Monday, September 14, 2020

Reading the book vs. watching its adaptation

With all the books being adapted to screen, many feel there's no point reading the book for the adaptation will be enough, but this isn't the case. Here is why.

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9 foods that can cause a headache

We all have experienced headaches and we all know how annoying, painful and disruptive it feels.

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Green tea or Black coffee: What is better?

Several studies suggest that these drinks boost your metabolism and speed up the fat-burning process.

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Childhood obesity: How to deal with it

In last 15 years the prevalence of overweight and obesity has increased almost four times (4 to 15%). India has the second-highest number of obese children in the world, with 14.4 million reported cases

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Kitchen tricks to ease your WFH life

The simple methods can make your cooking experience easier.

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Prince Harry birthday pictures 'should remind us what we have missed' after royal split



PRINCE HARRY is celebrating his 36th birthday today. The royal is a grandson of the Queen and is the Duke of Sussex. He has moved overseas in the past year to live with his American former-actress wife Meghan Markle, 39. A body language expert looked back on pictures of the Prince on his birthdays in the past.

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The different types of couples in lockdown

It has been over 6 months now, since the global pandemic changed the course of our lives and made a drastic impact on our lifestyle. Not only has it altered our ways of living, but it has also affected our relationship with our partners and our spouses. Initially, the idea of lockdown appealed to a lot of people. It assured us a sense of comfort and togetherness. But over time, while some stuck to their initial thoughts, others became highly intolerant and critical of such a scenario.

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DR MICHAEL MOSLEY's mouth-watering plan to get you trim and healthy 

DR MICHAEL MOSLEY: When you are young it feels as if you can eat anything and not put on weight. But most of us gain about a pound a year from our mid-20s onwards.

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अहमदनगर के एमबीबीएस स्टूडेंट ने लॉकडाउन में कम किया 15 किलो वजन, जो लोग पहले उनके मोटापे का मजाक उड़ाते थे, वहीं अब उनकी तारीफ करते हैं

एक मेडिकल स्टूडेंट होने के नाते लायब्रेरी में घंटों बैठना शामिल होता है। ऐसे में अगर आप होस्टल में रह रहे हैं तो सादा खाना कम और जंक फूड ज्यादा खाने लगते हैं। अहमदनगर, महाराष्ट्र में एमबीबीएस के थर्ड ईयर स्टूडेंट फरहान के साथ भी यही हुआ।

सैयद मोहम्मद फरहान इरफान डॉ. विट्‌ठल राव विखे पाटिल फाउंडेशंस मेडिकल कॉलेज एंड मेमोरियल हॉस्पिटल, अहमदनगर से एमबीबीएस कर रहे हैं। वे कहते हैं अगर आपके दोस्त भी खाने के शौकीन हो तो मेस के खराब खाने से बचने के लिए रोज ही बाहर का खाना खाने में आता है।

कभी-कभार बाहर का खाना तो अच्छा लगता है लेकिन अगर रोज ऐसा ही खाना आपकी आदत बन जाए तो आप खुद को थका हुआ और सुस्त महसूस करने लगते हैं। ऐसे में आपका वजन भी तेजी से बढ़ने लगता है।

फरहान अपने बढ़ते वजन से परेशान रहने लगे थे।

ऐसा ही कुछ फरहान के साथ भी हुआ और उनका वजन 85 से 90 किलो हो गया। लॉकडाउन के दौरान 15 किलो वजन कम करने वाले फरहान ने अपनी वेट लॉस जर्नी खुद अपने शब्दों में कुछ इस तरह से बयां की। वे चाहते हैं उनके बारे में जानकर दूसरे लोग भी अपने वजन को नियंत्रित करना सीखें और सेहतमंद रहें :

एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान दिन-रात बस बैठे-बैठे पढ़ना और जब पढ़ाई से उठो तो खाना खाना। अब से कुछ महीनों पहले तक यही मेरा डेली रुटीन हुआ करता था। उन दिनों मेरा वजन लगभग 90 किलो हो गया था।

