भोपाल के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए एयर बबल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल हेल्थ वर्कर कर रहे हैं। यह एयर बबल ट्रांसपेरेंट हैं और चेहरे को पूरी तरह से कवर करते हैं। इसकी बनावट ऐसी है कि इसके जरिए सांस लेने में तकलीफ नहीं होती और कोरोना के कणों को नाक या मुंह तक पहुंचने का खतरा भी नहीं है।
हेल्थवर्करों की सुरक्षा भी जरूरी
हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्कंद त्रिवेदी के मुताबिक, कोरोना से बचाव का यह तरीका हेल्थवर्करों की सुरक्षा के लिए लागू किया गया है। ये लगातार कोरोना के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं। इसलिए डॉक्टर्स, नर्सेस और टेक्नीशियन को बचाने के लिए इसे तैयार किया गया है।
संक्रमित हवा में सांस लेने का खतरा
डॉ. स्कंद त्रिवेदी के मुताबिक, संक्रमित हवा में सांस लेने पर कोरोना फैलता है। कोरोना के मरीज जहां हैं वहां अगर स्वास्थ्यकर्मी उसी हवा में सांस लेंगे तो दिक्कत बढ़ेगी। इसलिए मैं एयर बबल से स्टाफ को सुरक्षित कर पाउंगा कि वो मरीज के साथ मिलकर 8 घंटे काम कर सकेंगे।
ऐसे काम करता है एयर बबल
एयर बबल पूरी तरह से चेहरे को कवर करता है। ऐसे में हेल्थवर्कर्स को ऑक्सीजन पहुंचना बेहद जरूरी है। एयर बबल में ताजी हवा के लिए एक पाइप लगाया गया है। इस पाइप के जरिए इसका इस्तेमाल करने वाले तक हवा पहुंचती है। इससे पहनना बेहद आसान है क्योंकि ये हेलमेटनुमा है और पोर्टेबल डिवाइस की तरह है।
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