जमैका के क्वीन्स में रहने वाले 78 साल के मिलफोर्ड ग्रेव्स पेशे से संगीतज्ञ हैं। 1960 के दशक में ड्रमर के रूप में उनकी ख्याति थी। धीरे-धीरे उन्होंने संगीत के साथ-साथ दिल की धड़कनों को भी सुनना शुरू कर दिया। उनकी रिद्म का स्रोत दिल की धड़कनें रहीं। वह कहते कि इससे पर्सनल म्यूजिक तैयार किया जा सकता है। लेकिन अब मिलफोर्ड दिल की धड़कनों को सुनकर म्यूजिक थैरेपी से अपना इलाज कर रहे हैं।
2018 में हुई कार्डियोमायोपैथी
मिलफोर्ड को 2018 में मिलॉइड कार्डियोमायोपैथी नाम की बीमारी हो गई थी। डॉक्टर्स ने कह दिया था कि उनके पास महज छह महीने ही बचे हैं। इस बीच कई बार वह मौत के मुंह से बचकर वापस भी आए। मिलफोर्ड अब हृदयविशेषज्ञों की देखरेख के अलावा म्यूजिक थैरेपी से भी अपना इलाज कर रहे हैं।
स्टेथोस्कोप से सुनते हैं दिल की धड़कन
मिलफोर्ड स्टेथोस्कोप से अपने दिल की धड़कन सुनकर, अल्ट्रासाउंड मशीन के जरिए उसे रिकॉर्ड कर रहे हैं। उस रिद्म को ड्रम पर बजा रहे हैं, गा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसड्यूसर्स की मदद से वह ड्रमहेड पर अपनी ही दिल की धड़कनों की रिकॉर्डिंग प्ले करते हैं। इन सारी गतिविधियों की वह वीडियो रिकॉर्डिंग भी करा रहे हैं।
हेल्दी रिद्म तैयार करने का दावा
मिलफोर्ड को विश्वास है कि अस्वस्थ दिल की धड़कनों को सुनकर उनकी म्यूजिकली एडजस्ट करके नई और हेल्दी रिद्म तैयार की जा सकती है। बायोफीडबैक के जरिए इसका इस्तेमाल दिल के इलाज में भी किया जा सकता है। मिलफोर्ड कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि उनके पास जीने के लिए कितने दिन बचे हैं, लेकिन अगर रिसर्च सही दिशा में आगे बढ़ी तो, कई लोगों को फायदा मिल सकता है।
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