मेरे दोस्तों ने मुझे जिम जॉइन करने की सलाह दी। मैं जिम जाने लगा लेकिन वजन कम नहीं हुआ। तब मैंने नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई की चीफ डाइटीशियन डॉ. उषा किरण सिसोदिया से कंसल्ट किया।

फरहान ने महसूस किया कि माेटे होने से शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगता है।

मैं ये भी जानता था कि उनके बताए डाइट चार्ट को मैं ज्यादा दिनों तक फॉलो नहीं कर पाऊंगा क्योंकि मैं खुद भी खाने का बहुत शौकीन हूं। मैं नॉनवेज खाए बिना नहीं रह सकता। ऐसे में डाइट प्लान फॉलो करना मेरे लिए मुश्किल था।

लेकिन डॉ. उषा किरण द्वारा बताया गया मेरा डाइट प्लान खाने में टेस्टी और हेल्दी था। जिस वजह से इसे फॉलो करना मेरे लिए आसान रहा। साथ ही मैंने साइकिलिंग और वॉकिंग की शुरुआत की।

वजन बढ़ने के दौरान मैंने ये महसूस किया कि जब आप मोटे होने लगते हैं तो आपका शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगता है। चाहे वजन कम करने और परफेक्ट शेप के लिए डाइटिंग और वर्कआउट जरूरी है लेकिन इससे भी जरूरी है आपका विल पावर मजबूत होना। एक बार में ज्यादा खाने के बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में पौष्टिक भोजन जैसे सलाद या फल खाना जरूरी है।

उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई करते हुए ये जाना कि वजन बढ़ने से सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं।

अपना वजन कम करने का ख्याल मुझे तब आने लगा जब लोग मेरे वजन का मजाक उड़ाने लगे और मुझे वेट लॉस के लिए तरह-तरह की सलाह देने लगे। ऐसे में मैं अपने लिए जब भी नए कपड़े लेकर आता तो वे कपड़े हर बार मुझे टाइट लगते। धीरे-धीरे अपने वजन की वजह से मुझे फोटो खिंचवाने में भी शर्मिंदगी महसूस होने लगी।

उन्हीं दिनों मैने एमबीबीएस की पढ़ाई करते हुए ये जाना कि वजन बढ़ने के सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं। ऐसी कई बीमारियां हैं जो ज्यादा वजन की वजह से कम उम्र में ही घेरने लगती हैं। इन सब बातों को जानकर मैंने ये फैसला किया कि कुछ भी हो जाए मुझे अपना वजन कम करना ही है।

वजन कम करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी आपका समय और ऊर्जा दोनों देने की है। इसके अलावा सारी कोशिशों के साथ ही सब्र से काम लेना भी जरूरी है। जिन लोगों को लगता है कि वजन कम करने के लिए सर्जरी या जिम सप्लीमेंट जरूरी होते हैं, वे भी गलत हैं। इन दोनों चीजों के बिना भी आसानी से वेट लॉस किया जा सकता है।

अपनी इच्छाशक्ति के बल पर फरहान ने 15 किलो वजन कम किया।

मैंने फरवरी और मार्च में पूरे अनुशासन के साथ वजन कम करने की कवायद जारी रखी। उसके बाद रमजान के एक महीने इसे फॉलो नहीं कर पाया। लेकिन ईद के बाद मैंने फिर एक बार अपनी कोशिश की। इस तरह जुलाई तक मैंने 15 किलो वजन कम किया। मेरी वेट लॉस जर्नी अभी भी जारी है।

मुझे अपना वजन 68 किलो करना है। हालांकि वजन कम करने के लिए मैंने अपने खाने पर कंट्रोल किया लेकिन सीमित मात्रा में हर चीज खाई जैसे खाने में दो चपाती के साथ सब्जी। इसके अलावा बीच में भूख लगने पर सलाद, फल या चने में टमाटर और खीरा मिलाकर खाया। अगर सुबह नॉनवेज खा लिया है तो शाम को नहीं खाया। वजन कम करने के लिए रोज क्या खाना है, इससे ज्यादा जरूरी है कितना खाना है। मैंने इस बात का हमेशा ध्यान रखा।

फरहान कहते हैं कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह समझते हैं कि एक बार वजन बढ़ गया तो इसे कम करना बहुत मुश्किल है। जबकि ऐसा नहीं है।

