Friday, August 28, 2020
Care homes 'bribed' to take coronavirus patients
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Poll finds those aged 40 to 60 are more 'glass half-full' than younger people
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75 percent of Britons identify their worst enemy – and you may not be surprised
Three-quarters of Britons admit they are their own worst critics and beat themselves up about appearance, ambition and even the decisions they make. A study of 2,000 UK adults found people give themselves a hard time an average of six times a week over things they wished they'd said or how often they exercise.
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Britons’ weird food combinations are set to shock you
More than eight in 10 adults have a "weird" food combination they love such as crisps and chocolate, fish fingers with custard - and even tea mixed with coffee. A study of 2,000 adults found the nation's unusual culinary tastes include Weetabix with butter, salad cream and sausages, and mayonnaise on toast.
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कमजोर इम्युनिटी के कारण कैंसर रोगियों में कोरोना होने पर मौत का खतरा 25 फीसदी ज्यादा, इसलिए अधिक अलर्ट रहें और ये 12 लक्षण नजरअंदाज न करें
2025 तक देश में कैंसर पीड़ितों की संख्या करीब 15.7 लाख होगी। यहां कैंसर रोगियों का जिक्र इसलिए, क्योंकि मौजूदा कोरोना काल में कैंसर मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कते हो रही हैं। कोरोना के चलते कैंसर पीडितों के इलाज और उनकी देखभाल में भारी बदलाव आया है।
विशेषज्ञों ने अमेरिका के न्यूयार्क स्थित मोंटफोर मेडिकल सेंटर में भर्ती 218 ऐसे कैंसर मरीजों का अध्ययन किया जो कोरोना से संक्रमित हो चुके थे। 18 मार्च से 8 अप्रैल के बीच की गई इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि इनमें से 61 मरीजों की मौत कोरोना संक्रमण से हो गई जो कि कुल संख्या का 28% है। इस दौरान अमेरिका में कोरोना से मृत्यु दर 5.8 प्रतिशत थी। कोरोनाकाल में इनकी देखभाल कैसी होनी चाहिए, यह बता रहे हैं अपोलो अस्पताल, नवी मुम्बई के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. शिशिर शेट्टी....
इन 12 में से कोई भी लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सम्पर्क करें
- तेज बुखार आना, शरीर में कंपकंपी, पसीना आना, जीभ या मुंह में घाव हो जाना, जीभ पर सफेद परत जम जाना।
- बलगम बनना, सांस लेने में परेशानी होना, पेशाब के दौरान जलन होना या रक्त का आना, पेट में दर्द या ऐंठन होना।
- गले में जकड़न, साइनस का दर्द, कान या सिर में दर्द रहना।
रिसर्च : कम श्वेत रक्त कणिकाएं जिम्मेदार
लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही कैंसर रोगी अस्पतालों में जाने और संक्रमण के खतरे के कारण उपचार और अन्य प्रक्रियाओं को फिर से शुरू करने से डर रहे हैं। अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार ऐसे लोग जिनका पूर्व में कैंसर का उपचार हुआ है उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्युनिटी) कमजोर हो जाती है।
दरअसल कीमोथैरेपी जैसे ट्रीटमेंट के कारण श्वेत रक्त कणिकाओं का बनना कम हो जाता है। श्वेत रक्त कणिकाएं रोग प्रतिरक्षा प्रणाली का प्रमुख अंग हैं। ऐसे में व्यक्ति कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित हो सकता है।
हालांकि कैंसर रिसर्च यूके की रिपोर्ट के अनुसार भले ही किसी व्यक्ति का कैंसर उपचार के बाद ठीक हो चुका हो, लेकिन ऐसे लोगों को भी कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक है। क्योंकि रोगप्रतिरोधक क्षमता समय के अनुसार धीरे-धीरे ही बढ़ेगी। ऐसे में इन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।
वो बातें जो हाई रिस्क रोगियों के लिए बेहद जरूरी हैं
- कोरोना वायरस के चलते हेल्थकेयर सिस्टम को भी कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सा पेशेवरों पर काम की अधिकता का भार है। ऐसे में कैंसर पीडितों के लिए वायरस के संभावित जोखिम को देखते हुए उपचार का समय निर्धारित करना आवश्यक है। जब तक रोगी वायरस के संपर्क में नहीं आता है, तब तक हाई रिस्क वाले रोगियों की देखभाल को रोककर नहीं रखा जाना चाहिए।
- कैंसर रोगियों के लिए चेक-अप क्षेत्र अलग होने के साथ स्क्रीनिंग अनिवार्य की जानी चाहिए। परामर्श के दौरान डॉक्टर के साथ ही रोगी को अत्यधिक सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है। कैंसर रोगियों को इस समय और अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि वायरस के संपर्क में आने का खतरा कम हो। उन रोगियों के लिए जिन्हें तत्काल सर्जरी या प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है, जहां भी संभव हो. टेली-परामर्श और टेली-मेडिसिन का उपयोग करना चाहिए।
- कैंसर रोगियों के लिए किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले, उपचार और दवा के प्रभावी और सुरक्षित कोर्स को सुनिश्चित करने के लिए सभी टेस्ट कराना महत्वपूर्ण है। यही नहीं कैंसर रोगी के साथ ही उनकी देखभाल करने वालों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। इसके अलावा जितना हो सके अन्य विकल्पों को उपयोग कैंसर पीड़ितों को अपने इलाज के दौरान करना चाहिए।
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Back to work and time for a new job after coronavirus ‘break’
Almost half of Britons are considering a change of career - with medical professions, landscape gardening and teaching topping the list of preferred industries. A survey of 2,000 adults revealed the tumultuous events of 2020 had left two-thirds thinking life is too short to be working in a job they hate.
