 बड़ी बातें
- कम्पनी के मुताबिक, mRNA-1273 नाम का यह वैक्सीन जिस कैंडिडेट को दिया गया था, उसके शरीर में केवल मामूली दुष्प्रभाव देखे गए और वैक्सीन का प्रभाव सुरक्षित और सहनीय पाया गया।
- वैक्सीन पाने वाले कैंडिडेट्स का इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने में कोविड-19 से रिकवर हो चुके मरीजों के बराबर या उनसे ज्यादा ताकतवर पाया गया। मॉडर्ना के सीईओ स्टीफन बैंसेल ने कहा कि वे इससे बेहतर डेटा की उम्मीद नहीं कर सकते थे।
- मॉडर्ना ने वैक्सीन के लिए जरूरी जेनेटिक कोड पाने से लेकर उसका इंसानों में ट्रायल तक का सफर मात्र 42 दिनों में पूरा कर लिया। यह भी पहली बार हुआ कि जानवरों से पहले इंसानों में ट्रायल शुरू कर दिया गया था।
- 16 मार्च को सिएटल की काइज़र परमानेंट रिसर्च फैसिलिटी में सबसे पहले यह वैक्सीन दो बच्चों की मां 43 वर्षीय जेनिफर नाम की महिला को लगाया गया। पहले ट्रायल में 18 से 55 वर्ष की उम्र के 45 स्वस्थ प्रतिभागी शामिल किए गए थे। इनमें से शुरू में 8 को ये वैक्सीन लगाया गया था।
- मॉडर्ना के मुख्य चिकित्सा अधिकारी टाल जकस के मुताबिक, ट्रायल के शुरुआती चरण में ऐसे साइड-इफेक्ट्स थे जो कई वैक्सीन के लिए आम होते हैं, जैसे - कुछ लोग इंजेक्शन की जगह पर लालिमा और ठंडेपन का अनुभव करते हैं। इन आंकड़ों ने हमारे विश्वास को पुष्ट किया कि mRNA-1273 में कोविड -19 को रोकने की क्षमता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3aKkHKr
https://ift.tt/3hkJ7MN