इस समय जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, उनका वजन बढ़ने के अधिक चांस हैं क्योंकि दिन भर बैठकर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने काम करना और घर में रहते हुए ऑफिस के बजाय अधिक खाना। लेकिन यही वो वक्त है जब आप अपना वेट आसानी से कम कर सकते हैं। घर में रहते हुए भी एक साथ ज्यादा खाने के बजाय थोड़े-थोड़े अंतराल में कम खाना शुरू करें। साथ ही तली-भुनी चीजों से बचें।

इसके बजाय सलाद, फल या चने खाएं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह समझते हैं कि एक बार वजन बढ़ गया तो इसे कम करना बहुत मुश्किल है। जबकि ऐसा नहीं है। वजन कम करने के लिए आपको एक अच्छे डाइटीशियन की जरूरत है। साथ ही एक्सरसाइज की भी। इस दौरान आप अपने लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे बढ़ेंगे लेकिन कोशिश करते रहेंगे तो कामयाबी जरूर हासिल होगी।

फरहान के मम्मी-पापा ने वेट लॉस करने में उनकी पूरी तरह से मदद की।

डाइटिंग करना उस वक्त मेरे लिए मुश्किल हुआ जब मैं होस्टल से घर जाता था। इतने कम समय के लिए घर जाने पर घर में रोज ही खाने में कुछ खास बनता है। ऐसे में खुद को कंट्रोल करना कठिन था। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मुझे अपने डाइट चार्ट को हर हाल में फॉलो करना ही है।
जब मैंने अपने घर वालों को मेरे वेट लॉस प्लान के बारे में बताया तो उन्होंने मेरा साथ दिया और इस तरह मेरे मम्मी-पापा भी मेरे साथ डाइटिंग करने लगे। इसके अलावा मेरे दोस्तों ने जब वेट लॉस को लेकर मेरा जज्बा देखा तो उन्होंने भी मेरा साथ दिया।

वजन कम करने के बाद फरहान का फोटो।

अगर आप वेट लॉस करना चाहते हैं तो यह जान लें कि वजन कम करना एक बार का लक्ष्य नहीं है बल्कि लगातार की जाने वाली कोशिश है। ये तब सरल हो सकता है जब आप फ्राइड चीजों से दूर रहें। मीठा कम खाएं और कोल्ड ड्रिंक आदि पीने से परहेज करें। इसके साथ ही अपने वजन की नियमित रूप से जांच करते रहें ताकि आप वजन बढ़ते ही अपनी डाइट में बदलाव कर सकें और वजन नियंत्रित रहे।



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MBBS students of Ahmednagar reduced the weight of 15 kg in lockdown, people who used to make fun of their obesity earlier, now praise them


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बहुत गुणकारी है जामुन का फल, डायबिटीज समेत इन बीमारियों को रखता है दूर

हम आपको प्राकृतिक औषधियों के बारे में बताते हैं. इसका मतलब ऐसे पेड़-पौधे जिनका प्रयोग शरीर को निरोगी बनाए रखने में किया जा सकता है. प्रकृति आपके जीवन का एक अहम हिस्सा है.

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Diet rules to help you lose weight for the D-day



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कोविड-19 से बचने के लिए कारगर बताई जा रही वायरल लिस्ट की दवाएं, एक्सपर्ट ने बताया - इस लिस्ट को सच मानकर दवाएं लेना जानलेवा हो सकता है

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दवाइयों की एक लिस्ट वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि ये दवाइयां कोविड-19 से संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए कारगर हैं।

हमारी फैक्ट चेक टीम के वॉट्सएप नंबर पर भी कई रीडर्स ने यह लिस्ट पड़ताल के लिए भेजी।

और सच क्या है ?