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Horoscope: Horoscopes for this week - what does astrology forecast for your star sign say?
Daily horoscope for August 29: YOUR star sign reading, astrology and zodiac forecast
Coronavirus symptoms: Full list of 11 warning signs - are you at risk of COVID infection?
CORONAVIRUS UK: COVID symptoms may be difficult to spot, as they could be confused for something less serious. You may be at risk of COVID-19 infection if you develop any of these 11 warning signs. This is the full list of coronavirus symptoms you should know. Should you consider self-isolating?
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सामने आया रिया का झूठ, कहा; सुशांत को क्लॉस्ट्रोफोबिया था और उड़ान भरने से उन्होंने मोडिफिनिल दवा ली थी जबकि ये दवा इस रोग की है ही नहीं
सुशांत सिंह केस के मामले में नई उलझन सामने आई है। रिया चक्रबर्ती ने हाल ही में आजतक को दिए एक इंटरव्यू में अपनी यूरोप ट्रिप का जिक्र किया। रिया ने सुशांत पर बात करते हुए कहा कि उन्हें क्लॉस्ट्रोफोबिया था, पिछले साल यूरोप ट्रिप के लिए उड़ान भरने से पहले उन्होंने अपनी इस बीमारी से निपटने के लिए मोडाफिनिल नाम की दवा ली थी।
रिया के मुताबिक, सुशांत ने कहा था कि उन्हें प्लेन में बैठने से डर लगता है, इसलिए क्लॉस्ट्रोफोबिया से बचने के लिए मोडाफिनिल लेते हैं।
क्या होता है क्लॉस्ट्रोफोबिया
क्लॉस्ट्रोफोबिया एक तरह का डर है। इसके मरीजों को बंद जगहों में जाने से परेशानी या घुटन महसूस होती है। कुछ मरीजों इसका इतना असर होता है कि उन्हें हर तंग जगह जाने में बहुत ज्यादा डर लगता है। जैसे- लिफ्ट या एमआरआई मशीन
एक बयान से सामने आए रिया के दो झूठ
पहला झूठ : मोडाफिनिल दवा क्लाउस्ट्रोफोबिया के मरीजों को नहीं दी जाती है
- मोडाफिनिल दवा क्लॉस्ट्रोफोबिया के मरीजों को दी ही नहीं जाती है। यह समस्या को और बढ़ा सकती है। मोडाफिनिल स्लीप डिसऑर्डर के मरीजों को प्रिस्क्राइब की जाती है।
- जिन मरीजों को बहुत अधिक नींद आती है यह दवा उन्हें दी जाती है, ताकि इसे कम किया जा सके। कई बार लेटनाइट शिफ्ट में काम करने डॉक्टरी सलाह से इस दवा को लेते हैं। इसका कोई सम्बंध क्लॉस्ट्रोफोबिया से नहीं है।
- अगर किसी इंसान को ऊंचाई या उड़ने से डर लगता है तो वह इस दौरान नींद लेना पसंद करेगा। इस बीच अगर मोडाफिनिल लेते हैं तो यह आपकी नींद को भगा देगी। मोडाफिनिल दवा से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें
दूसरा झूठ : बोइंग-737 विमान की ट्रेनिंग लेने वाले को ऊंचाई या बंद जगह से डर कैसे लग सकता है
- सुशांत को ऊंचाई या प्लेन में बैठने से डर लगने वाली बात समझ से परे हैं। सुशांत के ऐसे कई वीडियो हैं जिसमें वे प्लेन चलाते हुए नजर आ रहे हैं। हवाई यात्रा के दौरान उनके हावभाव को देखकर बिल्कुल भी नहीं लगता है, उन्हें क्लॉस्ट्रोफोबिया है।
- एक समय पर सुशांत बोइंग-737 को चलाना भी सीख रहे थे। वह ट्रेनिंग पूरी करने के लिए इसे खरीदाना भी चाहते थे। उन्होंने खुद अपनी ट्रेनिंग से जुड़ा एक वीडियो शेयर भी किया था।
- सुशांत के साथ लम्बे समय तक रिलेशनशिप में रहीं एक्ट्रेस अंकित लोखंडे ने भी रिया के इस दावे को खारिज किया। अंकिता ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, तुम हमेशा उड़ना चाहते थे, और ऐसा तुमने ऐसा किया थी। हम सभी को तुम पर गर्व है।
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