­

Sunday, August 2, 2020

कोरोनावायरसः 12 अगस्त से पहले अप्रूव हो सकती है रूसी वैक्सीन; वह सबकुछ जो आपके लिए जानना जरूरी है

दुनियाभर में ग्रेट डिप्रेशन से भी बड़ी मंदी का कारण बन रहे कोरोनावायरस का हल सिर्फ वैक्सीन के पास है। जिसे खोजने की प्रक्रिया फास्ट ट्रैक पर है। पिछले हफ्ते तक लग रहा था कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन सबसे पहले मार्केट में आएगी। लेकिन रूस ने घोषणा की है कि उसकी वैक्सीन 10 से 12 अगस्त के बीच रजिस्टर हो जाएगी यानी उसे अप्रूवल मिल जाएगा।

यह सुनते ही भारत, ब्राजील, सऊदी अरब समेत 20 देशों ने रूसी वैक्सीन में रुचि दिखाई है। वहीं, अमेरिकी और यूरोपीय वैज्ञानिकों की आंखों में संदेह भी दिखने लगे। क्या है रूस का वैक्सीन और यह किस तरह सेफ और इफेक्टिव साबित होगी? आइये जानते हैं इसके बारे में सबकुछः

क्या है यह वैक्सीन और इतनी जल्दी कैसे बन गई?

  • इस वैक्सीन का नाम है Gam-Covid-Vac Lyo और इसे मॉस्को स्थित रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी एक संस्था गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है।
  • रूसी इंस्टीट्यूट ने जून में दावा किया था कि वैक्सीन तैयार कर ली है। फेज-1 ट्रायल शुरू कर दिए गए हैं। यह भी खबरें आ गईं कि रूस की दिग्गज हस्तियों को यह वैक्सीन लगाई जा रही है।
  • रूसी वैक्सीन में ह्यूमन एडेनोवायरस वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है। उन्हें कमजोर किया गया है ताकि वे शरीर में विकसित न हो सके और शरीर को सुरक्षित रख सके।
  • इन ह्यूमन एडेनोवायरस को Ad5 और Ad26 नाम दिया गया है और दोनों का ही इसमें कॉम्बिनेशन है। दोनों को कोरोनावायरस जीन से इंजीनियर किया है।
  • इस समय दुनियाभर में विकसित किए जा रही ज्यादातर वैक्सीन एक वेक्टर पर निर्भर है जबकि यह दो वेक्टर पर निर्भर है। मरीजों को दूसरा बूस्टर शॉट भी लगाना होगा।
  • रूसी वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने अन्य रोगों से लड़ने के लिए बनाए गए वैक्सीन को ही उन्होंने मॉडिफाई किया है और इससे यह जल्दी बन गया।
  • वैसे, अन्य देशों और अन्य कंपनियों ने भी इसी अप्रोच को अपनाया है। मॉडर्ना ने मर्स नामक एक संबंधित वायरस के वैक्सीन में ही थोड़ा बदलाव किया है।
  • इससे डेवलपमेंट प्रक्रिया तेज हो गई है, लेकिन यूएस और यूरोपीय रेगुलेटर इस वैक्सीन की सेफ्टी और इफेक्टिवनेस पर बारीकी से नजर रखे हैं।

रूस की ओर से किस तरह के दावे किए जा रहे हैं?

  • रूस की डिप्टी प्राइम मिनिस्टर तात्याना गोलिकोवा ने कहा कि यह वैक्सीन अगस्त में रजिस्टर हो जाएगी। सितंबर में इसका मास-प्रोडक्शन भी शुरू हो जाएगा।
  • इससे पहले, 15 जुलाई को रूसी वैज्ञानिकों ने कहा था कि यह वैक्सीन एडिनोवायरस-बेस्ड है। इसके शुरुआती चरण के ट्रायल्स हो चुके हैं। अब तक के नतीजे सफल रहे हैं।
  • जुलाई के आखिरी हफ्ते में रूसी स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गेमालेया ने वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल्स खत्म कर लिए हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए पेपरवर्क कर रहे हैं।
  • सीएनएन की एक रिपोर्ट में रूसी अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि भारत, ब्राजील, सऊदी अरब समेत 20 से ज्यादा देशों ने इस वैक्सीन में रुचि दिखाई है।
  • अधिकारियों ने सीएनएन से यह भी कहा कि 12 अगस्त डेडलाइन है। रेगुलेटर पब्लिक यूज के लिए मंजूरी दे देगा। उसके बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों पर इसका इस्तेमाल होगा।
  • रूसी स्वास्थ्य मंत्री ने शनिवार को कहा कि अक्टूबर में मास वैक्सीनेशन कैम्पेन शुरू किया जाएगा। डॉक्टरों और टीचर्स से इसकी शुरुआत होगी।
  • रूसी वैक्सीन से बाकी दुनिया को दिक्कत क्या है?

  • ब्रिटेन समेत यूरोपीय देशों व अमेरिका के कुछ एक्सपर्ट्स को रूस के फास्ट-ट्रैक अप्रोच से दिक्कत है। वे इसकी सेफ्टी और इफेक्टिवनेस पर सवाल उठा रहे हैं।
  • संक्रामक रोगों के अमेरिकी विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फॉसी ने आशंका जताई कि रूस और चीन के वैक्सीन इफेक्टिव और सेफ नहीं है। इसकी व्यापक जांच होनी चाहिए।
  • अमेरिकी एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि यूएस इस साल के अंत तक वैक्सीन बना लेगा और उसे किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
  • वैसे, रूस ने वैक्सीन टेस्टिंग को लेकर कोई साइंटिफिक डेटा पेश नहीं किया है, ताकि वैक्सीन की इफेक्टिवनेस और सेफ्टी का पता लगाया जा सके।
  • आलोचकों का कहना है कि वैज्ञानिकों पर क्रेमलिन (रूसी रक्षा मंत्रालय) का दबाव है। वह रूस को ग्लोबल साइंटिफिक फोर्स के तौर पर पेश करना चाहते हैं।
  • आलोचनाओं पर रूस का क्या कहना है?

