HOW TO get rid of visceral fat: The higher the amount of visceral fat a person stores, the more at risk they are for certain health complications including type 2 diabetes and heart disease. Fortunately, a new diet could be the answer to helping you get rid of your visceral fat. What is it?
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DEMENTIA symptoms include memory loss, difficulty concentrating, and having slower thoughts. But, you could lower your risk of developing Alzheimer's disease signs by using this fruit juice while cooking. Should you change your diet plans to protect against dementia?
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The encouraging public health news was tempered by evidence that many high school users were taking advantage of a regulatory loophole to get access to flavored products.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को घोषणा की है कि AstraZeneca और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा साथ मिलकर किए जा रहे COVID-19 वैक्सीन ट्रायल का 'अस्थायी निलंबन' असामान्य नहीं है.
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A University of Washington analysis of some 500 nasal swabs from coronavirus testing revealed different sets of immunity-coding genes that don't activate as well in elderly people and men.
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SUPERMARKETS often compete with each other by lowering prices and offering discounted items for customers. Which? compared UK supermarkets throughout the month of August to name the cheapest place to shop.
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प्लाज्मा थैरेपी कोरोना मरीजों की मौत रोकने में कारगर नहीं है। यह बात इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के हालिया शोध में सामने आई है। ICMR के मुताबिक, यह मरीज की बिगड़ती हालत को रोकने में भी मदद नहीं करती है। 14 राज्यों के 39 अस्पतालों में 464 मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल किया गया है।
मरीजों को दो ग्रुप ने बांटकर रिसर्च हुई
यह थैरेपी कोरोना के मरीजों पर कितनी कारगर है, इसे समझने के लिए ट्रायल किया गया। ट्रायल के लिए दो ग्रुप बनाए गए। इंटरवेंशन और कंट्रोल। इंटरवेंशन ग्रुप में 235 कोरोना पीड़ितों को प्लाज्मा चढ़ाया गया। वहीं, कंट्रोल ग्रुप में 233 लोगों को कोविड-19 का स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट दिया गया। 28 दिन तक दोनों ग्रुप पर नजर रखी गई।
प्लाज्मा थैरेपी से नहीं रुकी मौत
पहले ग्रुप में जिन 235 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया था, उनमें से 34 मरीजों की मौत हो गई। वहीं, दूसरा ग्रुप जिसमें मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी नहीं दी गई, उसमें से 31 मरीजों की मौत हो गई। दोनों ही ग्रुप में 17-17 मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई थी।
ICMR की रिसर्च कहती है, प्लाज्मा थैरेपी से थोड़ा ही फायदा हुआ है। जो मरीज सांस की समस्या और थकान से जूझ रहे थे, उसमें उन्हें राहत मिली है। लेकिन बुखार और खांसी के मामले में इस थैरेपी का असर नहीं दिखाई दिया।
क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी
अमेरिकन रेड क्रॉस के मुताबिक, कोविड-19 से पूरी तरह उबर चुके मरीज का प्लाज्मा लेकर कोरोना के नए मरीजों में चढ़ाया जाता है ताकि इनमें भी एंटीबॉडीज बन सकें और कोरोना से लड़ सकें। इस थैरेपी का इस्तेमाल भारत के अलावा अमेरिका, स्पेन, दक्षिण कोरिया समेत कई देशों में किया जा रहा है।
कौन डोनेट कर सकता है प्लाज्मा
एफडीए के अनुसार, प्लाज्मा केवल उन्हीं लोगों से कलेक्ट किया जाना चाहिए जो ब्लड डोनेशन के लिए योग्य हैं।
अगर व्यक्ति को पहले कोरोनावायरस पॉजिटिव रह चुका है तो ही वे दान कर सकता है।
संक्रमित व्यक्ति कोविड 19 से पूरी तरह उबरने के 14 दिन बाद ही डोनेशन कर सकता है। डोनर में किसी भी तरह के लक्षण नहीं होने चाहिए।
दान देने वाले के शरीर में ब्लड वॉल्यूम ज्यादा होना चाहिए। यह आपके शरीर की लंबाई और वजन पर निर्भर करता है।
डोनर की उम्र 17 साल से ज्यादा और पूरी तरह से स्वस्थ्य होना चाहिए।
आपको मेडिकल एग्जामिनेशन से गुजरना होगा, जहां आपकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच की जाएगी।
यह ब्लड डोनेशन से अलग कैसे है?
इंसान के खून में कई चीजें शामिल होती हैं, जैसे- रेड ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लाज्मा। ब्लड डोनेशन के दौरान व्यक्ति करीब 300ml रक्तदान करता है, लेकिन प्लाज्मा डोनेशन में व्यक्ति को एक बार उपयोग में आने वाली एफेरेसिस किट के साथ एफेरेसिस मशीन से जोड़ दिया जाता है। यह मशीन प्लाज्मा को छोड़कर खून की सभी कंपोनेंट्स को वापस शरीर में डाल देती है। इस प्रक्रिया में एक ही सुई का इस्तेमाल होता है।