  • देश की शीर्ष रिसर्च संस्था ICMR की ऑफिशियल वेबसाइट पर हमें ऐसी कोई लिस्ट नहीं मिली। हमने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट भी चेक की। वहां भी कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले मरीजों के लिए दवाओं की अलग से कोई लिस्ट जारी नहीं की गई है।
  • जब स्पष्ट हो गया कि वायरल हो रही लिस्ट किसी जिम्मेदार संस्था ने जारी नहीं की है। तो हमने पड़ताल के अगले चरण में यह पता लगाना शुरू किया कि आखिर लिस्ट में शामिल दवाएं कितनी कारगर हैं। इसके लिए हमने डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. राजेश अग्रवाल से संपर्क किया।
  • डॉ. राजेश अग्रवाल ने लिस्ट में दी गई हर एक दवा के उपयोग के बारे में बताया। साथ ही यह भी बताया कि इनका कोविड-19 के इलाज से कितना संबंध है।
  • वायरल लिस्ट में सबसे पहले हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टैबलेट को सभी के लिए खाना अनिवार्य बताया गया है। जबकि इस टैबलेट को खाने के बाद उल्टी होना, एसिडिटी और चक्कर आने जैसे साइड इफेक्ट सामने आ चुके हैं। लिहाजा इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
  • लिस्ट में दूसरे नंबर पर नाम है विटामिन सी, विटामिन डी और जिंक टैबलेट का। यह तीनों इम्युनिटी बढ़ाने या फिर विटामिन की कमी होने पर दी जाने वाली सामान्य टैबलेट हैं। अगर इनके लेने से कोई खास फायदा नहीं है। तो कोई नुकसान भी नहीं है।
  • बुखार, गले में खराश और खांसी के लिए दी गई दवाएं सही हैं। इन दवाओं के कोई गंभीर साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।
  • सांस लेने की तकलीफ होने पर लिस्ट में DEXONA टैबलेट लेने की सलाह दी गई है। यह सांस की तकलीफ के लिए ली जाने वाली कारगर दावा है। लेकिन, इसे बिना एंटीबायोटिक कवर के लेना हानिकारक हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति के लीवर में इंफेक्शन है और उसे सांस लेने में तकलीफ भी हो रही है। इस लिस्ट को पढ़कर अगर उसे बिना एंटीबायोटिक कवर के DEXONA टैबलेट दे दी जाती है तो सांस लेने में राहत मिल जाएगी पर इंफेक्शन बढ़ता रहेगा। नतीजा यह होगा कि मरीज की हालत 2-3 दिन बाद बहुत ज्यादा क्रिटिकल हो जाएगी। इस दवा को बिना एंटीबायोटिक कवर के लेना जानलेवा भी हो सकता है।


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Fact Check: List of drugs getting viral for curing covid-19, expert said - taking them without doctor's advice can also be fatal.


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चलती ट्रेन में पटरियों की बदली हुई आवाज से पता लगाया कि रेल बेपटरी होने वाली है, जब सब पीछे हटे तो इन्होंने 75 फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़कर मशीन देखी

पहले सोचो, योजना बनाओ, फिर खूबियों और खामियों को समझने के बाद काम शुरू करो। सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जीवन की फिलॉसफी यही रही है। इन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र वो उपलब्धियां हासिल जो इतिहास में अमर हो गईं। आज इनका जन्मदिन है, जिसे इंजीनियर्स-डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। सर मोक्षगुंडम ने अपने दौर में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ऐसे कीर्तिमान रचे जिसका लोहा अंग्रेजों ने भी माना। इंजीनियर्स डे पर उनके जीवन के उन किस्सों को जानिए, जिसने सबको चौंकाया...

जिन अंग्रेजों ने मजाक उड़ाया, उन्हीं ने मांगी माफी
विश्वेश्वरैया के जीवन सबसे दिलचस्प किस्सा अंग्रेजों से जुड़ा है। एक बार वह अंग्रेजों के साथ ट्रेन में सफर कर रहे थे। सांवले रंग और सामान्य कद काठी वाले विश्वेश्वरैया को अनपढ़ समझकर अंग्रेजों ने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। ट्रेन तेज रफ्तार में चल रही थी, वह अचानक उठे और चेन खींच दी। ट्रेन वहीं रुक गई।