  • रूसी डेवलपर्स का प्लान था कि तीन अगस्त तक फेज-2 पूरा हो जाएगा। फेज-3 टेस्टिंग और मेडिकल वर्कर्स का वैक्सीनेशन साथ-साथ चलेगा।
  • रूसी सैनिकों को ह्यूमन ट्रायल्स के लिए वॉलेंटियर बनाया गया है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर एलेक्जेंडर गिन्सबर्ग ने कहा कि उन्होंने खुद पर भी वैक्सीन को आजमाया है।
  • रूसी अधिकारियों का यह भी दावा है कि वैक्सीन बनाने के लिए फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया की इजाजत ली गई है। वैश्विक महामारी के जल्द से जल्द हल के लिए ऐसा किया गया।
  • रूसी अधिकारियों का यह भी कहना है कि अगस्त के शुरुआती हफ्तों में ह्यूमन ट्रायल्स के डेटा को पीयर रिव्यू और पब्लिकेशन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
  • इसे स्पूतनिक मूमेंट कहा जा रहा है, क्यों?

  • दरअसल, 1957 में दुनिया का पहला सैटेलाइट तत्कालीन सोवियत संघ ने लॉन्च किया था और अमेरिका के मुकाबले अपनी वैज्ञानिक दक्षता साबित की थी।
  • इस सैटेलाइट को ही स्पूतनिक नाम दिया गया था। रूस के सोवरिन फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रेव का कहना है कि वैक्सीन की खोज भी स्पूतनिक मूमेंट है।
  • उन्होंने सीएनएन से कहा, स्पूतनिक सुनकर ही अमेरिकी चकित रह गए थे। वैक्सीन के केस में भी ऐसा ही होगा। रूस वैक्सीन बनाने वाला पहला देश होगा।
  • रूस ने इबोला और मर्स वैक्सीन में श्रेष्ठता साबित की। अब दुनिया की सबसे बड़ी समस्या से निपटने के लिए पहला सेफ और इफेक्टिव वैक्सीन लाई जा रही है।
  • रूस पर लगे हैकिंग के आरोपों में क्या सच्चाई है?

  • पिछले महीने ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा की सिक्योरिटी एजेंसियों ने दावा किया था कि रूसी हैकिंग ग्रुप ने कोरोनावायरस वैक्सीन बना रहे संगठनों को निशाना बनाया है।
  • यूके के नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर ने कहा था कि अटैक एपीटी29 ग्रुप ने किया, जिसे द ड्यूक्स या कॉजी बियर भी कहते हैं। यह रूसी खुफिया सेवाओं का हिस्सा था।
  • दावा किया गया था कि वैक्सीन से जुड़ी जानकारी चुराने के लिए रूसी ग्रुप्स इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।
  • रूस के ब्रिटेन में राजदूत आंद्रेई केलिन ने इन आरोपों को खारिज किया था। बीबीसी से उन्होंने कहा था कि इन आरोपों में कोई आधार ही नहीं है।

अन्य वैक्सीन की क्या स्थिति है?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैक्सीन ट्रैकर के मुताबिक इस समय दुनियाभर में 165 से अधिक वैक्सीन विकसित की जा रही हैं।
  • चीनी मीडिया ने घोषणा की थी कि कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने जो वैक्सीन बनाई है, उसे चीनी सेना ने इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। यह पहली अप्रूव्ड वैक्सीन बन गई।
  • दो अन्य चीनी कंपनियां सिनोवेक और सिनोफार्म ने ब्राजील और यूएई में अपने वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल जुलाई में शुरू कर दिए हैं। इनके नतीजे भी सितंबर तक आ जाएंगे।
  • रूस में ही नोवोसिबिस्क (साइबेरिया) में वेक्टर स्टेट लैबोरेटरी ने भी एक वैक्सीन बनाई है, जो अक्टूबर तक प्रोडक्शन में आने की उम्मीद की जा रही है।
  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन के ट्रायल्स के नतीजे अच्छे रहे हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अभी इसे भी लंबा रास्ता तय करना है।
  • इसी तरह अमेरिकी सरकार समर्थित मॉडर्ना के वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स पिछले हफ्ते ही शुरू हुए हैं। यह वैक्सीन इस साल के अंत तक बाजार में आने की उम्मीद है।

भारतीय वैक्सीन की क्या स्थिति है?

  • भारत में दो वैक्सीन बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। भारत बायोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर कोवैक्सिन विकसित की है।
  • जिसके ह्यूमन ट्रायल्स पिछले महीने शुरू हुए हैं। फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स साथ हो रहे हैं। इससे इस साल के अंत तक यह वैक्सीन मार्केट में आने की उम्मीद है।
  • अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने भी ZyCoV-D नाम से वैक्सीन बनाई है। यह स्वदेशी वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में लॉन्च हो जाएगी।
  • जायडस कैडीला के वैक्सीन को रेग्युलेटर्स की ओर से फेज-1 और फेज-2 के ह्यूमन ट्रायल्स की अनुमति मिल गई है। इसके लिए प्रक्रिया भी तेज हो गई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Coronavirus Vaccine Update | Everything You Want To Know About Russian Coronavirus Vaccine | WHO Coronavirus Vaccine Tracker | update on Indian Coronavirus Vaccine


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2DnY0Pw
https://ift.tt/3hXIGYU

No comments:

Post a Comment

Thanks