Monday, September 28, 2020
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कोरोनाकाल में हृदय रोगों के मामले 20% बढ़े, लक्षणों को नजरअंदाज किया तो नौबत सर्जरी तक पहुंची, एक्सपर्ट से समझें कैसे सर्जरीज टाली जा सकती हैं
कोरोनाकाल में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले 20 फीसदी तक बढ़े हैं। ज्यादातर मरीज हृदय रोगों से जुड़े लक्षण दिखने के बावजूद उसे नजरअंदाज कर रहे हैं। कोरोना के डर से हॉस्पिटल जाने से बच रहे हैं। नतीजा, सर्जरी की नौबत आ रही है। हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोनाकाल में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो हार्ट के ऑपरेशन्स टाले जा सकते हैं।
आज वर्ल्ड हार्ट डे, इस साल की थीम है ''यूज हार्ट टू बीट कार्डियो वेस्कुलर डिसीज''। इस मौके पर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल और नानावटी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुशांत पाटिल बता रहे हैं कोरोनाकाल में हार्ट को कैसे हेल्दी रखें...
72 साल की महिला के मामले से समझें क्यों अलर्ट रहना जरूरी
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल कहते हैं, कोरोनाकाल में इमरजेंसी यूनिट में हार्ट अटैक के मामले कम आ रहे हैं। कोरोना के कारण मरीज अस्पताल आने से डर रहे हैं। इसलिए घर पर कार्डियक अरेस्ट के कारण होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है। अगर हृदय रोगों से जुड़े लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टरी सलाह लेने में देरी न करें। एक ऐसा ही मामला हमारे पास आया, इससे खतरे को समझा जा सकता है।
हाल ही में फरीदाबाद की 72 साल की महिला हार्टअटैक के बाद अस्पताल पहुंची। वह पिछले 12 घंटे से सीने में जलन को अनदेखा कर रही थी। कोरोना के डर के कारण वह अस्पताल आने से बचती रही। कुछ घंटों बाद स्थानीय डॉक्टर ने उन्हें अपोलो हॉस्पिटल रेफर किया।
हॉस्पिटल में जांच हुई। रिपोर्ट में सामने आया कि हार्ट अटैक के कारण दोनों हार्ट चैम्बर को अलग करने वाली दीवार फट गई थी। इसका असर फेफड़ों पर भी पड़ा और यूरिन आउटपुट होने के कारण किडनी भी फेल हुई। तीन दिन तक कार्डियक सपोर्ट पर रखने के बाद 5 घंटे तक उसकी बायपास सर्जरी हुई।
डॉ. मुकेश के मुताबिक, अगर परेशानी की शुरुआत होते ही उन्हें हॉस्पिटल लाया जाता है तो सर्जरी तक नौबत नहीं पहुंचती। ऐसे मामलों में हालत अगर अधिक बिगड़ने के बाद हॉस्पिटल लाया जाता है तो मरीज़ को आर्टिफिशियल हार्ट इम्प्लान्ट भी कराना पड़ सकता है।
सर्जरी से बचने के लिए हृदय रोगी ये ध्यान रखें
सर्जरी से बचने के लिए सबसे जरूरी है, हृदय रोगी अपनी दवाएं और ट्रीटमेंट न बंद करें। घर में रहते हुए ही खुद को फिजिकली एक्टिव रखें। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं। घर में कोई बाहरी शख्स आता है सीधेतौर पर उसके सम्पर्क में न आएं।
3 रिसर्च बताती हैं कि कोरोना के निशाने पर हार्ट भी है
हृदय रोगी पहले से कोरोना के रिस्क जोन में हैं लेकिन रिकवरी के बाद भी इसका असर हार्ट पर बरकरार रहता है। ऐसे समझें...
- वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट कहती है, कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों के हार्ट पर गहरा असर पड़ा है। संक्रमण के इलाज के बाद इनमें सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं। हार्ट के काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। जो लम्बे समय तक दिखेगा।
- अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। रिसर्च कहती है, जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा भविष्य में उतने ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा।
- ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाला हर 7 में से 1 इंसान हार्ट डैमेज से जूझ रहा है। यह सीधेतौर पर उनकी फिटनेस पर असर डाल रहा है।
हार्ट को हेल्दी कैसे रखें, 5 बातों से समझें
खानपान : मोटा अनाज और कम मीठे फल लें
गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं। आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं। तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है। जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।
वर्कआउट : 45 मिनट की एक्सरसाइज या वॉक जरूरी
सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा। फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे। अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।
लाइफस्टाइल : जल्दी सोने-जल्दी उठने का रुटीन बनाएं, 7 घंटे की नींद जरूरी
रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें। जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं। रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का आदर्श समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा। तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर मस्तिष्क और हृदय पर होता है।
धूम्रपान-अल्कोहल : इससे जितना दूर रहेंगे, हार्ट उतना हेल्दी रहेगा
धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें। लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है। इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है। इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।
सोशल मीडिया : हार्ट को हेल्दी रखने के लिए अफवाहों से बचना भी जरूरी
डॉ. सुशांत पाटिल कहते हैं, सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर आए मैसेज में कई तरह के दावे किए जाते हैं जो आपकी सेहत को बिगाड़ सकते हैं। हार्ट को लेकर भी कई अफवाह वायरल होती हैं। जैसे- दिन की शुरुआत 4 गिलास पानी से करते हैं तो हृदय रोगों का खतरा नहीं होता। ऐसे मैसेजेस से बचें और कोई भी जानकारी लेने के लिए डॉक्टर पर ही भरोसा करें, वरना ये हालत को सुधारने की बजाय और बिगाड़ सकते हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से
दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से होती हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक, दुनियाभर में हर 3 में से 1 मौत हृदय रोग से हो रही है। इसके 80 फीसदी मामले मध्य आय वर्ग वाले देशों में सामने आते हैं।
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कोरोना से ज्यादा पिछले पांच सालों में कुत्ते के काटने से मौतें हुईं, 5 सालों में रैबीज के कारण 1 लाख लोगों ने जान गंवाई, जानिए रैबीज होने पर क्या करें
देश में जितनी मौतें अब तक कोरोना से हुई हैं उससे ज्यादा रैबीज से हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारी रैबीज से पिछले 5 सालों में 1 लाख मौतें हुई हैं। यह आंकड़ा भारत का है। दुनियाभर में रैबीज से जितने लोगों ने जान गंवाई हैं उसकी 35 फीसदी मौतें भारत में हुई हैं।
मौतों का आंकड़ा बताता है कि लोगों को अलर्ट करने की जरूरत है कि रैबीज से कैसे बचें और इसके होने पर क्या दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।
आज वर्ल्ड रैबीज डे है। इसे फ्रेंच वैज्ञानिक लुइस पॉश्चर की डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मनाया जाता है। लुइस ने ही रैबीज की वैक्सीन खोजी थी और हर साल लोगों को रैबीज के बारे में जागरुक करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
कैसे फैलता है रैबीज
रैबीज का वायरस कुत्ते के काटने के बाद इंसान में पहुंच जाता है। संक्रमित होने के बाद मरीज में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मुंह से अधिक लार निकलने के लक्षण दिखाई देते हैं। रैबीज का वायरस सिर्फ कुत्तों के जरिए ही नहीं बिल्ली, बकरी, घोड़े और गाय से भी फैल सकता है।
रैबीज फैलने से कैसे रोकें
संक्रमण को रोकने के लिए अपने पालतु जानवरों को रैबीज की वैक्सीन लगवाएं। इसे दूसरे नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों से दूर रखें। कई रिसर्च रिपोर्ट में यह सामने आया कि चमगादड़ दूसरे जानवर तक इसका वायरस को फैलाते हैं, इसलिए अपने पालतु जानवरों को चमगादड़ की पहुंच से दूर रखें।
कुत्ते के काटने पर क्या करें
- कुत्ते के काटने के बाद अगर उसका ओनर आसपास है तो पूछें कि क्या कुत्ते का वैक्सीनेशन हुआ है।
- ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं बल्कि डॉक्टर तक पहुंचने की कोशिश करें।
- घाव को साबुन और पानी से साफ करें।
- घाव में टांके न लगवाएं और न ही उस पर एंटी-माइक्रोबियल लोशन लगाएं।
- एंटी-रैबीज सीरम तब ही लें जब कुत्ते ने रीढ़ की हड्डी या गर्दन पर काटा हो।
- कुत्ते के काटने के बाद 72 घंटे के अंदर वैक्सीन लगवाएं।
- अपने पालतू कुत्तों को वैक्सीन के इंजेक्शन जरूर लगवाएं।
क्या न करें
- कई लोग घाव वाले हिस्से पर गोबर लगाने की सलाह देते हैं, ऐसा बिल्कुल भी न करें।
- घाव होने के बाद लोग हफ्तेभर नहाने से बचते हैं, यह भ्रम न पालें।
- घाव वाले हिस्से पर हल्दी, नमक या घी न लगाएं। जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलेें।
- रेबीज संक्रमित जानवर के काटने पर इलाज में देरी या लापरवाही न करें।
- कुत्तों और बंदरों जैसे जानवरों के सम्पर्क में ज्यादा न जाएं।
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