यात्रियों ने उन्हें बुरा भला कहना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद गार्ड के सवाल करने पर उन्होंने कहा, मैंने चेन खींची है। मेरा अनुमान है कि करीब 220 गज की दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है। गार्ड ने पूछा, यह आपको कैसे पता चला। उन्होंने जवाब दिया, सफर के दौरान अहसास हुआ कि ट्रेन की गति में अंतर आ गया है। पटरी की तरफ से आने वाली आवाज में बदलाव हुआ है।

उनकी इस बात की पुष्टि करने के लिए गार्ड जब कुछ दूरी आगे चला तो दंग रह गया। वहां पर पटरी के नट-बोल्ट बिखरे पड़े थे। अंग्रेज यह देखकर दंग रह गए और उनसे माफी मांगी।

इकलौते इंजीनियर जिसने 75 फुट ऊंची की सीढ़ी पर चढ़ने का साहस जुटाया
एक बार देश के कुछ चुनिंदा इंजीनियरों को अमेरिका भेजा गया ताकि वे वहां की फैक्ट्रियों की वर्किंग को समझ सकें। फैक्ट्री के एक ऑफिसर ने कहा, अगर मशीन को समझना चाहते हैं तो 75 फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़ना पड़ेगा। इतनी ऊंची सीढ़ी देखकर सभी इंजीनियर पीछे हट गए लेकिन उस समूह में सबसे उम्रदराज होने के बाद भी डॉ. मोक्षगुंडम ने कहा, मैं देखूंगा।

वह सीढ़ी पर चढ़े और मशीन को देखा। उनके बाद सिर्फ दो और इंजीनियर चढ़े। उनका साहस देखकर अमेरिका की फैक्ट्री में लोगों ने तारीफ की।

लम्बी उम्र का रहस्य बताया
102 साल की उम्र में डॉ. मोक्षगुंडम का निधन हुआ। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह अंतिम समय तक एक्टिव रहे। एक बार इनसे इतनी लम्बी उम्र का रहस्य पूछा गया है तो उन्होंने जवाब दिया।

कहा- जब बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटाता है तो मैं भीतर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है। और वह निराश होकर लौट जाता है। बुढ़ापे से मेरी मुलाकात ही नहीं हो पाती है तो वह मुझ पर कैसे हावी हो सकता है।

इसलिए कर्नाटक के भागीरथ कहलाए
डॉ. मोक्षगुंडम को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। मात्र 32 साल की उम्र में उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे तक पानी पहुंचाने के लिए एक प्लान बनाया। वो प्लान सभी इंजीनियरों को पसंद आया। उन्होंने बांध से पानी के बहाव को रोकने वाले स्टील के दरवाजे बनवाए, जिसकी तारीफ ब्रिटिश अधिकारियों ने भी की। आज भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। विश्वेश्वरैया ने मूसा औरा इसा नाम की दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान तैयार किए। इसके बाद उन्हें मैसूर का चीफ इंजीनियर नियुक्त किया गया।

वो उपलब्धियां जो डॉ. मोक्षगुंडम के नाम रहीं
डॉ. मोक्षगुंडम के नाम कई उपलब्धियां रही हैं। इनमें कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील व‌र्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, महारानी कॉलेज, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण, वो उपलब्धियां हैं जो लोगों की जुबां पर हैं। इन्होंने भारत की एक बड़ी चीनी मिल स्थापित करवाने के अलावा भी कई बड़े निर्माण कराए।

1912 में जब मैसूर के महाराज ने इन्हें अपना मुख्यमंत्री घोषित किया तो इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। इनके कार्यकाल में स्कूलों की संख्या 4500 से बढ़कर 10,500 तक पहुंची।

बेंगलुरू में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और मुम्बई में प्रीमियर ऑटोमोबाइल फैक्ट्री भी इनकी मेहनत का नतीजा थी।


मैसूर में जन्मे सर विश्वेश्वरैया 12 साल के थे जब उनके पिता का निधन हुआ। चिकबल्लापुर से शुरुआती पढ़ाई के बाद वे बीए की डिग्री के लिए बेंगलुरू चले गए। 1881 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से पढ़ाई पूरी की।



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Engineers Day 2020 interesting fact of Sir Mokshagundam Visvesvaraya life how he stopped train


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