
पीठ दर्द, थकान और बढ़ते वजन से परेशान हैं तो शलभासन करना फायदेमंद है। शलभ एक संस्कृत का शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ है पतंगा या टिड्डा। शलभासन सायटिका एवं पीठ के निचले हिस्से में हो रहे दर्द से राहत देता है। यह पाचन को बेहतर बनाने के साथ मांसपेशियों को आकार देता है।
ऐसे करें आसन
- शलभासन करने के लिए सबसे पहले आपको मकरासन की मुद्रा में आना होगा। जमीन पर पेट के बल लेट जाएं और अपने पैरों को एक दूसरे से दूर रखें।
- अपने माथे को अपनी हथेलियों पर रखें। अब मकर आसन से आगे बढ़ते हुए अपने दोनों पैरों को आपस में जोड़ लें।
- अब दोनों हाथों को शरीर के समीप इस तरह रखें कि दोनों हथेलियां आसमान की ओर हों और आपकी ठोड़ी ज़मीन पर हो।
- गहरी सांस लेते हुए सिर्फ अपने कूल्हों के सहारे पैरों को ज़मीन से उपर उठाएं।
- अपने पैरों को उतना ही उपर उठाएं जितना आप अपने घुटनों को बिना मोडे़ उठा सकें।
- आप पैरों को उपर उठाए रखने के लिए अपनी बाहों का सहारा ले सकते हैं जिससे आप अपने शरीर को स्थिर रख सकें।
- अब सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें और 10-20 सेकंड तक आराम से रहें।
- 10-20 सेकंड तक इस आसान में रहने के बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने पैरों को ज़मीन पर लाएं।
- अब कुछ समय तक मकरासन में आने के बाद आराम करें।
योग विशेषज्ञ डॉ. नीलोफर से जानिए इसके फायदे-
- पीठ दर्द से दिलाएगा आराम: यह आसान सायटिका एवं पीठ के निचले हिस्से में हो रहे दर्द से राहत दिलाता है।
- मांसपेशियों को देगा आकार: यह आसन कूल्हों और कूल्हों के आस-पास की मांसपेशियों को आकार देता है।
- वज़न होगा कम: शलभासन को नियमित रूप से करने पर जांघों की चर्बी घटती है और वजन कम होता है।
- पाचन क्रिया में आएगा सुधार: यह आसन पेट के लिए लाभकारी है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
- थकान होगी दूर: शलभासन आपके मानसिक तनाव और थकान को भी दूर करता है।
ये बातों ध्यान रखें
- गर्भवती महिलाओं, पेप्टिक अल्सर, हर्निया, हाई बीपी और हृदय के रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- अगर आपकी पीठ के निचले हिस्से में बहुत दर्द हो तो इस आसन को सावधानी से करना चाहिए।
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